गौरतलब है कि इस स्पेसक्राफ्ट ने पिछले साल नवंबर में पृथ्वी पर पढ़ने लायक डेटा भेजना बंद कर दिया था। हालांकि स्पेसक्राफ्ट को निर्देश मिल रहे थे, लेकिन वह जरूरी डेटा को धरती तक नहीं भेज पा रहा था। नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (Nasa JPL) को इसकी जांच सौंपी गई। टीमों ने एक खराब चिप का पता लगाया जो अभियान को बाधा पहुंचा रही थी।
वैज्ञानिकों ने एक कोडिंग तैयार की, जिससे वोयाजर 1 की तकनीकी खामी को दूर किया गया। अब वैज्ञानिकों ने बताया है कि वोयाजर 1 फिर से अपने इंजीनियरिंग सिस्टमों की जानकारी और अपनी हेल्थ का स्टेटस धरती पर मौजूद वैज्ञानिकों को बता रहा है।
वैज्ञानिकों ने इस खुशी को नासा वोयाजर के एक्स हैंडल से भी शेयर किया। लिखा- “Hi, it’s me. – V1″। वैज्ञानिकों का अगला लक्ष्य स्पेसक्राफ्ट को और सक्षम बनाना है ताकि वह साइंस डेटा शेयर करना शुरू कर सके। वोयाजर स्पेसक्राफ्ट को साल 1977 में लॉन्च किया गया था। वर्तमान में यह पृथ्वी से 15 अरब मील दूर मौजूद है। पृथ्वी से जब भी कोई मैसेज वोयाजर 1 को भेजा जाता है, तो उसे स्पेसक्राफ्ट तक पहुंचने में 22.5 घंटे का समय लगता है।
वोयाजर 1 की कामयाबी को देखते हुए वैज्ञानिकों ने साल 2018 में Voyager 2 को लॉन्च किया था। दोनों ही स्पेसक्राफ्ट अपने साथ ‘गोल्डन रिकॉर्ड्स’ ले गए हैं। यह 12 इंच की सोने की परत वाली तांबे की एक डिस्क है, जिसका मकसद हमारी दुनिया यानी पृथ्वी की कहानी को अलौकिक लोगों (extraterrestrials) तक पहुंचाना है। वोयाजर 1 और 2 स्पेसक्राफ्ट का मकसद बृहस्पति और शनि ग्रह के सिस्टमों को स्टडी करना है। भविष्य में इन्हें बाहरी सौरमंडल की जांच करने भी भेजा जा सकता है।
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2024-04-24 07:05:06
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