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निजी कालेज के शिक्षक को डिजिटल अरेस्ट कर ठगने की कोशिश

ठगों ने एक निजी कालेज के शिक्षक को डिजिटल अरेस्‍ट कर ठगने का प्रयास किया। लेकिन शिक्षक ने सर्तकता बरती और ठगने से बच गए। उन्‍होंने इस मामले की शिकायत क्राइम ब्रांच की साइबर विंग में की है। ठगने वाला पहले कस्‍टम अफसर बना और बाद में क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर डिजिटल अरेस्‍ट करने का प्रयास किया।

By amit mishra

Publish Date: Thu, 24 Oct 2024 02:27:19 PM (IST)

Updated Date: Thu, 24 Oct 2024 02:27:19 PM (IST)

निजी कालेज के शिक्षक को डिजिटल अरेस्ट कर ठगने की कोशिश। सांकेतिक चित्र।

HighLights

  1. मामले की शिकायत साइबर क्राइम विंग में की है
  2. ठगने वाले ने अपने आप को कष्टम अफसर बताया
  3. बाद में क्राइम ब्रांच का अफसर बनकर भी की कोशिश

नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। निजी कालेज के शिक्षक वैभव शर्मा को डिजिटल अरेस्ट कर ठगने की कोशिश हुई है। वैभव के पास बुधवार सुबह फोन आया। फोन करने वाले ने पहले कस्टम आफिसर फिर क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर फोन किया और वैभव को डिजिटल अरेस्ट कर ठगने की कोशिश की। गनीमत रही कि वैभव ने सतर्कता बरती, इसके चलते वह बच गए। इस मामले की शिकायत उन्होंने क्राइम ब्रांच की साइबर क्राइम विंग में की है।

वैभव सिटी सेंटर में रहते हैं। सुबह करीब 8.30 बजे उनके मोबाइल पर फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि उनके पार्सल में ड्रग्स निकला है। यह एयरपोर्ट पर पकड़ा गया है। यह फोन दिल्ली क्राइम ब्रांच के अधिकारी को स्थानांतरित की जा रही है। वैभव ने दूसरे व्यक्ति से बात की तो वह बोला कि वह क्राइम ब्रांच से बोल रहा है। उसे आनलाइन स्टेटमेंट दर्ज करने के लिए वीडियो काल पर बात करनी होगी। वैभव ने गूगल पर पुलिस स्टेटमेंट के बारे में पढ़ा, फिर अपने एक परिचित से बात की तो पता लगा कि आनलाइन स्टेटमेंट होते ही नहीं है। इसके बाद वैभव ने वह काल नहीं उठाया।

मत्स्य पालन विभाग की पीएस और निदेशक के जमानती वारंट जारी

हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मत्स्य विभाग के कर्मचारी राम स्वरूप कुशवाह के द्वारा दायर की गई अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान बुधवार को मत्स्य पालन विभाग की प्रिंसिपल सेक्रेटरी कल्पना श्रीवास्तव और मत्स्य पालन विभाग के निदेशक भारत सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिए हैं। अपीलकर्ता की सर्विस संबंधित समस्या का कोर्ट के आदेश के बाद भी निराकरण न करने और कोर्ट में पेश न होने के चलते दोनों अधिकारियों के वारंट जारी किए हैं।

अपीलकर्ता राम स्वरूप कुशवाह को 1993 में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया था। 1999 में इस नियुक्ति को निरस्त कर दिया गया और विवाद किए जाने पर निर्णय के लिए श्रम न्यायालय में भेज दिया गया। श्रम न्यायालय ने 2005 में मामले को खारिज कर दिया। जिसके बाद अपीलकर्ता ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर दी।

याचिका को स्वीकार करते हुए अपीलकर्ता को पिछले वेतन के साथ बहाल कर दिया गया। लेकिन इसके बाद भी जिस हिसाब से अपीलकर्ता की बहाली होना चाहिए थी, वह नहीं हुई और नियमितिकरण को लेकर भी विवाद हुआ।

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https://www.naidunia.com/madhya-pradesh/gwalior-attempt-to-cheat-a-private-college-teacher-by-digitally-arresting-him-8356641