0

बीजेपी नेता की 1 लाख फॉलोअर्स चोरी होने की शिकायत: आईटी कोर्ट का फेसबुक को नोटिस; जानिए, डेटा चोरी पर क्या कहता है कानून – Madhya Pradesh News

Share

मैं विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारियों में जुटा था। पार्टी ने कहा था कि टिकट के दावेदारों के लिए ये भी क्राइटेरिया होगा कि वे सोशल मीडिया पर कितने एक्टिव हैं? मैंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट को एक्टिव किया। मेरे 1 लाख 80 हजार फॉलोअर्स हो गए थे।

.

फिर एक दिन अचानक मेरा फेसबुक पेज हैक हो गया। मैंने साइबर सेल में शिकायत की। इसके बाद आईटी कोर्ट में अपील दायर की। कोर्ट ने फेसबुक को नोटिस दिया है। फेसबुक ने अभी तक इसका जवाब नहीं दिया है। 22 अक्टूबर तक फेसबुक को जवाब देना है।

ये आपबीती सागर में प्राइवेट यूनिवर्सिटी के संचालक और बीजेपी नेता अनिल तिवारी की है। अनिल तिवारी का फेसबुक पेज अक्टूबर 2023 में हैक हो गया था। तिवारी के साथ जो हुआ, वो नया नहीं है। सोशल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2023 में भारत में 53 लाख सोशल मीडिया अकाउंट हैक हुए थे।

ऐसा होने पर ज्यादातर यूजर नया अकाउंट जनरेट कर लेते हैं। साइबर लॉ एक्सपर्ट के मुताबिक, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 के तहत यूजर्स आईटी कोर्ट में इसकी अपील कर सकते हैं। इस तरह उनको चोरी डेटा वापस मिल सकता है। आखिर, क्या कहता है कानून और कैसे यूजर अपने डेटा की सुरक्षा कर सकते हैं…पढ़िए रिपोर्ट

इन तीन मामलों से समझिए, कैसे डेटा चोरी होता है..

केस 1: हैकर ने पेज का कंट्रोल छीन लिया सागर में प्राइवेट यूनिवर्सिटी के संचालक और बीजेपी नेता अनिल तिवारी का फेसबुक पेज पिछले साल अक्टूबर में हैक हुआ था। तिवारी कई साल से फेसबुक पेज को अपडेट कर रहे थे। उनके फॉलोअर्स की संख्या 1 लाख 84 हजार पहुंच गई थी।

अनिल कहते हैं- मैं विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहा था। सोशल मीडिया अकाउंट इसमें अहम भूमिका निभा रहा था। मैं टिकट की दावेदारी करने वाला था। अक्टूबर 2023 में अचानक मेरा फेसबुक पेज बंद हो गया। मैं इसे न तो एक्सेस कर पा रहा था, न ही कंटेंट पर मेरा कंट्रोल रह गया था।

जिस दिन पेज हैक हुआ, उसके तीसरे या चौथे दिन हैकर ने मेरे ही पेज पर पोस्ट किया गया कंटेंट री-पोस्ट किया यानी वह कुछ भी पोस्ट कर सकता था। मैंने इसकी शिकायत फेसबुक को की लेकिन कंपनी ने पेज का कंट्रोल वापस नहीं दिया।

इसके बाद मैंने द कोर्ट ऑफ एडजीक्यूटिंग ऑफिसर, साधारण भाषा में कहें तो आईटी कोर्ट से शिकायत की और डिजिटल प्रॉपर्टी चोरी होने की अपील दायर की। इसके बाद आईटी कोर्ट ने फेसबुक को नोटिस जारी किया है।

ये वो नोटिस है, जो मेटा कंपनी को दिया गया है। इसमें 22 अक्टूबर तक जवाब मांगा गया है।

ये वो नोटिस है, जो मेटा कंपनी को दिया गया है। इसमें 22 अक्टूबर तक जवाब मांगा गया है।

केस 2: पूर्व मंत्री के आधार कार्ड से छेड़छाड़ पिछले दिनों कटनी की विजयराघवगढ़ सीट से भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री संजय पाठक के आधार कार्ड में किसी ने पता बदल दिया। दिल्ली के किसी साइबर फ्रॉड ने इस घटना को अंजाम दिया है। आधार कार्ड में उनका पता कटनी के पाठक वार्ड से बदलकर चंड़ीगढ़ के जीरकपुर, पंजाब कर दिया गया।

पाठक ने इसकी शिकायत कटनी एसपी से की। जांच के बाद पता चला कि यह बदलाव 23 अप्रैल 2024 को किया गया था। पाठक ने बताया कि उन्हें बैंक की ओर से बताया गया था कि उनके आधार कार्ड के एड्रेस में बदलाव हुआ है।

