रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रो रोवर को अगले साल की सर्दियों तक लॉन्च किया जा सकता है। यह रोवर 10.24 इंच लंबा, 12.4 इंच चौड़ा और 21.26 इंच लंबा है। माइक्रो रोवर का वजन 5 किलोग्राम होगा। इसके फ्रंट में एचडी कैमरा लगा होगा, जो चांद की सतह की तस्वीरें लेगा।
इस उड़ान को पूरा करने के लिए आईस्पेस ने ‘मिशन 2 फ्लाइट’ की तैयारी की है। लैंडर का डिजाइन भी फाइनल हो गया है। कंपनी ने दिसंबर 2022 में अपना पहला मून मिशन लॉन्च किया था। उसके तहत हकुतो-आर लैंडर को रवाना किया गया था। अप्रैल 2023 में लैंडर ने चांद पर उतरने की कोशिश की, लेकिन स्पेसक्राफ्ट के ऑनबोर्ड कंप्यूटर ने लैंडर और चांद की सतह की ऊंचाई का गलत अनुमान लगा लिया। इस वजह से लैंडर चांद की सतह से टकराकर क्रैश हो गया।
आईस्पेस का कहना है कि उसने पहले मिशन की गलतियों से सीखकर बेहतर सॉफ्टवेयर को दूसरे मिशन के लिए तैयार किया है। कंपनी एक और मून मिशन पर काम कर रही है, जो साल 2026 में लॉन्च होगा। चांद पर दुनिया के चुनिंदा देश ही अपना मिशन लैंड करा पाए हैं। इनमें अमेरिका, रूस, चीन और भारत शामिल हैं। भारत दुनिया का पहला और इकलौता देश है, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने मिशन को लैंड कराया है।
आईस्पेस अपने मिशन में कामयाब होती है तो दुनिया की पहली प्राइवेट कंपनी बन जाएगी, जिसका मिशन चांद पर लैंड करेगा।
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2023-11-22 11:41:48
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