लोक परिवहन भी बेहतर हो इसके लिए प्रयास करना होगा। मेट्रो व बीआरटीएस के आसपास ट्रांसपोर्ट कारिडोर(टीओडी) को मध्य में रखकर नियोजन के प्रस्ताव बनाए जा रहे है। ऐसा इस वजह से किया जा रहाहै कि दोनों ओर विस्तार हो और लोक परिवहन भी कायम रह सके। यही वजह है कि अब इंदौर में हाइराइज प्रोजेक्ट की संख्या में भी इजाफा हुआ है।
By Udaypratap Singh
Publish Date: Mon, 17 Feb 2025 10:07:35 PM (IST)
Updated Date: Mon, 17 Feb 2025 10:16:54 PM (IST)
HighLights
- नईदुनिया विमर्श कार्यक्रम में आए नगर एवं ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक शुभाशीष बनर्जी।
- मास्टर प्लान व मेट्रोपालिटन सिटी पर रखे अपने विचार, भविष्य की संभावनाओं पर हुई बात।
- कहा-अब जरुरत है देवास, महू, उज्जैन के आसपास नए शहरों को सेटेलाइट टाउन बनाया जाए।
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। इंदौर में निवेश की असीम संभावनाए है। इंदौर नगरों का समूह है इसके साथ उज्जैन, सांवेर, देवास, महू, पीथमपुर व धार शहर इंदौर के विकास को प्रभावित करते है। इस तरह इंदौर महानगर बन गया है। इंदौर का वातावरण ही कुछ इस तरह है कि यहां औद्योगिक, व्यापार , स्वास्थ्य, शिक्षा, धार्मिक पर्यटन जैसी गतिविधियां विकसित हुई हैं।
इंदौर का हिंटर लैंड है बहुत बड़ा है यानि आसपास के अन्य शहर जैसे खंडवा, खरगोन, बड़वानी, नीमच, रतलाम व मंदसौर के लोग किसी न किसी कारण इंदौर से जुड़े हुए है। यह शहर संपूर्ण हिंटर लैंड की रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य की जरुरतों को पूरा करता है। नर्मदा नदी व महाकाल व ओंकारेश्वर तीर्थ से निकटता भी इंदौर को विशिष्ठ बना देती है।
यह बातें नईदुनिया के विमर्श कार्यक्रम में नगर एवं ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक डा. शुभाशीष बनर्जी ने कही। उन्होंने बताया कि 2024 में इंदौर की आबादी 31 लाख थी और वर्ष 2060 में आबादी 55 से 60 लाख होने का अनुमान है। शहर दोगुना हो जाएगा तो चुनौतियां भी होगी। इंदौर शहर में बढ़ती आबादी को थामने की जरुरत होगी। ऐसे में जरुरी होगा कि हमारे नगर विस्तार का अधिक फैलाव न हो एवं विकास काम्पेक्ट व सुगठित हो।
अब नए सेटेलाइट टाउन बनाने की है जरुरत
- बनर्जी ने बताया कि महानगर की अवधारणा के साथ अब जरुरत है कि देवास, महू, उज्जैन के आसपास नए शहरों को सेटेलाइट टाउन बनाया जाए। इंदौर शहर देवास महू, उज्जैन, पीथमपुर तक विस्तारित होना संभावित है।
- ऐसे में एक प्रभावी पब्लिक ट्रांसपोर्ट, मेट्रो की तर्ज पर मास रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम का विस्तार करना होगा। मेट्रोपालिटन एरिया प्लान एक रीजनल प्लान है एवं नगर के लिए विकास का मास्टर प्लान अलग है।
- मेट्रोपालिटन प्लान में प्रयास किया जाएगा कि नगरों के बीच में यातायात की सुविधा सड़क सुविधा कैसी हो। भारी वाहन के लिए बायपास कैसे बने।
- प्राकृतिक संसाधन पानी का नियोजन कैसे हो। लोक परिवहन का विस्तार कैसे हो। बड़े शहरों के बीच में ऐसे स्थान जहां सेटेलाइन टाउन बनाए जाए। औद्योगिकरण के लिए आसपास के स्थान मिल जाएगा।
- उन्नत कृषि क्षेत्र में नगरीकरण रोकना हो, ऐसा न हो कि नगरीकरण के विस्तार में वे खत्म हो जाए। वन, पहाड़ियां, नदी नालों का संरक्षण किया जाए।
मास्टर प्लान का मेट्रोपाॅलिटिन प्लान के साथ होगा समन्वय
- संयुक्त संचालक बनर्जी के मुताबिक इंदौर में मास्टर प्लान के साथ इंदौर मेट्रोपालिटन प्लान का समन्वय किया जाएगा। इंदौर में सबसे पहले 1975 में मास्टर प्लान बना था।
- उसमें कई ग्रीन एरिया थे और कालांतर में उस ग्रीन एरिया में कई अवैध कॉलोनियां विकसित हो गई। सबसे पहले 1975 में मास्टर प्लान बना। उसमें कई ग्रीन एरिया थे।
- कालांतर में उस ग्रीन एरिया में कई अवैध कालोनियां विकसित हो गईं एवं शासन स्तर प निर्णय लिया गया कि इनमें हुए विकास को नियमित न करते हुए हरित क्षेत्रों को यथावत रखा जाए।
- शासन ने माना कि ग्रीन एरिया को आवासीय में तब्दील कर देगे तो लोग प्रोत्साहित होंगे। इंदौर क्लीन तो बहुत है लेकिन यहां पर आमोद-प्रमोद व ग्रीन एरिया विकसित है।
- इस वजह से हमारा शहर भोपाल के मुकाबले ज्यादा ग्रीन नहीं दिखता है। मास्टर प्लान में नदियों के किनारे वृक्षारोपण के लिए स्थान सुरक्षित रखते है।
- ग्रीन बेल्ट दर्शाए जाते हैं। कई बार योजना बनाने में चूक होने अथवा समय पर क्रियान्वयन न होने से भी ग्रीन बेल्ट प्रभावित होते हैं।
शहर में कारों के बजाए लोक परिवहन को प्राथमिकता देने की है जरुरत
- बनर्जी ने बताया कि इंदौर में पीढियों से व्यापार व व्यवसाय की गतिविधियां संचालित हो रही हैं, इस वजह से यहां निवेश का वातावरण है। इंदौर के डीएनए में ही व्यापार है।
- अन्य बड़े महानगरों की तुलना में यहां के रियल एस्टेट क्षेत्र में किफायती आवास उपलब्ध है। इंदौर निवेश के लिए एक उपयुक्त शहर है।
- इंदौर की ग्राेथ चहुमुंखी है इसके साथ ट्रैफिक व परिवहन जैसी चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। शहर में लोक परिवहन के क्षेत्र में ज्यादा काम करने की जरुरत है।
- हमें शहर में कारों को प्राथमिकता देने के बजाए लोक परिवहन को बेहतर बनाने का प्रयास करना होगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो वह दिन भी दूर नहीं जब इंदौर में बंगलुरु जैसे हालात न बने।
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