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हौसले के आगे ढेर चुनौती, दुनिया में बजाया ऐसा डंका राष्ट्रपति करेगी सम्मानित, जानें नालंदा की इस बेटी की कहानी

नालंदा. किसे पता था कि इस छोटे से गांव की एक छोटी लड़की एक दिन कमाल कर देगी. भारत का नाम विश्व पटल पर लहराएगा और विजेता का खिताब इस बच्ची को जाएगा. किसी ने सच ही कहा है कि हादसा जीवन में चुनौती दे सकता है, लेकिन हौसला लंबी उड़ान तक पहुंचाता है. कुछ ऐसी ही कहानी है नालंदा के बख्तियारपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत मिसी गांव की रहने वाली गोल्डी की. गोल्डी ने बीते 01 से 07 दिसंबर तक थाईलैंड में आयोजित विश्व एबिलिटी स्पोर्ट्स प्रतियोगिता में शाटपुट और जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है. उसे 26 दिसंबर को दिल्ली के एक ऑडिटोरियम में देश की प्रथम महिला सह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार से नवाजा जाएगा. ऐसे में आइए जानने की कोशिश करते हैं, गोल्डी के हौसले की कहानी.

गोल्डी के दादा राम केशव प्रसाद बताते हैं कि बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन पर यह हादसा हुआ जब ट्रेन की चपेट में आने से गोल्डी की मां विभा देवी की मौत हो गई और गोल्डी का एक हाथ कट गया. इसके बाद उसे एक महीने तक पटना स्थित अस्पताल में दिखाया गया, जहां उसकी जान बची.

क्लास 8 से कर रही तैयारी
गोल्डी फिलहाल क्लास 10 की छात्रा है. वह हरनौत स्थित सेंट पॉल एकेडमी में पढ़ाई करती है. यहीं उसे स्पोर्ट्स के प्राथमिक टीचर कुंदन पांडे मिले, जिन्होंने शाटपुट ओ जेवलिन के गुर सिखाए. गोल्डी के अनुसार उसकी इस सफलता में कई लोगों का हाथ है जिसमें कुंदन पांडे, NCEO (SAI) के इंटरनेशनल कोच नितिन चौधरी और कोलकाता(SAI) की मेम के सहयोग से वो आगे बढ़ पाई. धीरे-धीरे गोल्डी प्रशिक्षण लेने लगी और बढ़-चढ़ कर इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगी. फिर एक दिन ऐसा भी आया जब गोल्डी ने कीर्तिमान रच दिया. थाईलैंड में आयोजित विश्व एबिलिटी स्पोर्ट्स के सब जूनियर पैरालंपिक में गोल्डी ने स्वर्ण और कांस्य पदक जीते. उसकी इस सफलता से जहां एक और पूरे भारतवर्ष में गर्व का क्षण है. वहीं दूसरी और उसके परिजन भी गम को भूलकर इस ऐतिहासिक जीत को याद रखना चाहते हैं.

ये हैं गोल्डी के आदर्श
गोल्डी की इस सफलता पर लोकल 18 ने उससे बात की. उसके अनुसार विराट कोहली और नीरज चोपड़ा उसके आदर्श हैं. गोल्डी फिलहाल सरकारी खर्च पर कोलकाता स्थित स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सेंटर में प्रशिक्षण ले रही है और स्पोर्ट्स के फील्ड में और आगे बढ़ना चाहती है. अपने शुरुआती दिनों में वह चाचा और पिता के सहयोग से आगे बढ़ी. गोल्डी के परिवार में चाचा विनय कुमार पिता संतोष यादव और दादा दादी मौजूद हैं.

Tags: Bihar News, Local18, Nalanda news, Sports news

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