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पीटी उषा देंगी 125 पन्नों का जवाब: भारतीय ओलिंपिक संघ की अध्यक्ष हैं उषा, रिलायंस के साथ डील में गड़बड़ी के आरोप

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2 घंटे पहले

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IOA अध्यक्ष पीटी ऊषा

भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन (IOA) की अध्यक्ष पीटी ऊषा CAG के आरोपों का जवाब 8 अक्टूबर को देंगी। CAG ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि IOA ने रिलायंस के साथ स्पॉन्सरशिप डील में 24 करोड़ रुपए का नुकसान उठाया है। उषा अभी केरल में हैं और 8 को दिल्ली पहुंचने पर 125 पन्नों की रिपोर्ट के जरिए जवाब सौंपेंगी। यह भी दावा किया जा रहा है कि इस रिपोर्ट में उषा IOA कोषाध्यक्ष की वित्तीय अनियमतता का खुलासा भी करेंगी।

सबसे पहले जानते हैं CAG का आरोप क्या है CAG ने भारतीय ओलिंपिक संघ और रिलायंस के बीच हुई स्पॉन्सरशिप डील पर सवाल उठाया है। 2022 में 6 इवेंट के लिए 35 करोड़ रुपए में डील हुई थी। बाद में चार और इवेंट डील में जोड़े गए लेकिन इसके लिए कोई अतिरिक्त राशि IOA को नहीं मिली। CAG का मानना है कि इसके लिए और 24 करोड़ रुपए IOA को मिलने चाहिए थे।

रिपोर्ट कहती है…2022 में जब रिलायंस के साथ डील फाइनल हुई थी, तब इसमें दो विंटर ओलिंपिक और दो यूथ ओलिंपिक शामिल नहीं थे। तब IOA ने 6 मेगा इवेंट्स के लिए 35 करोड़ रुपए में डील फाइनल की थी। यानी एक इवेंट के लिए करीब 6 करोड़ रुपए की रकम तय हुई थी। 2023 में चार और इवेंट्स के लिए डील एक्सटेंड हुई, लेकिन इसके लिए कोई अतिरिक्त रकम नहीं ली गई है। इनमें से हर एक के लिए 6-6 करोड़ रुपए और मिलने चाहिए थे। यानी 24 करोड़ रुपए और मिलने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। IOA ने 59 की जगह 35 करोड़ रुपए ही लिए।

पीटी उषा के जवाब में शामिल होंगे ये 2 पॉइंट्स 1. 2022 में रिलायंस के साथ हुई डील में तब के पदाधिकारियों ने भूल की थी। रिलायंस के साथ जब 6 मेगा इवेंट्स (दो ओलिंपिक, दो एशियन गेम्स और दो कॉमनवेल्थ गेम्स) के लिए डील फाइनल हुई थी तब उसमें इंटरनेशनल ओलिंपिक काउंसिल (IOC) की शर्तों को नहीं जोड़ा गया था।

डील के मुताबिक किसी इवेंट के दौरान इंडिया हाउस नाम की गैलरी बनेगी तो रिलायंस उसमें अपने नाम का इस्तेमाल कर सकेगी। उदाहरण के लिए पेरिस ओलिंपिक के दौरान वहां इंडिया हाउस बना तो डील के मुताबिक इसका नाम रिलायंस इंडिया हाउस होता। लेकिन, IOC की शर्त के मुताबिक इसमें स्पॉन्सर का नाम इस्तेमाल नहीं हो सकता है।

रिलायंस को जब यह बात पता चली तो वह 6 इवेंट के लिए 35 की जगह 17 करोड़ रुपए ही देने पर अड़ गई। रिलायंस का तर्क था कि जब वह अपने नाम का इस्तेमाल नहीं कर पा रही तो फिर डील करने का फायदा क्या है। रिलायंस डील से बाहर न हो और IOA को पूरे 35 करोड़ मिले इसके लिए मुआवजे के तौर पर चार और इवेंट्स के डील एक्सटेंड की गई। इसमें 2 विंटर ओलिंपिक और 2 यूथ ओलिंपिक शामिल हैं।

2 .IOA के वर्तमान कोषाध्यक्ष ने CAG को गुमराह किया है। पीटी उषा के मुताबिक चार अलग-अलग फेडरेशन के ऊपर IOA की 3.11 करोड़ रुपए का राशि बकाया थी। लंबे समय तक भुगतान न हो पाने के कारण इसके ऊपर 16.90 करोड़ रुपए का ब्याज भी चढ़ गया। कोषाध्यक्ष ने इस रकम को IOA के बही-खाते से बाहर कर दिया। जिन फेडरेशन के पास IOA की राशि बकाया है उनमें वेटलिफ्टिंग फेडरेशन (1.75 करोड़ रुपए), हॉकी फेडरेशन ऑफ इंडिया (83 लाख रुपए), स्की एंड स्नो बोर्ड (25.58 लाख) और जिमनास्टिक फेडरेशन (25.11 लाख) शामिल हैं।

2010 में भारत में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान वेटलिफ्टिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया पर डोपिंग के कारण बैन लगा हुआ था। वेटलिफ्टिंग फेडरेशन पर करीब 5 करोड़ का जुर्माना लगाया था। उस समय फेडरेशन ने IOA से 1.75 करोड़ रुपए लेकर जुर्माना भरा था। यह राशि आजतक IOA को वापस नहीं की गई है। हॉकी फेडरेशन ने 2009 में और स्की एंड जिम्नास्टिक फेडरेशन ने 2019 में IOA की मदद ली थी। लेकिन, इन फेडरेशन ने भी पैसे वापस नहीं किए।

कोषाध्यक्ष का जवाब कोषाध्यक्ष सहदेव यादव ने कहा कि 2010 में वेटलिफ्टिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया को जुर्माना भरने के लिए IOA ने दिया था। उन्होंने कहा कि सभी आरोप बेबुनियाद है। कैग को वह भी लिखित में जवाब दे देंगे।

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