इंदौर के पूर्व विधायक जोशी के बरी होने की कहानी: पुलिस ने केस डायरी ही गुमा दी, 18 साल बाद आए फैसले में 5 वजह बनी आधार – Indore News

इंदौर के पूर्व विधायक जोशी के बरी होने की कहानी:  पुलिस ने केस डायरी ही गुमा दी, 18 साल बाद आए फैसले में 5 वजह बनी आधार – Indore News

इंदौर में मई 2006 में कांग्रेस के पूर्व पार्षद को सरेराह गोली मार दी गई। कांग्रेस के ही पूर्व विधायक अश्विन जोशी पर गोली चलाने का आरोप लगा। मामले में 18 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है, जिसमें अश्विन जोशी सहित अन्य आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है।

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ये था घटना का कारण

कोर्ट में बताया गया कि झण्डा चौक स्थित ट्यूबवेल की मोटर निकालने का काम पार्षद होने के नाते मुन्ना अंसारी के द्वारा 3 मई 2006 को किया जा रहा था। अश्विन जोशी ने रोका तो दोनों के बीच विवाद हुआ। अंसारी ने अश्विन पर निपटा देने की धमकी देने का आरोप लगाया। रात को इसी वजह से गोली मारना बताया। मामले में पूर्व विधायक अश्विन जोशी, इलियास, मुन्ना शर्मा और एक अन्य के खिलाफ केस दर्ज हुआ।

पढ़िए कोर्ट में इफ्तखार उर्फ मुन्ना अंसारी ने क्या कहा था

घटना 3 मई 2006 को रात करीब 12 बजे एबी रोड पर मेडिकल कॉलेज के सामने सुयश अस्पताल के पास हुई थी। वह अपने साथी अबरार के साथ बाइक पर घर से व्हाइट चर्च के वहां से होते हुए गीता भवन चौराहे की ओर जा रहा था। बाइक अबरार चला रहा था। उसके पीछे से दो वाहनों पर चार लोग आ रहे थे। उन दो वाहनों में एक वाहन स्कूटर था और एक बाइक। स्कूटर को मुन्ना शर्मा चला रहा था और आरोपी अश्विन जोशी पीछे बैठा था। बाइक को आरोपी इलियास चला रहा था। बाइक पर पीछे बैठे व्यक्ति को नहीं जानता। बाइक के पास आकर आरोपी अश्विन जोशी ने कहा कि बहुत नेतागिरी करता है, आज निपटा देंगे। यह कहते हुए अश्विन जोशी ने रिवाल्वर निकाली और गोली चलाई जो बांयी ओर कमर के थोड़ा ऊपर लगी और दाहिनी ओर पेट के पास से बाहर निकल गई थी। पीछे से परिचित अनवर और गुलरेज बाइक से आ रहे थे। अबरार, गुलरेज, अनवर और चार-पांच अन्य व्यक्ति एमवाय अस्पताल ले गए थे। फिर एमवाय से सीएचएल अपोलो अस्पताल ले गए। सीएचएल अस्पताल में ऑपरेशन के पहले रात 2.30 बजे उसका बयान हुआ था। सीएचएल में ऑपरेशन हुआ। 15-20 दिन भर्ती रहा। अस्पताल से छुट्‌टी होने के बाद अश्विन जोशी ने उसके ऊपर तीन बार हमला और करवाया था।

मोहम्मद अबरार बोला – मुन्ना अंसारी ने कहा टायर नहीं फटा गोली लगी है

मैं बाइक चला रहा था। पीछे मुन्ना अंसारी बैठे थे। रास्ते में एक आवाज आई तो उसने मुन्ना अंसारी से कहा कि बाइक का टायर फट गया है। इस पर मुन्ना अंसारी ने कहा कि टायर नहीं फटा, उसे गोली लगी है। तुरंत बाइक को टर्न कर एमवाय अस्पताल लेकर गया। उसे नहीं पता की मुन्ना अंसारी को किसनो गोली मारी थी। मुन्ना अंसारी ने उसे बताया था कि उसे अश्विन जोशी ने गोली मारी।

5 वजह जो बनी पूर्व विधायक के बरी होने का आधार

1- बाइक चलाने वाला ही पटल गया : कोर्ट में अबरार ने कहा कि उसे नहीं पता गोली किसने चलाई। अश्विन जोशी, इलियास और मुन्ना शर्मा को उसने गोली चलाते नहीं देखा। इतना ही नहीं कोर्ट में ये तक कहा कि 4 मई 2006 को ही वे जा रहे थे ये उसे याद नहीं। वो ये भी नहीं बता सकता कि मुन्ना अंसारी को मेडिकल होस्टल के सामने वाली जगह पर गोली लगी थी या नहीं। ये भी कहा कि आजाद नगर से मेडिकल होस्टल के सामने से नहीं वे तो रानीपुरा से निकले थे।

2 – सबूत नहीं, पुलिस कार्यवाही नहीं करना चाहती : संतोषसिंह भदौरिया ने अपने बयान में कोर्ट को बताया कि 8 जनवरी 2008 को वह संयोगितागंज थाने में प्रभारी-निरीक्षक के पद पर पदस्थ था। मामले में 25 अगस्त 2008 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी इंदौर को पत्र लिखा था, जिसमें कहा था कि संदेही अश्विन जोशी के खिलाफ सबूत न होने से पुलिस थाना संयोगितागंज अश्विन जोशी के खिलाफ कार्यवाही करना नहीं चाहती है।

3 – घटना स्थल पर अश्विन जोशी की उपस्थिति प्रमाणित नहीं हुई : घटना के समय अश्विन जोशी के मोबाइल की लोकेशन सदर बाजार टावर क्षेत्र की है। अगर वे घटना स्थल पर होते तो मोबाइल टावर लोकेशन दवा बाजार होती। कुछ गवाहों ने घटना से समय जोशी के उनके साथ (मार्तण्ड चौक पर) होने की बात कही। घटना स्थल पर अश्विन की उपस्थिति प्रमाणित नहीं हुई।

