रिपोर्ट्स के अनुसार, स्पेसएक्स का फाल्कन हैवी रॉकेट, यूरोपा क्लिपर स्पेसक्राफ्ट को स्पेस में ले जाएगा। यूरोपा तक पहुंचने के लिए स्पेसक्राफ्ट को 2.9 अरब किलोमीटर का सफर तय करना होगा। इस पूरे मिशन की लागत 5 अरब डॉलर बताई जाती है, जिसका मकसद यूरोपा की बर्फीली सतह के नीचे जीवन के लिए मौजूद हालात की जांच करना है।
पृथ्वी के बाहर यूरोपा ऐसा अकेला खगोलीय पिंड है, जिसे लेकर सभी वैज्ञानिक यह मानते हैं कि यूरोपा में एक विशाल महासागर है, जिसमें पृथ्वी पर मौजूद महासागरों से भी ज्यादा पानी है। अगर यूरोपा स्पेसक्राफ्ट ऐसा कुछ खोज पाता है, तो वैज्ञानिकों के लिए यह बड़ी कामयाबी होगी।
यूरोपा स्पेसक्राफ्ट में नासा के कई हाईटेक इंस्ट्रूमेंट्स लगाए हैं, जिनमें हाई-रेजॉलूशन कैमरा, बर्फ में काम करने वाले रडार, मैग्नोमीटर आदि शामिल हैं।
6 साल बाद पहुंचेगा स्पेसक्राफ्ट
साल 2024 में लॉन्च हो रहा यूरोपा स्पेसक्राफ्ट, बृहस्पति ग्रह तक साल 2030 तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, स्पेसक्राफ्ट करीब 49 बार यूरोपा के नजदीक से उड़ान भरेगा। यह बहुत कम ऊंचाई से यूरोपा को स्कैन करेगा ताकि बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा के बारे में डिटेल जानकारी हासिल की जा सके।
यूराेपा मिशन की कामयाबी का पता अगले दशक में चलेगा। अगर स्पेसक्राफ्ट वहां जीवन की संभावनाओं को तलाश पाता है, तो यह एलियंस (Aliens) को लेकर हमारी समझ को भी आकार देगा।
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