रोजगार सहायक मुकेश तंवर को दिए गए वित्तीय पावर।
जावर ग्राम पंचायत के भ्रष्टाचार को लेकर लोकायुक्त ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। वहीं जिस रोजगार सहायक पर मनरेगा में धांधली (भ्रष्टाचार) के आरोप है, उसी को सचिव के वित्तीय पावर दे दिए गए हैं। जबकि संविदाकर्मी को वित्तीय पावर देना पंचायत एक्ट क
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दरअसल, जावर ग्राम पंचायत को लेकर लोकायुक्त में जिनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है, उनमें रोजगार सहायक मुकेश तंवर भी शामिल है। मनरेगा का पूरा दारोमदार रोजगार सहायक के पास ही रहता हैं। उसी मनरेगा में करोड़ों रूपए का घोटाला हुआ है। इसके बाद भी मुकेश के पास सचिव के वित्तीय पावर हैं। जबकि जावर पंचायत में बतौर सचिव मांगीलाल राठौर पदस्थ है, लेकिन वे सिर्फ कठपुतली मात्र हैं।
जिला पंचायत के अफसरों ने नियमों के खिलाफ जाकर मुकेश तंवर को वित्तीय पावर (आहरण एवं संवितरण) सौंप दिए। जबकि शासन के नियम है कि सिर्फ सचिव के पास ही वित्तीय पावर रहेंगे। रोजगार सहायक की नियुक्ति संविदा भर्ती के तहत हुई थी। ऐसा तब है जब जावर में पहले से सचिव है। यह एक तरह से सामूहिक भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है। रोजगार सहायक मुकेश के पास कई समय तक जामली पंचायत के सचिव का चार्ज भी रहा हैं।
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