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18 साल में दूसरी बार इंदौर से बाहर GI समिट: कलेक्टर बोले-इंदौर तो ग्रो कर ही रही; भोपाल को मिला मेजबानी का मौका – Indore News

इस साल ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट इंदौर में नहीं होगी। यह पहला मौका नहीं है जब समिट को प्रदेश के किसी अन्य जिले में आयोजित किया जा रहा है। पिछले 18 वर्षों में यह दूसरी बार होगा जब यह आयोजन इंदौर से बाहर किया जा रहा है।

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पहली बार 2010 में इन्वेस्टर्स समिट इंदौर से बाहर खजुराहो में 22 और 23 अक्टूबर को आयोजित हुई थी। अब 15 साल बाद दूसरी बार यह समिट राजधानी भोपाल में 24 फरवरी से होने जा रही है। इंदौर में इसका आयोजन न होने को लेकर उद्योग जगत और राजनीतिक हलकों में चर्चाएं हो रही हैं।

इंदौर में समिट न होने का कारण बताते हुए कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इसे भोपाल में आयोजित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, “इंदौर तो पहले से ही तेजी से विकास कर रहा है। यहां के उद्योगपति और व्यवसायी पहले से ही इसे आगे बढ़ा रहे हैं। सरकार चाहती है कि प्रदेश के अन्य जिले भी इसी तरह विकास करें।”

प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इंदौर से समिट को हटाने का उद्देश्य अन्य शहरों में निवेश आकर्षित करना है, ताकि प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिले।

बता दें कि मध्यप्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की शुरुआत 2007 में इंदौर से हुई थी। 2010 में खजुराहो में आयोजित समिट को छोड़कर अब तक यह आयोजन हमेशा इंदौर में ही होता आया है। इस साल, 15 वर्षों बाद, भोपाल को समिट की मेजबानी का मौका मिला है।

2023 में इंदौर में हुई समिट में 15 लाख 42 हजार 514 करोड़ का निवेश प्रस्ताव आए थे।

इंदौर में इस साल समिट नहीं होने के तीन प्रमुख कारण

इस साल ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन इंदौर के बजाय भोपाल में किया जा रहा है। इसके पीछे तीन मुख्य कारण बताए जा रहे हैं:

1️⃣ एकेवीएन खत्म होने से इंदौर क्षेत्रीय कार्यालय तक सीमितजब एकेवीएन को समाप्त कर एमपीआईडीसी बनाया गया, तब इसका मुख्यालय भोपाल में स्थापित हुआ। अब अन्य जिलों में केवल क्षेत्रीय कार्यालय हैं, जिनके अफसरों को लैंड बैंक की जानकारी लेकर भोपाल पहुंचना होता है।

2️⃣ वर्चस्व और श्रेय लेने की होड़राजनीतिक कारणों में से एक यह भी बताया जा रहा है कि इंदौर में समिट होने का श्रेय स्थानीय नेताओं को मिल जाता था। इस बार भोपाल में आयोजन होने से इंदौर के नेताओं की भूमिका सीमित हो गई है।

3️⃣ सरकारी तंत्र का समन्वयइंदौर में समिट होने पर पूरा सरकारी तंत्र भोपाल से यहां लाना पड़ता था, जिससे समन्वय में दिक्कतें आती थीं। राजधानी में आयोजन होने से सभी विभागों और अधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल संभव होगा।

अन्य क्षेत्रों में भी निवेश बढ़ाने की रणनीति

एमपीआईडीसी और उद्योग जगत के अनुसार, सरकार ने औद्योगिक निवेश नीति में बदलाव किए हैं, जिससे समिट का स्थान बदला गया है। अब तक यह समिट हर दो साल में केवल इंदौर में होती थी, जिससे अधिकांश बड़े निवेशक पीथमपुर, धार और इंदौर संभाग को ही प्राथमिकता देते थे।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस बार समिट से पहले संभागीय इन्वेस्टर्स समिट (रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव) की शुरुआत अपने गृह नगर उज्जैन से की, ताकि औद्योगिक निवेश प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी बढ़े।

2023 समिट में मध्यप्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र के लिए इतने के निवेश प्रस्ताव आए थे।

2023 समिट में मध्यप्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र के लिए इतने के निवेश प्रस्ताव आए थे।

12 हजार हेक्टेयर का लैंड बैंक तैयार, निवेश को मिलेगा बढ़ावा

नई औद्योगिक क्षेत्रों का विकास जारीएमपीआईडीसी के कार्यकारी निदेशक राजेश राठौर के मुताबिक, समिट के लिए नए औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित किया जा रहा है। निवेश प्रस्तावों को ध्यान में रखते हुए लगभग 12 हजार हेक्टेयर का लैंड बैंक तैयार किया गया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि अच्छे प्रस्तावों पर तुरंत जमीन आवंटित की जाएगी और उद्योगों को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

सरकार अगले पांच वर्षों में डेढ़ लाख नए रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य लेकर काम कर रही है। इस समिट में पीएम मित्र पार्क, रेडीमेड कॉम्प्लेक्स, आईटी सेक्टर, इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर और पीथमपुर सेक्टर-7 को विशेष रूप से शोकेस किया जाएगा।

इंदौर-उज्जैन में 30 हजार एकड़ का लैंड बैंक उपलब्धएमपीआईडीसी अधिकारियों के अनुसार, इंदौर और उज्जैन को मिलाकर 30 हजार एकड़ का लैंड बैंक मौजूद है, जिसे इस समिट में प्रदर्शित किया जाएगा। इस भूमि पर डाटा सेंटर, आईटी हब, स्टार्टअप, रेडीमेड कॉम्प्लेक्स, पीएम मित्र पार्क और औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित करने की योजना है।

सरकार का विशेष ध्यान ऑटोमोबाइल और टेक्सटाइल सेक्टर पर भी है। हाल ही में ड्रोन पॉलिसी और जीसीसी पॉलिसी की घोषणा की गई है, जिससे नए उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही, बरलई शुगर मिल की जमीन को भी रेडीमेड कॉम्प्लेक्स के रूप में विकसित करने की योजना है।

इंदौर को अनदेखा करने की चर्चा

इंदौर के औद्योगिक और व्यापारिक संगठनों का मानना है कि समिट को भोपाल में करने के फैसले से इंदौर की औद्योगिक और व्यापारिक संभावनाओं को नजरअंदाज किया गया है। इंदौर लंबे समय से प्रदेश का निवेश केंद्र रहा है और मजबूत बुनियादी ढांचे, आईटी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश के लिए आदर्श स्थान बन चुका है।

इंदौर की स्वच्छता और वैश्विक स्तर पर उसकी पहचान भी इसे निवेशकों के लिए आकर्षक बनाती है। ऐसे में इतने वर्षों के बाद जब इंदौर इस बड़े आयोजन से वंचित रह गया, तो सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठने लगे हैं।

हालांकि, औद्योगिक संगठनों में असंतोष होने के बावजूद, कोई भी संगठन सरकार के खिलाफ खुलकर बयान देने को तैयार नहीं है।

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