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’शेरखान’ के बढ़ते हमलों को कम करने लग रही ’बाघ चौपाल’ … इंसानों की जान बचाना जरूरी

’मोगली के घर’ अर्थात पेंच टाइगर रिजर्व में ’शेरखान’ के बढ़ते हमलों को कम करने गांव-गांव में बाघ चौपाल लगाई जा रही है। पेंच जंगल अंतर्गत 130 ईको गांवों में शार्ट फिल्म व प्रोजेक्टर में प्रेजेंटेशन देकर बाघ व मानव के बीच द्वंद्व को कम करने ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा क्योंकि बढ़ती बाघों की संख्या के कारण जंगल के आसपास हमले बढ़े हैं।

By Sanjay Agrawal

Publish Date: Sat, 26 Oct 2024 11:33:48 AM (IST)

Updated Date: Sat, 26 Oct 2024 11:33:48 AM (IST)

शार्ट फिल्म के माध्यम से जानकारी प्राप्त करते ग्रामीण। सौजन्य पेंच प्रबंधन

HighLights

  1. पहुंच रहे ग्रामीण जा रहे देखने पेंच पार्क के 130 ईको गांवों में शार्ट फिल्म।
  2. वन क्षेत्र में रहवासियों में जागरूकता बढ़ेगी ताे संघर्ष को रोकने में मदद मिलेगी।
  3. चौपाल में बाघ के हमले में ग्रामीण कैसे अपना बचाव करें, सिखाया जा रहा है।

तीन वर्ष में पेंच क्षेत्र में सामने आईं घटनाएं

वर्ष पशुघायल पशुहानि जनहानि जनघायल

21-22 25 475 1 1

23-24 31 433 1 5

दक्षिण सामान्य वनमंडल क्षेत्र में हुईं घटनाएं

वर्ष पशुहानि जनहानि जनघायल

2021 607 03 08

2023 1056 04 20

2024 1281 05 24

संजय अग्रवाल, नईदुनिया, सिवनी ()। वन अधिकारियों का विश्वास है कि वन क्षेत्र में रहवासियों में जागरूकता बढ़ेगी ताे बाघ-मानव के बीच आपसी संघर्ष को रोकने में मदद मिलेगी। लगभग 1169 वर्ग किमी में फैले पेंच राष्ट्रीय उद्यान के जंगल के पास बसे ग्रामीणों को रात में चौपाल लगाकर बाघ के व्यवहार के बारे में बताया जा रहा है।

जंगल में उपयोगिता को विस्तार से बताया जा रहा

16 अक्टूबर से पेंच प्रबंधन के अधिकारी-कर्मचारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि व प्रबुद्ध नागरिकों की मदद से प्रतिदिन सात से आठ गांव में चौपाल लगाई जा रही है। इसमें ग्रामीणों को बाघ के हमले से बचने के उपाय, व्यवहार तथा जंगल में उसकी उपयोगिता को विस्तार से बताया जा रहा है।

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बाघ बढ़े तो सामने आ रहीं चुनौतियां

चौपाल में बाघ के हमले में ग्रामीण कैसे अपना बचाव करें, यह भी सिखाया जा रहा है। गांव के पास बाघ के पहुंचने के कारण भी समझाया जा रहा है। वर्ष 2022 की बाघ गणना में पेंच टाइगर रिजर्व व इससे लगे वन क्षेत्र में 123 बाघों की मौजूदगी पाई गई है। जबकि 2018 की इनकी संख्या 87 थी।

जिले में सीमित वन क्षेत्र की चुनौतियां के बीच बाघ-मानव द्वंद्व

बाघों की बढ़ती आबादी तथा जिले में सीमित वन क्षेत्र की चुनौतियां के बीच बाघ-मानव द्वंद्व देखने को मिल रहा है। बीते तीन वर्षो में पेंच पार्क क्षेत्र में बाघ-मानव द्वंद्व की 9 घटनाएं सामने आई हैं। इसमें 6 घटनाओं में मानव घायल हुए जबकि तीन में मौत हुई है।बाघ-मानव संघर्ष की सबसे ज्यादा घटनाएं वर्ष 2023-24 में सामने आई हैं।

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सिकुड़ रही चरनोई भूमि

जंगल में मवेशी चराने के दौरान अधिक घटनाएं सामने आ रही हैं। राजस्व गांव की चरनोई भूमि सिकुड़ (घट) रही है। मवेशियों को लेकर चरवाहे घने जंगल तक पहुंच रहे हैं। ऐसे में मवेशियों पर हमले के दौरान कई बार चरवाहे भी बाघ का शिकार बन जाते हैं।

पहले स्वयं को सुरक्षित करने की सलाह दे रहे हैं

वन अधिकारी चौपाल में ग्रामीणों को घन जंगल में मवेशी चरानेे ना ले जाने तथा मवेशी पर बाघ का हमले होने पर पहले स्वयं को सुरक्षित करने की सलाह दे रहे हैं। मवेशी को बाघ के जबड़े से बचाने का प्रयास करने पर चरवाहे को बाघ अपना शिकार बना लेता हैं। ऐसे में इंसानों की जान बचाना जरूरी है।

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यह सावधानी रखना जरूरी

रात में खेत जाते समय टार्च का उपयोग करने तथा जंगल के आसपास समूह में आवागमन करने कहा जा रहा है। पालतु मवेशियों पर हमले को रोकने जंगल के पास मवेशियाें को रात नहीं बांधने तथा घर में सुरक्षित गोशाला बनाकर मवेशियों का पालन करने के बारे में ग्रामीणों को बताया जा रहा है।

अधिकांश हिस्सा पेंच-कान्हा वन्यजीव कारीडोर में आता

खास बात यह है कि पेंच पार्क से लगा जंगल दक्षिण सामान्य वनमंडल का अधिकांश हिस्सा पेंच-कान्हा वन्यजीव कारीडोर में आता है। अपना क्षेत्र निर्धारित करने पेंच से बाहर निकलने वाले बाघों की मौजूदगी वन्यजीव कारीडोर बनी रहती है। इस दायरे में बसे गांव से लगे जंगल में भी बाघ के हमले की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं।

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