गरीबी और बेरोजगारी के लिए बदनाम बुंदेलखंड के सागर जिले का एक बंगला इन दिनों देश-दुनिया में चर्चा में है। चर्चा इस बंगले से मिले गोल्ड और कैश से ज्यादा यहां पाले जा रहे मगरमच्छों की है। एक नहीं 4 मगरमच्छ। बंगले के भीतर स्वीमिंग पूल जैसे तालाब में 3 नर
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बंगले के भीतर ही कांच का बना शीशमहल भी। इसमें ऐसे कांच लगे हैं कि इंसान का प्रतिबिंब अलग-अलग तरह से नजर आता है। सागर जिले के सदर इलाके के बच्चे-बच्चे को मालूम है कि राठौर बंगले में कई दशकों से चिड़ियाघर है, लेकिन हफ्ते भर पहले जब यहां इनकम टैक्स अधिकारी छापेमारी के लिए पहुंचे, तब इसका रहस्य खुला।
इनकम टैक्स ने वन विभाग को मगरमच्छ होने की सूचना दी। इसके बाद रेड में मिले 14 किलो सोना और 3.80 करोड़ रुपए की चर्चा पीछे छूट गई और बंगले से निकले मगरमच्छों की चर्चा ज्यादा हो रही है। ये बंगला कभी बीजेपी की पॉलिटिक्स का केंद्र रहा है।
इस बंगले में रहने वाला राठौर परिवार कौन है? ये कितने असरदार हैं? इनका साम्राज्य कहां तक फैला है? इस बंगले में पल रहे मगरमच्छ और चिड़ियाघर का रहस्य आखिर अब तक क्यों सामने नहीं आ सका? इन तमाम सवालों की पड़ताल इस मंडे स्टोरी में….
राठौर परिवार के बंगले के परिसर में मगरमच्छ घूमते रहते थे।
हाईवे किनारे किलानुमा बिल्डिंग दूर से दिखती है सागर में सदर होते हुए झांसी रोड पर हाईवे किनारे एक बिल्डिंग दूर से नजर आती है। किलानुमा बिल्डिंग के दो गेटों के बीच की दूरी 100 मीटर है। गेट तभी खुलते हैं, जब यहां से कोई गाड़ी बाहर निकल रही हो या भीतर जा रही हो।इनकम टैक्स के छापे और वन विभाग की टीम के यहां मगरमच्छ के रेस्क्यू के लिए पहुंचने के बाद तो इस बंगले के सामने कोई ठहरने की जुर्रत नहीं कर सकता।
वजह ये है कि अब तक इस बंगले की शान में किसी ने गुस्ताखी करने की हिम्मत नहीं की है, लेकिन छापों के बाद मीडिया में आई खबरों से बंगले वाले और इसकी चौकीदारी करने वाले इस कदर गुस्सा हैं कि मीडिया का नाम सुनते ही झपट पड़ते हैं। इन्हें किसी पुलिस और सिस्टम की परवाह नहीं है।
हम हिम्मत करके वहां तक पहुंचे तो बाहर खड़े एक चौकीदार ने कहा- 40 साल से बंगले पर नौकरी कर रहे हैं। जिनसे हमारी रोजी-रोटी है, उनके लिए 10 साल जेल में भी रहना पड़े तो गुरेज नहीं। कोई भी मीडियाकर्मी यहां खड़े रहने की हिम्मत नहीं करता।
राठौर परिवार का बंगला जिसका कैंपस काफी बड़ा है।
सबसे पहले जानते हैं कि इस बंगले में कौन रहता है…
दशकों से बीड़ी कारोबार, खुद का वायरलेस नेटवर्क ये बंगला है राठौर परिवार का। इस पीढ़ी के लिए इस परिवार का सबसे चर्चित नाम रहा है, हरनाम सिंह राठौर। हरनाम दुलीराम सेठ के सबसे बड़े बेटे थे। वे उमा भारती सरकार में जेल मंत्री रहे। बंडा से विधायक रहे। उनकी मृत्यु के बाद बड़े बेटे हरवंश को बीजेपी ने बंडा से टिकट दिया। 2013 में हरवंश बीजेपी से विधायक चुने गए। 2018 में चुनाव हार गए। इससे पहले सागर जिला पंचायत के दो बार अध्यक्ष रहे।
हरनाम के पिता दुलीचंद राठौर इस इलाके के बड़े जमींदार थे। उनके 3 बेटे हुए। हरनाम, गजेंद्र और हरभजन। हरभजन का निधन हो चुका है। हरनाम सिंह के 3 बेटे हैं। हरवंश, कुलदीप और नागेंद्र सिंह। हरवंश राजनीति में हैं। इस समय सागर भाजपा जिला अध्यक्ष पद के लिए भी उनका नाम चर्चा में है। दूसरे नंबर के कुलदीप भी समाज से जुड़े हैं। सबसे छोटे नागेंद्र सिंह कारोबार संभालते हैं।
