भोपाल के रविन्द्र भवन के मुक्ताकाश मंच में श्रीरामलीला उत्सव का शुभारंभ शुक्रवार शाम 06.30 बजे किया गया। 18 से 24 अक्टूबर तक चलने वाले इस सात दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा किया जा रहा है। जिसमें अवध आदर्श रामलीला मं
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उत्सव की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन एवं कलाकारों के स्वागत के साथ हुई, जिसमें लीला निर्देशक चंद्र माधव बारीक, पं. मनीष दास, संचालक संस्कृति विभाग एन.पी. नामदेव और अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
पं. मनीष दास व संचालक संस्कृति विभाग एन.पी. नामदेव ने दीप प्रज्जवलन कर किया शुभारंभ।
विशेष आकर्षण
उत्सव में “श्रीरामराजा सरकार” श्रीराम के छत्तीस गुणों का चित्र कथन “वनवासी श्रीराम” वनगमन पथ के महत्त्वपूर्ण स्थलों का चित्रांकन एवं “चरित” रामलीला में प्रयुक्त मुखौटे और मुकुट की प्रदर्शनी का भी संयोजन किया गया है।
रामायण के पात्रों के मुखौटे प्रदर्शनी में लगाए गए हैं।
उत्सव के पहले दिन श्रीराम जन्म की प्रस्तुति दी गई। श्रीरामलीला मंचन में श्रीराम जन्म की लीला का मंचन हुआ, श्रीराम के बाल स्वरूप के दर्शन की अभिलाषा के साथ भगवान भोलेनाथ के अयोध्या में आगमन व आनन्दित होकर नृत्य करने की लीला का सुन्दर मनोहारी मंचन हुआ। श्रीराम के साथ भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म होते ही पूरी अयोध्या में हर्ष छा जाता है, चारों ओर जय-जयकार होने लगती है। सभी एक-दूसरे को बधाई देने लगते हैं। प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, भरत-शत्रुघ्न के जन्म के साथ अयोध्या नगरी में खुशियां झूम उठीं। राजा दशरथ की आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे। प्रभु श्रीराम और उनके भाइयों के दर्शन को सभी लालायित हो उठे। प्रभु की ख़ूबसूरती की चारों दिशाओं में गूंज होती है। साक्षात भगवान भोलेनाथ कैलाश से श्रीराम के दर्शन करने अयोध्या नगरी दौड़े चले आते हैं।
श्रीराम के बाल स्वरूप के दर्शन की अभिलाषा के साथ भगवान भोलेनाथ के अयोध्या में आगमन व आनन्दित होकर नृत्य करने की लीला का सुन्दर मनोहारी मंचन हुआ।
अंगद ने रावण की सभा में प्राण विद्या का इस्तेमाल करके अपने पैरों को इतना मज़बूत बना लिया था कि कोई उन्हें हिला नहीं सका. ।
- रामलीला के एक प्रसंग में हनुमान भगवान राम और लक्ष्मण से विनती करते हुए।
रामलीला में प्रयुक्त मुखौटे एवं मुकुट की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई है।
श्रीहनुमान लीला में भगवान हनुमान के जीवन के उपाख्यानों को 15 दृश्यों में प्रस्तुत किया गया। भारतीय पौराणिक आख्यानों में सबसे बड़े भक्त के रूप में श्रीहनुमान जी का वर्णन अलग-अलग संदर्भों में आता है। अपने बाल्यकाल से ही श्रीहनुमान जी एक लीला की संरचना करते हैं, जिसमें वे सूर्य को निगलते हैं और देवता चिंतित हो जाते हैं। तब सभी देवता उपस्थित होकर श्रीहनुमान जी से प्रार्थना करते हैं और अपनी-अपनी शक्तियां श्रीहनुमान जी को आशीष स्वरूप प्रदान करते हैं। कहा जाता है कि हनुमान भगवान शिव के अवतार हैं और देवी पार्वती उनकी पूंछ हैं।
श्री राम के राज्याभिषेक का दृश्य तस्वीर के माध्यम से प्रदर्शनी में दिखाया गया ।
उत्सव की प्रमुख प्रस्तुतियाँ
- 18 अक्टूबर: श्रीहनुमान लीला नृत्य-नाट्य का प्रदर्शन। इस लीला में भगवान हनुमान के जीवन के महत्वपूर्ण उपाख्यानों को 15 दृश्यों में प्रस्तुत किया गया।
- 19 अक्टूबर: श्रीराम कथा की प्रस्तुति, जिसमें विश्वामित्र आगमन, ताड़का वध और अहल्या उद्धार शामिल होंगे।
- 20 अक्टूबर: सती लीला नृत्य-नाट्य, धनुष भंग एवं लक्ष्मण-परशुराम संवाद, और श्रीराम विवाह की झाँकी।
- 21 अक्टूबर: सूर्पणखा नासिका भेदन, सीताहरण, जटायु-शबरी उद्धार।
- 22 अक्टूबर: निषादराज गुह्य लीला-नाट्य, बालि वध और लंका दहन।
- 23 अक्टूबर: लक्ष्मण शक्ति, कुंभकरण-मेघनाद-रावण वध।
- 24 अक्टूबर: भक्तिमती शबरी लीला-नाट्य, भरत मिलाप और श्रीराम का राज्याभिषेक।
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