आधार कार्ड में बदलाव के लिए यूजर के रजिस्टर्ड नंबर पर ओटीपी जनरेट होता है। पाठक के मुताबिक, उनके पास न तो ओटीपी आया और न ही उन्होंने किसी को ये शेयर किया। पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है लेकिन इस मामले ने यूआईडीएआई की सुरक्षा पर भी सवाल उठा दिए हैं।

आधार कार्ड में संजय पाठक की बिना जानकारी के पता बदल दिए जाने के बाद उन्होंने नए सिरे से आधार सेंटर पर जाकर बायो मैट्रिक ऑथेंटिफिकेशन कराया।

आधार कार्ड में संजय पाठक की बिना जानकारी के पता बदल दिए जाने के बाद उन्होंने नए सिरे से आधार सेंटर पर जाकर बायो मैट्रिक ऑथेंटिफिकेशन कराया।

केस 3: डेढ़ लाख फॉलोअर्स एक झटके में खत्म हो गए भोपाल के रहने वाले राहुल सेन कहते हैं- मैंने कोरोना के समय इंस्टाग्राम पर देवी भक्ति पेज ‘मां वैष्णो देवी’ बनाया था। मैं खुद मां दुर्गा का भक्त हूं। भक्ति से संबधित वीडियो, पोस्ट लगातार अपडेट करता रहा और फॉलोअर्स बढ़ते गए। साल 2023 तक मेरे डेढ़ लाख से अधिक फॉलोअर्स हो चुके थे। पेड प्रमोशन से इनकम भी होने लगी थी।

एक दिन अचानक पेज बंद हो गया। मैने इंस्टाग्राम पर अपील की। साइबर सेल में भी शिकायत की लेकिन एक्सेस नहीं मिला। कुछ दिनों बाद पेज को बिहार से एक्सेस किया गया। वहां से वीडियो भी डाले गए। मैंने इसकी लगातार शिकायत की लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ।

राहुल ने बताया कि शिकायतों के बाद एक्टिविटी तो रुक गई लेकिन पेज का एक्सेस मुझे नहीं मिला। धीरे-धीरे पेज के फॉलोअर्स भी कम होते गए।

अब जानिए, क्या है डिजिटल प्रॉपर्टी साइबर लॉ एक्सपर्ट यशदीप चतुर्वेदी बताते हैं- डिजिटल प्रॉपर्टी में केवल सोशल मीडिया अकाउंट ही शामिल नहीं हैं। किसी व्यक्ति का साइबर वर्ल्ड में जो भी अकाउंट, स्पेस या डेटा है…जिसका एक्सेस उस व्यक्ति के हाथ में है, वह उसकी डिजिटल प्रॉपर्टी है। हेल्थ डेटा, बैंकिंग अकाउंट या बायो मैट्रिक डेटा भी डिजिटल प्रॉपर्टी का हिस्सा है।

इसी में शामिल होता है डिजिटल पर्सनल डेटा। इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं। जब आप अपने मोबाइल में किसी कंपनी का ऐप इन्स्टॉल करते हैं तो वह आपसे कई प्रकार की परमिशन मांगता है, जिसमें कैमरा, गैलरी, कॉन्टैक्ट, GPS जैसी अन्य चीजों का एक्सेस शामिल होता है… इसके बाद वह ऐप आपके डेटा को अपने हिसाब से एक्सेस कर सकता है।

किन तरीकों से सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो सकता है…

साइबर लॉ एक्सपर्ट यशदीप चतुर्वेदी कहते हैं कि सभी सोशल मीडिया अकाउंट को हैक करने के तरीके एक जैसे ही होते हैं।

पहला: टेक्निकल फ्लॉस (Technical Flaws) एक्सपर्ट कहते हैं कि सोशल मीडिया अकाउंट, जैसे- फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और लिंक्डइन का इस्तेमाल यूजर्स सोशल और प्रोफेशनल तौर पर लोगों से जुड़ने के लिए करते हैं। अगर सोशल मीडिया की एप्लीकेशन में किसी तरह का लूप होल होता है, तो इन्हीं टेक्निकल फ्लॉस का फायदा हैकर्स उठाते हैं। हालांकि, सोशल मीडिया की कंपनियों के पास अच्छे टेक्निकल प्रोफेशनल की टीम होती है, लेकिन इसके बावजूद हैकर्स टेक्निकल लूप होल निकाल ही लेते हैं।