दुलीचंद सेठ के दूसरे बेटे गजेंद्र सिंह के भी 4 बच्चे हैं। नितिन, बुलबुल, मुनमुन और गोलू। गजेंद्र सिंह अब शराब के कारोबार में हैं। उन्होंने झांसी रोड पर ही दूसरा बंगला बनवा लिया है। उनकी शराब की डिस्टलरी है।
तीसरे बेटे हरभजन की मौत, उनका बेटा वंशदीप राठौर परिवार का बीड़ी का पुश्तैनी कारोबार रहा है। इतना बड़ा कारोबार की कम्युनिकेशन नेटवर्क के लिए वायरलेस का इस्तेमाल करते थे। इसका भी उनके पास लाइसेंस था। आसपास के जंगलों में तेंदूपत्ता तोड़ने का ठेका भी लेते थे। इसमें 10 हजार से ज्यादा मजदूर काम करते थे। इसी काम में वायरलेस सेट का इस्तेमाल होता था।
बरसों से लोग बंगले के चिड़ियाघर में जा रहे सुकेश मुखारया 62 साल के हैं। कहते हैं कि राठौर बंगले पर कई सालों से चिड़ियाघर है। वहां जाने के लिए हमें कोई टिकट नहीं लगती थी। वहां ऐसे कांच लगे हैं कि अलग-अलग सूरत नजर आती है। जबसे गुटखे का प्रचलन बढ़ा है, तबसे बीड़ी का कारोबार सिमट गया। अब भी उनकी 8 फैक्ट्रियां हैं। वे तेंदूपत्ते का ठेका भी लेते हैं। उनका अपना वायरलेस नेटवर्क था।
उनके छोटे भाई गजेंद्र सिंह ने अब शराब की डिस्टलरी का लाइसेंस ले लिया है। वे शराब बनाते हैं।
राजनीतिक रसूख: आडवाणी, कुशाभाऊ, उमा भारती राठौर बंगले पर आते रहे राठौर परिवार का राजनीतिक रसूख ऐसा रहा है कि जानने वाले कहते हैं कि सागर जिले में बीजेपी का जन्म यहीं से हुआ है। पहले भाजपा की बैठकें इन्हीं के घर में होती थीं। इसी चिड़ियाघर के पास मैदान में दरी बिछाकर लोग बैठ जाते थे। सेठ दुलीचंद अपने जमाने में जनसंघ से जुड़े रहे। 1982 में पहली बार सामूहिक विवाह समाराेह में सेठ दुलीचंद ने 51 कन्याओं का विवाह अपने खर्च पर करवाया था। वे परोपकार के काम करते रहते थे। सेठ दुलीचंद के निधन के बाद बड़े बेटे हरनाम राजनीति में सक्रिय रहे। बंडा से विधायक बने। मंत्री रहे।
जब बीजेपी का सागर में कार्यालय नहीं बना था, तब राठौर बंगले पर ही बीजेपी की बैठकें होती थीं। लालकृष्ण आडवाणी, कुशा भाऊ ठाकरे, उमा भारती, सुंदरलाल पटवा, शिवराज सिंह चौहान सहित बीजेपी के दिग्गज नेता राठौर बंगले पर ठहरते थे। राठौर परिवार पार्टी को बड़ी मदद करता था। बीजेपी का ऐसा कोई नेता नहीं, जो राठाैर बंगले पर नहीं आया।
लालकृष्ण आडवाणी,उमा भारती और कुशाभाऊ ठाकरे भी राठौर बंगले में आ चुके हैं।
यहां के लोग मगरमच्छ के दर्शन को शुभ मानते हैं शहर के कुंदन जाट कहते हैं कि चिड़ियाघर तो राठौर बंगले में सालों पहले से है। एक बार चिड़ियाघर के बारहसिंघा ने हरनाम को घायल कर दिया था। जाट कहते हैं कि यहां के लोग मगरमच्छ के दर्शन को शुभ मानते हैं। वे पहले राठौर बंगले में मगरमच्छ के दर्शन के लिए जाते थे। बचपन से बंगले पर जाते रहे हैं, वहां पर अनेक मोर, बारहसिंघा, हिरण मगर वगैरह थे। शहर के लोग चिड़ियाघर देखने जाते थे।
राठौर परिवार के नजदीकी लोग कहते हैं कि सागर की राजनीति में भूपेंद्र सिंह, गोविंद राजपूत, गोपाल भार्गव सबसे राठौर परिवार के रिश्ते हैं। गोविंद सिंह और गोपाल भार्गव तो हरनाम सिंह को बहुत ज्यादा मानते थे। वे इस बात की भी आशंका जताते हैं कि हरवंश सिंह की बीजेपी जिला अध्यक्ष की दावेदारी भी इस कार्रवाई की एक वजह हो सकती है। हालांकि वे इस संबंध में किसी का नाम नहीं लेते।
