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4 बच्चों ने तड़पते हुए कार में दम तोड़ा: पिता ने कहा- बड़े बेटे को खेत मालिक न ले जाते तो कुछ नहीं होता – kukshi News

धार जिले के चार बच्चों की कार में दम घुटने से मौत हो गई। चारों भाई-बहन थे। वे कार में घंटों तड़पते रहे। बाहर निकलने के लिए कार का शीशा पीटते रहे, लेकिन वहां सुनने वाला कोई नहीं था। 11 साल के बड़े भाई को भी खेत मालिक काम पर ले गया था। घटना के बाद परिवार

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सोमवार को बच्चों का अंतिम संस्कार किया गया। घटना के बाद दैनिक भास्कर ने बच्चों के पिता से बात की। उन्होंने बताया कि आखिर घटना कैसे हुई?

पीड़ित परिवार में 7 बच्चों समेत 11 सदस्य कुक्षी के रहने वाले शोभान मछार कुक्षी में बाग ब्लॉक के खनीअंबा गांव में परिवार समेत रहते हैं। परिवार में मां केसरबाई, पिता रत्न्या, पत्नी और सात बच्चे हैं। हादसे में सुनीता (7), सावित्री (4), कार्तिक (3), विष्णु (2) की मौत हो गई। बड़ा बेटा जितेंद्र उनकी देखभाल कर रहा था। बाकी एक बच्चे की उम्र डेढ़ साल और सबसे छोटी बेटी की उम्र छह महीने है।

3 अक्टूबर को बच्चे गुजरात के अमरेली में कार में बंद हो गए थे। इससे चारों की मौत हो गई।

खेत पर ही झोपड़ी बनाकर रहता था परिवार शोभान ने दैनिक भास्कर को बताया कि अमरेली तालुका के रंधिया गांव में भरतभाई मंदानी का खेत है। पिछले पांच-छह साल से गुजरात मजदूरी करने जा रहा हूं। मई में परिवार के साथ गए थे। खेत पर ही झोपड़ी बनाकर रहते थे। पति-पत्नी मजदूरी पर जाते थे। 11 साल का बड़ा बेटा जितेंद्र घर पर चारों भाई-बहनों की देखभाल करता था। बाकी दो बच्चों को साथ ले जाते थे। रोजाना की तरह शनिवार सुबह भी खेत पर काम करने चले गए।

गलती से चाबी भूले, बच्चे खेलते हुए कार में फंसे इसी दौरान खेत मालिक भरतभाई कार से आए। उन्होंने कार को वहां पार्क कर दिया। चाबी कार के वाइपर पर भूल गए। वह जितेंद्र को मूंगफली के थ्रेशर पर काम करने के लिए ले गए। चारों भाई-बहन अकेले रह गए। खेलते हुए उन्होंने कार की चाबी उठा ली। गेट खोलकर अंदर खेलने लगे। चाबी बाहर गेट पर ही लगी रही। अंदर से गेट लॉक हो गया। बच्चे वहीं फंसे रह गए।

कुछ देर बाद उनका दम घुटने लगा। पता नहीं बच्चे कितना तड़पे होंगे। शाम करीब 7:30 बजे हम दोनों पति-पत्नी घर लौटे। बच्चे नहीं दिखे, तो आसपास देखा। कार में झांक कर देखा तो बच्चे बेहोश पड़े थे। हमने सोचा कि शायद वे सो रहे हैं। चाबी नीचे पड़ी थी।

हमने चाबी से गेट खाेलकर देखा, तो चारों बच्चों में कोई हलचल नहीं थी। खेत मालिक को बुलाया। उन्होंने देखा, तो बच्चे दम तोड़ चुके थे। खेत मालिक ने पुलिस को सूचना दी। रविवार को शवों का पोस्टमॉर्टम करवाया गया। बड़े बेटे को खेत मालिक साथ नहीं ले जाते, तो बच्चों की जान नहीं जाती।’

खेत मालिक ने रुपए देकर एम्बुलेंस से गांव भेजा शोभान ने बताया कि भरतभाई ने एम्बुलेंस भिजवाई। 40 हजार रुपए भी दिए। हमें गांव भिजवाया। सोमवार शाम तक गांव पहुंचे। यहां आकर बच्चाें का अंतिम संस्कार कर दिया। काम के चक्कर में दीपावली मनाने भी घर नहीं आए। वहां एक दिन की मजदूरी के 400 रुपए मिलते हैं।

न जाने चाबी बच्चों के हाथ कैसे लगी: खेत मालिक कार और खेत मालिक भरतभाई ने बताया कि परिवार खेत पर मजदूरी करने आया था। परिवार खेत पर बने मकान में रहता था। रोजाना की तरह कार पास में ही पार्क की थी। न जाने बच्चों के हाथ कैसे कार की चाबी लग गई। वे गेट खोलकर अंदर बैठ गए।

मैं भी कार पार्क करने के बाद दूसरे कामों में लग गया था। शाम को जब बच्चों के पिता घर लौटे, तो मुझे भी बच्चों के गुम होने की खबर की। तलाश करने पर बच्चे कार में मिले। इसके बाद सरपंच और पुलिस को सूचना दी।

खेत मालिक भरतभाई जिन्होंने कार झोपड़ी के बाहर पार्क की थी।

खेत मालिक भरतभाई जिन्होंने कार झोपड़ी के बाहर पार्क की थी।

हर साल मजदूरी करने गुजरात जाते हैं लोग सरपंच छीतू सिंह मछार ने बताया कि धार के ग्रामीण इलाकों से हर साल मई में आदिवासी काम के लिए गुजरात जाते हैं। क्योंकि गांव में काम नहीं मिलता। थोड़ा बहुत मिलता है, तो मजदूरी कम मिलती है। गुजरात में एक दिन के 400 रुपए मिलते हैं। ये लोग अरंडी, मूंगफली समेत दूसरे खेतों में काम करते हैं।

शोभान के तीन भाई कलम सिंह, भदू और कैलाश भी गुजरात में मजदूरी करते हैं। सभी की गांव में 18 बीघा असिंचित जमीन है। वह सिर्फ खरीफ की फसल ही ले पाते हैं। खेत की देखभाल माता-पिता करते हैं। उनका नाम संबल योजना में भी नहीं है।

घटना के बाद पीड़ित परिजन को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पांच लाख रुपए की आर्थिक मदद की घोषणा की है। कुक्षी एसडीएम प्रमोद सिंह गुर्जर ने परिवार की जानकारी लेकर बैंक खाता खुलवाने के लिए कहा है।

प्रतीकात्मक फोटो।

प्रतीकात्मक फोटो।

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कार का गेट लॉक होने से बच्चों का दम घुट गया।

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