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ठगों ने विज्ञानी के 71 लाख 14 खातों में भेजे, मणिपुर से लेकर प. बंगाल के अकाउंट्स से निकाले

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राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र के विज्ञानी अनिल कुमार से 71 लाख रुपये की धोखाधड़ी हुई। पुलिस ने 14 बैंक खातों को ट्रेस किया और विशेष जांच दल का गठन किया। आरोपितों ने फर्जी खातों का उपयोग कर ठगी की, जिससे अनिल कुमार ने मानसिक दबाव का सामना किया।

By Neeraj Pandey

Publish Date: Sat, 05 Oct 2024 10:37:20 PM (IST)

Updated Date: Sat, 05 Oct 2024 10:37:20 PM (IST)

इंदौर में विज्ञानी से 71 लाख की ठगी। प्रतीकात्मक तस्वीर

HighLights

  1. डिजिटल अरेस्ट कर 71 लाख रुपये की ठगी
  2. पुलिस ने कई बैंकों के 14 खातों को ट्रैस किया
  3. आरोपितों द्वारा इस्तेमाल किए गए खाते फर्जी

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर : राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र के विज्ञानी अनिल कुमार से साथ हुई 71 लाख रुपये की धोखाधड़ी में 14 खाते ट्रेस हुए हैं, जिनमें ठगी की राशि ट्रांसफर की गई थी। पुलिस अब बंगाल, मणिपुर, गुजरात में दबिश दे रही है। इसके साथ ही उन नंबरों की जांच भी कर रही है, जिनसे आरोपितों ने विज्ञानी से चर्चा की थी।

उप्र के एक खाते में ट्रांसफर की राशि

हाईप्रोफाइल ठगी की जांच के लिए पुलिस आयुक्त राकेश गुप्ता ने विशेष जांच दल का गठन किया है। सूर्यदेवनगर निवासी 54 वर्षीय अनिल कुमार (सहायक विज्ञानी) को साइबर अपराधियों ने डिजिटल हाउस अरेस्ट कर 71 लाख रुपये वसूले थे। शुक्रवार को अपराध शाखा ने इस मामले में एफआइआर दर्ज कर जांच की तो पता चला कि आरोपितों ने अनिल कुमार से 51 लाख रुपये उप्र स्थित एसबीआइ बैंक में जमा करवाए।

अलग-अलग कई खातों में भेजे पैसे

राशि खाते में आते ही एचडीएफसी, एक्सिस, आइडीएफसी और उजीवन बैंक के नौ खातों में ट्रांसफर कर ली गई। 12 लाख रुपये मणिपुर और बंगाल के आइसीआइसीआइ बैंक के खाते में जमा हुई। इस राशि को तीन अन्य बैंकों में ट्रांसफर कर लिया गया। इसी तरह गुजरात स्थित वेरचा बैंक में जमा हुए पांच लाख रुपये भी आरोपितों ने दो अन्य बैंकों में ट्रांसफर कर लिए ताकि जांच होने के पहले रुपये निकाल लिए जाएं।

नकली खातों का इस्तेमाल

एडिशनल डीसीपी (अपराध) राजेश दंडोतिया के मुताबिक अपराधी इस प्रकार की धोखाधड़ी के लिए फर्जी खातों का इस्तेमाल करते हैं, जो दुकानदार, मजदूर, गरीब महिलाओं के नाम से खुलवाए जाते हैं। मामले की जांच विशेष दस्ता से करवाई जाएगी, जिसमें एक्सपर्ट शामिल हैं। पुलिस उन नंबरों की जांच कर रही है, जिनसे आरोपितों ने विज्ञानी को काल लगाए थे। आरोपितों ने ट्रू कालर पर दिल्ली साइबर सेल और सीबीआइ के नाम से नंबर सेव कर रखे थे।

विज्ञानी की आपबीती; अवसाद में गुजरे वो सात दिन

आरोपितों ने शुरुआत में ट्राई अफसर बताया। सिमकार्ड दो दिन में बंद करने की धमकी दी। मैंने क्राइम ब्रांच में शिकायत करने का प्रस्ताव दिया तो आरोपितों ने कहा कि शिकायत दिल्ली क्राइम ब्रांच में करनी होगी। इसके बाद मैं उनके ट्रेप में फंसता चला गया। मनी लान्ड्रिंग का नाम लिया तो घबरा गया। पति-पत्नी को सात दिन तक सर्विलांस पर रखा।

हमारे दोनों फोन पर आरोपितों के वीडियो काल्स थे। तीसरा फोन भी उनके सामने ही उठाते थे। थोड़ा इधर-उधर होने पर पुलिस भेजने की धमकी देते थे। आरोपितों ने मुझे आधार कार्ड-पेन कार्ड भेजा तो मैं उन पर विश्वास करने लगा। ईडी और सीबीआइ का नोटिस देखकर घबरा गया। वीडियो काल पर मैंने देखा आरोपित वर्दी में बैठे थे। बैकग्राउंड में भी जांच एजेंसी का मोनो बना था।

इन सात दिनों में मैं बैंक भी गया। परिचित अफसर और दोस्त मिले, लेकिन उनसे भी घटना के बारे में नहीं बता सका। म्यूचुअल फंड की राशि तीन दिन बाद खाते में आई लेकिन फिर भी मैं यह नहीं समझ सका कि मेरे साथ फ्राड हो रहा है।

(जैसा विज्ञानी अनिल कुमार ने नईदुनिया को बताया)

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