छह घाटों पर 500 से अधिक मां की मूर्तियां विसर्जित हुई। विसर्जन का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहेगा। इससे पहले वर्षा के कारण झांकियों को पालिथीन से ढकना पड़ा। वहीं चल समारोह के लिए बनाए गए मंच वर्षा से भींग गए।
By Brajendra verma
Publish Date: Mon, 14 Oct 2024 10:34:14 AM (IST)
Updated Date: Mon, 14 Oct 2024 10:34:14 AM (IST)
HighLights
- विसर्जन घाटों पर पूरे दिन मां दुर्गा जी मूर्तियां होती रहीं विसर्जित।
- वर्षा के कारण चल समारोह में शामिल मूर्तियों को पालिथीन से ढाका ।
- ढोल-ढमाकों के साथ विसर्जन का सिलसिला चलता रहा,अखाड़े भी निकले।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। श्री हिंदू उत्सव समिति द्वारा हर वर्ष की तरह इस बार भी पुराने शहर के भारत टाकीज से दुर्गा विसर्जन चल समारोह शुरू हुआ। रविवार शाम 7:30 बजे से मातारानी की झांकियां पहुंचने लगी थीं। रात 10 बजे चल समारोह की शुरुआत हुई। समारोह में 125 से अधिक चलित झांकियां और पांच से 18 फीट तक मां की मूर्तियां शामिल रहीं।
चल समारोह में मां दुर्गा का दरबार, श्री कृष्ण लीला प्रसंग, अयोध्या का राम मंदिर समेत अन्य आकर्षक झांकियों ने लोगों का मन मोह लिया। खटलापुरा, प्रेमपुरा, सीहोर नाका, हथाईखेड़ा सहित छह घाटों पर 500 से अधिक मां की मूर्तियां विसर्जित हुई। विसर्जन का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहेगा। इससे पहले वर्षा के कारण झांकियों को पालिथीन से ढकना पड़ा। वहीं चल समारोह के लिए बनाए गए मंच वर्षा से भींग गए। इससे चल समारोह शुरू होने में देरी भी हुई।
निकले अखाड़े, दिखाए करतब
श्री हिंदू उत्सव समिति के अध्यक्ष संतोष साहू ने बताया कि इस बार चल समारोह परिवर्तित मार्ग भारत टाकीज से निकाला गया। इसमें ढोल, बैंड, तासे पर श्रद्धालु नृत्य कर रहे थे, और माता रानी के जयकारे गूंज रहे थे। जगह-जगह अखाड़ों के कलाकार करतब दिखा रहे थे। चल समारोह में 150 से अधिक मूर्तियां और चलित झांकियां शामिल थीं।
क्रेन मशीन हुई खराब
-इस दौरान भदभदा घाट पर विसर्जन के दौरान क्रेन मशीन खराब हो गई। ऐसे में श्रद्धालुओं की मदद से मां दूर्गा जी मूर्तियों का विसर्जन किया गया। थोड़ी देर बाद क्रेन मशीन को सुधार कर लिया गया। इसके बाद मूर्तियों का विसर्जित करने का सिलसिला फिर से शुरू हो सका।
ढोल-ढमाकों के साथ विसर्जन
ढोल-ढमाकों के साथ विसर्जन का सिलसिला चलता रहा। विसर्जन घाटों पर मूर्तियों का सुरक्षित विसर्जन कराने 150 से अधिक गोताखोरों को आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में नियुक्त किया हुआ है। इनके जरिए ही मूर्तियों को विसर्जित किया गया। लोगों को पानी के पास नहीं पहुंचने दिया जा रहा है। इसके साथ कुंड की तुरंत सफाई भी की जा रही है। रविवार तक विसर्जित मूर्तियों की संख्या 1500 से अधिक पहुंच जाएगी।
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