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कलेक्टर कोर्ट में विराचाधीन था बहाली का केस: हटाने का प्रस्ताव डेढ़ साल पहले ग्रामसभा ने भेजा था; रोजगार सहायक सुसाइड मामला – Khandwa News

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जनपद सीईओ रीना चौहान/ मृतक रोजगार सहायक गजेंद्र राठौड़।

खंडवा में 5 महीने से बर्खास्त चल रहे गुलगांव रैय्यत पंचायत के रोजगार सहायक गजेंद्र राठौड़ ने मंगलवार को जहर खाकर जान दे दी। वीडियो के जरिए आरोप लगाया कि वह बकाया वेतन मांग रहा था, जिसके बदले जनपद सीईओ रीना चौहान द्वारा रिश्वत मांगी जा रही थी। बच्चों क

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इस वीडियो के बाद मामला गर्माया तो पुनासा जनपद सीईओ रीना चौहान को हटाया दिया गया। मूंदी पुलिस रोजगार सहायक के सुसाइड केस की जांच कर रही हैं। इधर, सामने आया कि 7 जून 2024 को सीईओ जिला पंचायत द्वारा गजेंद्र की सेवा समाप्त कर दी गई थी। गजेंद्र को हटाने की मांग 5 दिसंबर 2022 को ग्रामसभा ने की थी। ग्राम सभा के प्रस्ताव को जनपद पंचायत ने ही जिला पंचायत भेजा था। कार्य में लापरवाही, लगातार अनुपस्थिति और मनरेगा में खराब परफॉर्मेंस प्रमुख वजह रहीं थी।

कलेक्टर कोर्ट में विराचाधीन था बहाली का केस

एक पंचायत सचिव बताते है कि नौकरी में आने के बाद गजेंद्र ने शुरुआत में बेहतर काम किया। लेकिन बाद में उसकी दोस्ती उन लोगों से हो गई, जो नशे के आदि थे। जो गजेंद्र का सिर्फ पैसे के लिए इस्तेमाल करते थे। यहीं कारण था कि वह पंचायत के कामों में रुचि नहीं लेने लगा। दो-तीन बार उसकी नौकरी पर बन आई थी। लेकिन परेशानी देखकर सामाजिक नेताओं ने भी उसकी मदद की।

फिलहाल बर्खास्तगी के मामले में कलेक्टर कोर्ट में अपील लगी थी। जिस पर सुनवाई के लिए एक-दो पेशी हो चुकी थी। इस दौरान वह अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट के समक्ष पेश हुआ था। शायद वह दीवाली बाद बहाल हो जाता। गांव में सरपंच उसके रिश्तेदार हैं। लेकिन ग्रामीणों की शिकायत थी, इस कारण उसे हटाने का प्रस्ताव देना पड़ा था।

नौकरी जाने से परेशान था, लेकिन उकसाया किसने?

गजेंद्र के सुसाइड को लेकर सवाल उठ रहे हैं। परिचित बताते है कि वह घटना वाले दिन केनूद तालाब के पास अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर रहा था। जिसके बाद आत्मघाती कदम उठाया। ये जरूर है कि गजेंद्र की संगति गलत लोगों के साथ थी। लेकिन सुसाइड के पीछे यहीं सवाल उठ रहे हैं कि गजेंद्र को जहर खाने के लिए उकसाया किसने? इस तरह का आत्मघाती कदम वो नहीं उठा सकता था।

क्योंकि दो साल से अनुपस्थिति के कारण उसे वेतन नहीं मिला था। उसे इस बात का मलाल भी नहीं था। गजेंद्र अपने परिवार से ज्यादा ससुराल पक्ष से संपन्न था। जून 2024 में बर्खास्त होने के बाद वह सिर्फ जनवरी से मई महीने तक का वेतन मांग रहा था। जनवरी 2024 से पहले तक रोजगार सहायक को महज 9 हजार रूपए वेतन मिलता था।

लेकिन विधानसभा चुनाव के चलते सरकार ने वेतन दोगुना कर दिया था। 18 हजार रूपए महीने का वेतन होने से गजेंद्र को लगा कि वह दावा कर सकता है। उसने 5 माह के वेतन 90 हजार रूपए की मांग की। जिसके बदले जनपद के अफसरों द्वारा रिश्वत मांगी जा रही थी। जो देने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। हालांकि सीईओ रीना चौहान का कहना है कि अनुपस्थिति का वेतन कैसे दे पाती।

रोजगार सहायक ने जहर खाकर दी जान:वीडियो में कहा- जनपद सीईओ पैसे मांगती है; इंदौर कमिश्नर ने सीईओ को हटाया

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