रुतबा: डकैतों से बात कर उनका सरेंडर कराते थे राठौर परिवार के बारे में लोगों ने बताया कि उनका रुतबा ऐसा था कि पुलिस भी डकैतों को पकड़ने के लिए राठौर बंगले से मिन्नत करती थी। गब्बर सिंह जैसे डकैत भी राठौर परिवार की बात सुनते थे।
4 मगरमच्छ, 20 करोड़ रुपए इनके खाने पर खर्च 40 साल से राठौर बंगले में 4 मगरमच्छ थे। मगरमच्छ का रेस्क्यू करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि इन मगरमच्छों की उम्र 30 से 40 साल के बीच है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इतने सालों में राठौर ने करीब 20 करोड़ रुपए मगरमच्छों के खाने पर खर्च कर दिए। इन्हें रोज मुर्गे और मछलियां खाने में दी जाती थीं। हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
सदर के लोग राठौर बंगले से मगरमच्छ मिलने पर चौंकते नहीं। न ही उन्हें इस बात का आश्चर्य है कि बंगले से 12 किलो सोना और 3 करोड़ रुपए मिले। वे कहते हैं कि ये तो उनके रुतबे के आगे बहुत कम हैं। लेकिन प्रशासन पर जरुर सवाल खड़े हो रहे हैं।
वन विभाग की टीम ने मगरमच्छों को बंगले से पकड़ा।
4 मगरमच्छों को वन्यजीव अभयारण्य छोड़ दिया वन विभाग के अधिकारियों से जब हमने सवाल किया कि क्या किसी को निजी चिड़ियाघर की अनुमति होती है? तो महिला अधिकारी जवाब नहीं दे पाईं। एसडीओ विनीता जाटव कहती हैं कि जानकारी मिली थी कि उस परिसर में कुछ वन्यजीवों को रखा गया है, सूचना के बाद वनमंडल के दस्ते के साथ मौके पर पहुंचकर 4 मगरमच्छों को मुक्त कराकर वन्यजीव अभयारण्य में छोड़ दिया गया है।
जब हमने उनसे पूछा कि क्या उनके खिलाफ कोई केस दर्ज हुआ? तो जवाब मिला कि उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार आगामी कार्रवाई की जाएगी।
मगरमच्छों में एक नर सात फीट से भी लंबा मगरमच्छों की जांच करने वाले डॉ. नीरज ने बताया कि दो दिनों में चार मगरमच्छ रेस्क्यू किए गए हैं। डॉ नीरज ने बताया कि चारों मगरमच्छों की उम्र 30 से 40 साल है। इनमें से एक नर सात फीट से भी लंबा है और इसकी उम्र भी सबसे ज्यादा है। जांच के अनुसार इसकी उम्र 40 साल तक हो सकती है। सभी स्वस्थ्य थे, इसलिए इन्हें जल्द खुले वातावरण में छोड़ दिया गया।
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पूर्व विधायक के घर 2 और मगरमच्छ मिले सागर में पूर्व भाजपा विधायक हरवंश सिंह राठौर के घर से दो और मगरमच्छों का रेस्क्यू किया है। शनिवार को नौरादेही टाइगर रिजर्व की टीम ने पूर्व विधायक के आवास परिसर में बने मंदिर के पास तालाबनुमा कुंड से दो मगरमच्छ को पकड़ा और उन्हें लेकर टाइगर रिजर्व रवाना हो गई है। रात में ही इन्हें बामनेर नदी में छोड़ा जाएगा। मगरमच्छ करीब 6 से 7 फीट लंबे हैं। पूरी खबर पढ़ें…
पूर्व भाजपा विधायक से मिले करोड़ों रुपए कैश और गोल्ड
सागर में बीड़ी और कंस्ट्रक्शन कारोबारी राजेश केशरवानी और बंडा से बीजेपी के पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर के ठिकानों पर की गई छापेमारी में आयकर विभाग ने करीब डेढ़ सौ करोड़ की टैक्स चोरी पकड़ी है। दोनों के ठिकानों से कैश के अलावा गोल्ड भी बरामद किया गया है। पूरी खबर पढ़ें…
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