धान खरीदी के दौरान कर्मचारियों से मारपीट के आरोप में जेल में बंद बालाघाट के पूर्व सांसद कंकर मुंजारे को 12 दिन बाद आखिरकार सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई। नेताजी सुभाषचंद्र केंद्रीय जेल, जबलपुर से बाहर आने के बाद उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार ब
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पूर्व सांसद ने कहा- ‘धान खरीदी के दौरान हुए विवाद में लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। पुलिस ने फर्जी धाराओं के तहत मामला दर्ज कर मुझे गिरफ्तार किया और जेल भेजा।’
उन्होंने आगे कहा कि जेल से छूटने के बाद भी वे किसानों के हित में प्रदर्शन जारी रखेंगे।
केंद्र प्रभारी और ऑपरेटर के साथ मारपीट
27 दिसंबर 2024 को बालाघाट जिले की लालबर्रा तहसील के धपेरा मोहगांव स्थित धान खरीदी केंद्र पर पूर्व सांसद कंकर मुंजारे द्वारा कथित रूप से केंद्र प्रभारी और कंप्यूटर ऑपरेटर के साथ मारपीट की गई और खरीदी कार्य में बाधा डाली गई। इस घटना के संबंध में लालबर्रा थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी।
पुलिस ने पूर्व सांसद कंकर मुंजारे समेत चार अन्य व्यक्तियों—सहजवाल उपवंशी, रामलाल नागपुरे और दीपेश रनगिरे—के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालने और कर्मचारियों से मारपीट करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की। घटना का पूरा घटनाक्रम वहां लगे सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड हो गया था।
पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर 30 दिसंबर को जबलपुर स्थित एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट में पेश किया। विशेष कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश दिए थे।
बालाघाट ही नहीं पूरे प्रदेश में धान चोरी
जबलपुर केंद्रीय जेल से बाहर आने के बाद पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए प्रदेश में किसानों के साथ हो रही “लूट” की बात की। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में किसानों की धान चोरी हो रही है, और इस सीजन में बालाघाट जिले में 7 करोड़ रुपए की धान चोरी हुई है, जबकि जबलपुर में भी 3 करोड़ रुपए की धान चोरी की गई है।
पूर्व सांसद ने बताया कि घटना वाले दिन जब कुछ किसानों ने फोन कर सूचना दी, तो वह मौके पर पहुंचे और किसानों से बातचीत की। उन्होंने कहा, ‘वहां मौजूद लोगों से बात करने पर मैंने उन्हें डांटा, लेकिन किसी के साथ मारपीट नहीं की।’ इसका प्रमाण सीसीटीवी कैमरे में है।
मुंजारे ने इस पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच के लिए एसआईटी (विशेष जांच दल) गठित करने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार इस मुद्दे पर ध्यान नहीं देती, तो वह मामले को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार के खिलाफ किसानों के हित में आंदोलन करने की भी बात की।
तौल कांटा कर्मचारियों ने सेट कर रखा
पूर्व सांसद और पूर्व विधायक कंकर मुंजारे ने कहा कि यदि तौल के दौरान किसानों की धान ईमानदारी से तौली जाती, तो स्थिति ऐसी नहीं बनती कि विवाद उत्पन्न होता। उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों की धान चोरी हो रही है और तौल कांटा कर्मचारियों ने सेट कर रखा है। मुंजारे के मुताबिक, ‘बोरी मिलाकर 40 किलो 500 ग्राम धान तौला जाना चाहिए था, लेकिन वहां 41 किलो से अधिक धान तौली जा रही थी।’
उन्होंने यह भी कहा कि जिस दिन विवाद हुआ था, उस दिन कर्मचारियों को समझाया जा रहा था, लेकिन विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई और फिर उन पर झूठे आरोप लगाए गए। पूर्व सांसद ने यह भी कहा कि यह केवल बालाघाट और जबलपुर में ही नहीं, बल्कि दमोह, टीकमगढ़, सतना, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ जैसे कई जिलों में किसानों के साथ छलावा हो रहा है।
मुंजारे का आरोप: किसानों को लूटने की साजिश
जेल से बाहर आने के बाद जबलपुर में दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, ‘सरकार जानबूझकर किसानों को लूट रही है और उन्हें मरने के लिए छोड़ रही है। यही कारण है कि किसान कर्ज लेकर आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है।’ मुंजारे ने आगे कहा कि किसान अभी संगठित नहीं है, इसलिए वह आवाज़ नहीं उठा पा रहे हैं, लेकिन अब हम किसान को एकजुट करेंगे।
वहीं, जेल गए किसान रामलाल के बेटे प्रवीण ने घटना के संबंध में बताया कि उनके पिता 57 क्विंटल धान लेकर खरीदी केंद्र गए थे, लेकिन तौल के बाद वह घटकर 54 क्विंटल रह गई। 3 क्विंटल धान कम होने पर उनके पिता ने पूर्व सांसद कंकर मुंजारे को सूचना दी, और जब वे मौके पर पहुंचे तो स्थिति की जांच की और कर्मचारियों को डांटा।
इस घटना को बाद में विवाद और मारपीट का रूप दे दिया गया।
पूर्व सांसद के वकील एडवोकेट प्रियाल रंहगडाले ने कोर्ट को बताया कि बालाघाट पुलिस ने जो धाराएं लगाई थीं, वे सभी जमानती थीं, केवल दो धाराएं थीं जिन पर जमानत नहीं हो सकती थी। कोर्ट को यह भी बताया गया कि कंकर मुंजारे ने शासकीय कार्य में कोई बाधा नहीं डाली थी, और उनके ऊपर यह आरोप भी था कि उनका क्रिमिनल बैकग्राउंड है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हवाला देते हुए अदालत को विश्वास में लिया गया, जिसके बाद जमानत मंजूर कर दी गई।
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