आशा की साइकिल यात्रा उनके गृह ग्राम में समाप्त होगी।
मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के एक छोटे से गांव नाटाराम में रहने वाली एक युवती ना सिर्फ राजगढ़ बल्कि मध्यप्रदेश का नाम पूरे देश में रोशन कर रही है। कड़कड़ाती ठंड हो या फिर तेज बारिश साइकिलिंग करते हुए युवती आशा मालवीय महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण का संदेश
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24 जून 2024 को कन्याकुमारी से अपनी यात्रा शुरू करने वाली आशा की साइकिल यात्रा उनके गृह ग्राम में समाप्त होगी। करीब 16 हजार 630 किलोमीटर का सफर तय करते हुए मंगलवार को जबलपुर पहुंची आशा मालवीय का जबलपुर एसपी संपत उपाध्याय और एएसपी सूर्यकांत शर्मा ने स्वागत किया।
जबलपुर में कुछ देर रुकने के बाद आशा सागर जिले के लिए रवाना हो गई। एक दिन में डेढ़ सौ से दो सौ किलोमीटर का सफर तय करने वाली आशा मालवीय अकेले ही यात्रा कर रही है, जिस जिले से आशा गुजरती है, वहां की पुलिस और आर्मी उसे दूसरे जिले की सीमा तक छोड़ने का काम करती है।
25 मुख्यमंत्री और 28 राज्यपाल से मिल चुकीं हैं
राष्ट्रीय खिलाड़ी व भारत की एकल महिला साइक्लिस्ट ने इससे पहले 1 नवंबर 2022 से 15 अगस्त 2023 तक संपूर्ण भारत में 26,000 किमी एकल साइकिल यात्रा करते हुए सफर तय किया था। महिला सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से एक बार फिर आशा साइकिल यात्रा पर निकली हुई है।
26 जुलाई 2024 को कारगिल पहुंचकर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए 15 अगस्त को हिम आच्छादित सियाचिन पहुंची, जहां उन्होंने भारत के वीर सपूतों को नमन किया, इसके बाद 6 सितंबर 2024 को दुनिया के सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित मोटरेबल रोड से होकर जबलपुर पहुंची।
दो साल में 42 हजार किलोमीटर से अधिक की साइकिल यात्रा के दौरान उन्होंने देश के 25 सीएम और 28 गवर्नर सहित दो लाख से अधिक अधिकारियों से मुलाकात कर चुकी है।
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मां के लिए बनाया मकान
26 वर्षीय आशा मालवीय ने जबलपुर पहुंचने के दौरान दैनिक भास्कर से बात करते हुए कहा कि दो साल की उम्र में पिता का देहांत हो गया। मां ने मजदूरी करते हुए पाला, बड़ा किया, पढ़ाया-लिखाया। 10वीं कक्षा में आते-आते आशा ने काम करना शुरू कर दिया। ग्रेजुएशन के साथ-साथ जाॅब किया और फिर मां के लिए एक छोटा सा मकान बनवाया। आशा ने बताया कि उनके पास खुद का मकान नहीं था।
मकान बनवाने के लिए आशा ने 20 से 25 मैराथन दौड़ में शामिल हुईं और फिर जो भी इनाम की राशि मिलती थी, उसे इकट्ठा करते हुए गांव में ही एक छोटा सा मकान बनवाया, जरूरत पड़ने पर मजदूरी भी की। मकान बन जाने के बाद छोटी बहन की शादी भी करवाई, और फिर अब महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण का संदेश देने के लिए निकल चुकी हूं देश की यात्रा पर।
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स्पॉन्सरशिप के लिए कोई नहीं था तैयार
आशा ने बताया कि दिल मे देश भक्ति और महिला शक्ति को पूरे देश तक फैलाने का जज्बा था, इसके लिए जरूरत थी कि कोई स्पॉन्सरशिप करे, पर जो भी देखता, बस यहीं पूछता कि टीम में और कितने लोग, जब मैं कहती अकेले तो सभी लोग हाथ खींच लेते। आखिरकार फिर खुद ही एक साइकिल खरीदी और फिर निकल पड़ी साइकिल से देश की यात्रा पर। आशा ने बताया कि वह दिन में अकेले ही साइकिल यात्रा करती है, शाम होते ही जिस भी शहर में रूकती तो वहां पर आर्मी या फिर जिला प्रशासन रुकने में मदद करता था।
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राष्ट्रपति-पीएम मोदी भी कर चुके है तारीफ
मध्यप्रदेश के राजगढ़ की रहने वाली आशा मालवीय ने अभी तक 28 राज्यों में साइकिल से यात्रा कर चुकी है, इस दौरान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर चुकी है। इसके अलावा तमिलनाडु, पंजाब,महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान उत्तराखंड, त्रिपुरा के सीएम से भी प्रशस्ति पत्र ले चुकी है। इसके साथ ही चीफ आफ आर्मी जनरल मनोज पांडे, डायरेक्टर जनरल असम राइफल्स भी आशा मालवीय की तारीफ कर चुके है।
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