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वो 4 खिलाड़ी, जिन्होंने भारत-पाक की ओर से ओलंपिक में की शिरकत, मेडल भी दिलाए

 Who Played Hockey For Both India And Pakistan: भारत और पाकिस्तान का अंतरराष्ट्रीय हॉकी में एक खास मुकाम है. दोनों देशों का ओलंपिक खेलों में हॉकी में दबदबा रहा और उन्होंने काफी पदक जीते हैं. लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब भारत-पाकिस्तान एक थे और उसकी हॉकी टीम की दुनिया भर में धूम थी. भारत ने आजादी से पहले या कहिए कि पाकिस्तान के बनने से पहले ओलंपिक खेलों में लगातार तीन गोल्ड मेडल जीते थे. 1947 में बंटवारे के बाद भी ये सिलसिला जारी रहा. भारत ने सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल किसी खेल में जीते हैं तो वो हॉकी है. आजादी के बाद जब सब कुछ बंटा तो कुछ खिलाड़ी भी सरहद पार चले गए. उनमें से चार हॉकी खिलाड़ी ऐसे भी थे जो पहले ओलंपिक में भारत के लिए खेल चुके थे और मेडल जीत चुके थे. उसके बाद जब उन्होंने नई देश की जर्सी पहनी तो उसके लिए भी पदक लेकर लौटे. आज हम आपको ऐसे ही चार खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं, जिनको दोनों देशों की ओर से ओलंपिक में खेलने का सम्मान मिला था.     

अली दारा को मिला दोनों देशों का प्यार
अली इक़्तिदार शाह दारा, यह एक ऐसा नाम जो भारत-पाक सीमा के दोनों ओर हॉकी प्रेमियों के दिलों में गूंजता है. अली दारा को भारत और पाकिस्तान दोनों देशों का प्यार और सम्मान मिला. इसकी वजह यह है कि वो दोनों देशों के लिए हॉकी खेले थे. हां यह सही है, अली दारा 1936 में ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे. उन्होंने फाइनल में दो गोल किए थे. उन्हें भारत के महान हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद के साथ खेलने का अवसर मिला था.  

अली इक़्तिदार शाह दारा

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द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से वो अगला ओलंपिक 12 साल बाद खेले. लेकिन इस बार एक बदलाव था. वह एक नए देश के लिए खेल रहे थे जो केवल एक साल पहले जन्मा था. 1947 में भारत का बंटवारा हुआ और अली दारा ने पाकिस्तान में रहने को तरजीह दी. जब 1948 का ओलंपिक आया तो उन्होंने पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया. पाकिस्तान सेमीफाइनल में हार गया और ब्रॉन्ज मेडल प्लेऑफ में भी उसे शिकस्त का सामना करना पड़ा. वो चौथे स्थान पर रहा, लेकिन अली दारा ने पूरे टूर्नामेंट में कुल नौ गोल किए. उसके बाद भी उन्होंने हॉकी को अपना योगदान दिया. 1976 ओलंंपिक में जब पाकिस्तान ने ब्रॉन्ज मेडल जीता तो वह टीम के मैनेजर थे. 

लतीफ उर रहमान

लतीफ उर रहमान
लतीफ उर रहमान एक शानदार हॉकी खिलाड़ी थे. उन्होंने दोनों देशों के लिए ओलंपिक में भाग लिया. लतीफ उर रहमान ने 1948 के लंदन ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता. लेकिन उसके बाद वह भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए. 1956 के मेलबर्न ओलंपिक में, उन्होंने पाकिस्तान के लिए भाग लिया और अपने नए देश के लिए सिल्वर मेडल जीता. उन्हें लतीफुर रहमान के नाम से भी पुकारा जाता था. उनका जन्म एक जनवरी 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था. उनका निधन 27 फरवरी 1987 को पाकिस्तान के शहर फैसलाबाद में हुआ. वह 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में भी पाकिस्तान के लिए खेले थे, लेकिन टीम चौथे स्थान पर रही और बिना मेडल के लौटी थी.

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अख्तर हुसैन

अख्तर हुसैन
लतीफ उर रहमान की तरह अख्तर हुसैन का जन्म भी भारत में हुआ और वह बाद में पाकिस्तान चले गए. अख्तर हुसैन ने भी 1948 के लंदन ओलंपिक में भारत की ओर से भाग लिया और वह गोल्ड मेडल जीतने वाली टीम के सदस्य थे. बाद में अख्तर हुसैन ने पाकिस्तान की ओर से 1956 मेलबर्न ओलंपिक में भाग लिया और सिल्वर मेडल जीता. अख्तर हुसैन 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में खेलने वाली पाकिस्तानी हॉकी टीम के सदस्य नहीं थे. उनका जन्म 23 अगस्त, 1926 में हुआ था. जबकि उनका देहांत नौ नवंबर 1987 को हुआ.

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पीटर पॉल फर्नांडिस

पीटर पॉल फर्नांडिस
पीटर पॉल फर्नांडिस भी अपने समय के दिग्गज हॉकी खिलाड़ी थे. उन्हें भी महान भारतीय हॉकी खिलाड़ी दद्दा यानी ध्यानचंद के साथ खेलने का एजाज हासिल था. पीटर पॉल फर्नांडिस 1936 में ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे. ये वही ओलंपिक था जिसके बाद  ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा गया. पीटर पॉल फर्नांडिस ने 1948 लंदन ओलंपिक में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया. पाकिस्तान सेमीफाइनल में हार गया और ब्रॉन्ज मेडल प्लेऑफ में भी उसे शिकस्त का सामना करना पड़ा. पीटर पॉल का जन्म 15 सितंबर 1916 को हुआ था. उन्होंने 65 साल की उम्र में 24 जनवरी 1981 को अंतिम सांस ली.

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