4 – अंसारी के बयान पर उठे सवाल : सीएचएल अस्पताल में अंसारी का इलाज करने वाले डॉक्टर राकेश शिवहरे ने कहा कि अंसारी को जो लोग लेकर आए थे उन्होंने बताया था कि उसे गोली मारी गई है। रात 2.30 से सुबह 8 बजे तक अंसारी का ऑपरेशन हुआ। किसी भी व्यक्ति को ऑपरेशन थिएटर में जाकर पूछताछ करने की अनुमति नहीं थी। जबकि अंसारी ने रात 2.30 से 2.45 बजे तक बयान होना बताया था।

5 – रिवाल्वर बरामद नहीं हुई, केस डायरी गुम : कोर्ट के निर्देशों के बावजूद केस डायरी पेश नहीं की गई। मूल केस डायरी और उसकी काउंटर डायरी जो सीएसपी कार्यालय में रहती है दोनों गुम हो जाना बताया गया। आरोपियों से रिवाल्वर, घटना स्थल से गोली भी बरामद नहीं हुई। मेडिकोलीगल रिपोर्ट में चोट बंदूक की गोली से लगने की बात आई। वैज्ञानिक जांच में हथियार का प्रकार स्पष्ट नहीं हुआ।

पढ़िए जांच अधिकारी ने बयान में क्या कहा

जांच अधिकारी रमाकांत मिश्र ने बयान में कहा कि उसने मुन्ना अंसारी का कुर्ता, बाइक पर लगा खून जांच के लिए फॉरेंसिक लैब सागर भेजा था। मुन्ना अंसारी का धारा 161 का बयान 19 जून 2006 को लिया था। तब तक उसके पास केस डायरी थी।

कोर्ट की टिप्पणी : आरोपियों को बचाने जान बूझकर केस डायरी पेश नहीं की

  • कोर्ट में 4 साल बाद भी केस डायरी पेश नहीं हुई। पुलिस अधिकारियों ने केस डायरी गुम होने की बात कही।
  • केस डायरी गुम होने की कहानी फर्जी है, क्योंकि मुन्ना अंसारी केस डायरी में लगाए जाने वाले बयान की फोटो कॉपी पेश कर चुके हैं।
  • केस डायरी से मुन्ना अंसारी के पुलिस बयान पेश किए गए हैं, जो उसके द्वारा 17 अक्टूबर 22 से 4-5 दिन पूर्व ही पुलिस से मिलना बताया है।
  • यह तथ्य स्पष्ट करते हैं कि केस डायरी को जानबूझकर पेश नहीं किया गया है। साथ ही उक्त घटना से संबद्ध अपराध क्रमांक 409/2006 दर्ज किया गया है।
  • उसके पूर्व के अपराध क्रमांक 408/2006 को एफआईआर कट्टे से फाड़ा गया है। इस प्रकार दो भिन्न कार्यालयों (पुलिस थाना और सीएसपी कार्यालय) से केस डायरी का एक साथ गायब होना और पूर्व के अपराध क्रमांक का एफआईआर कट्टे से फाड़ा जाना इंगित करता है कि ये सब जानबूझकर ज्ञात/अज्ञात आरोपियों को बचाने के लिए किया गया है।

ये काम केवल अनुसंधान की लापरवाही नहीं होकर जानबूझकर सबूत मिटाने और न्यायालय के समक्ष सही तथ्य प्रकट नहीं करने के संबंध में है, जो कि विभागीय कार्यवाही के अतिरिक्त आपराधिक कार्यवाही के रूप में कार्यवाही योग्य है। अत: विधिक कार्यवाही के लिए निर्णय की कॉपी पुलिस महानिदेशक और गृह सचिव मप्र राज्य भोपाल को और आपराधिक नियम एंव आदेश के नियम 241 के तहत कार्यवाही के लिए जिला मजिस्ट्रेट को भेजी जाए।

अश्विन जोशी और मुन्ना अंसारी के बीच ये है विवाद का कारण

  • घटना के वक्त महेश जोशी खेमे की आंख का कांटा बन चुके मुन्ना अंसारी कुछ साल पहले तक जोशी खेमे के खास सिपहसालार थे।
  • मूलतः इंजीनियर अंसारी ने 1980 और 1985 के विधानसभा चुनाव में जोशी के पक्ष में मुस्लिम बहुल इलाकों में माहौल बनाने के साथ ही प्रचार सामग्री तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • 1993 के नगर निगम चुनाव के समय से जोशी से उनके मतभेद शुरू हुए और अश्विन जोशी के विधायक बनने के बाद तो मामला चरम पर पहुंच गया।
  • 1993 के निगम चुनाव में जब कांग्रेस में मामला फ्री फॉर ऑल हो गया तो महेश जोशी के कहने पर ही शहर कांग्रेस ने इस वार्ड में मुन्ना के बजाय शकील अंसारी को प्राथमिकता दी।
  • मुन्ना यह चुनाव हारे। इसके बाद के चुनाव में उनकी पत्नी यास्मीन अंसारी यहां से पार्षद बनी और उसके बाद कई मौकों पर अश्विन जोशी और वो आमने-सामने हुए।
  • 2004 में हुए चुनाव में फिर विधायक के हस्तक्षेप के चलते मुन्ना का टिकट कटा तो वे निर्दलीय ही चुनाव लड़ लिए और विधायक समर्थक शकील अंसारी को हराकर वे पार्षद बने।
  • प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष यादव से भी अंसारी के नजदीकी संबंध थे।

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