दूसरा: फिशिंग ट्रेप (Phishing Trap) एक्सपर्ट के मुताबिक, दूसरी गलती जिसका फायदा हैकर्स उठाते हैं, वह यूजर्स की गलतियां ही होती हैं। इसमें कई तरह से हैकर्स लोगों की ID हैक कर सकते हैं। इसको ऐसे समझ सकते हैं कि हैकर्स कॉल या मैसेज करके आपसे फिशिंग लिंक शेयर कर सकते हैं।

जैसे ही आप इस लिंक पर क्लिक करेंगे तो आप फेसबुक, ट्विटर जैसी दिखने वाली साइट पर जा सकते हैं। इस पर वे लॉगिन करने को कहेंगे। अगर उनके झांसे में आकर लॉगिन करते हैं तो हैकर्स अकाउंट का ID और पासवर्ड चुरा सकते हैं। कई बार प्राइवेसी सेटिंग बदलने के नाम पर भी हैकर्स OTP मांग सकते हैं।

अब जानिए, कैसे कर सकते हैं आईटी कोर्ट में अपील यशदीप चतुर्वेदी बताते हैं कि आईटी एक्ट 2000 के तहत हर राज्य में कोर्ट ऑफ एडजीक्यूटिंग ऑफिसर या आइटी कोर्ट की स्थापना की गई है। यह सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े मामले, अपराध, विवाद आदि पर निर्णय के लिए बना ट्रिब्यूनल है। इसके जज प्रदेश के आईटी सेक्रेटरी होते हैं।

मध्यप्रदेश के वल्लभ भवन स्थित आईटी डिपार्टमेंट में यह कोर्ट चलता है। वर्तमान आईटी सेक्रेटरी एसीएस संजय दुबे इसके जज हैं। चतुर्वेदी के मुताबिक, साइबर फ्रॉड और साइबर अटैक के शिकार लोग आईटी कोर्ट में केस कर सकते हैं। प्रकरण को पढ़कर और साइबर लॉ एक्सपर्ट के तर्क सुनकर आईटी कोर्ट मामले को स्वीकार करने का निर्णय लेता है।

एक बार मामला कोर्ट में स्वीकार हो जाए तो संबधित पक्षों को नोटिस जारी किया जाता और कोर्ट पक्षों के तर्क सुनकर निर्णय देता है।

पिछले साल बना डेटा प्रोटेक्शन को लेकर कानून पिछले साल ही डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट बना है। इसके नियम और प्रक्रिया बनते ही इसके जरिए लोगों को अपने डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार मिल जाएगा। कंपनियों को यह बताना होगा कि वे कौन सा डेटा ले रही हैं और इसका क्या इस्तेमाल कर रही हैं? कानून में इसके प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों पर न्यूनतम 50 करोड़ रुपए से लेकर अधिकतम 250 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।

यशदीप बताते हैं- जब आप किसी कंपनी के ऐप को इंस्टॉल कर परमिशन देते हैं तो कई बार ये ऐप आपके पर्सनल डेटा को अपने सर्वर पर अपलोड कर लेते हैं और उसके बाद अन्य कंपनियों को बेच भी देते हैं। अभी तक हम ऐप से यह जानकारी नहीं ले पाते हैं कि वह हमारा कौन सा डेटा ले रहे हैं और उसका क्या यूज कर रहे हैं? यह कानून इसी तरह के डेटा को प्रोटेक्ट करने के लिए लाया गया है।

कोर्ट ऑफ एडजीक्यूटिंग ऑफिसर के जज और मप्र आईटी विभाग के एसीएस संजय दुबे बताते हैं- साइबर फ्रॉड के मामले में यदि उपभोक्ता अपनी गोपनीय जानकारी शेयर नहीं करता है, इसके बाद भी साइबर फ्रॉड का शिकार हो जाता है तो ऐसे मामलों में जांच के बाद कार्रवाई होती है।

इसमें सेवा में कमी के दोषी बैंक, टेलीकॉम या सेवा प्रदाता कंपनी से हर्जाना दिलाकर नुकसान की भरपाई करते हैं। ऐसे मामलों में हाल ही में दो निर्णय सुनाए गए हैं जबकि छह केस पेंडिंग हैं।

#बजप #नत #क #लख #फलअरस #चर #हन #क #शकयत #आईट #करट #क #फसबक #क #नटस #जनए #डट #चर #पर #कय #कहत #ह #कनन #Madhya #Pradesh #News
#बजप #नत #क #लख #फलअरस #चर #हन #क #शकयत #आईट #करट #क #फसबक #क #नटस #जनए #डट #चर #पर #कय #कहत #ह #कनन #Madhya #Pradesh #News

Source link