मध्य प्रदेश के रीवा जिले में महिला के साथ जहां गैंगरेप की वारदात हुई, वो इलाका पूरी तरह सुनसान है। पीड़ित महिला ने यह भी बताया था कि आरोपी कह रहा था कि हम लोग यहां बैठकर लड़कियों का इंतजार करते हैं। ऐसे में इस बात की आशंका जताई गई है कि पहले भी इस तरह की वारदात हुई हो।
By Prashant Pandey
Publish Date: Sun, 27 Oct 2024 08:14:17 AM (IST)
Updated Date: Sun, 27 Oct 2024 08:34:54 AM (IST)
HighLights
- अपराधी मिलकर ऐसी वारदात को अंजाम देने के फिराक में रहते हैं।
- इस तरह के मामलों में रिपोर्ट न होने पर उनका हौसला बढ़ जाता है।
- वारदात के बाद पीड़ित लोकलाज के डर से नहीं जाते पुलिस के पास।
नईदुनिया प्रतिनिधि, रीवा (Rewa Gang Rape Case)। रीवा के गुढ़ में सामने आए गैंगरेप मामले में जहां सुरक्षा की कमी, नशे का परिणाम जैसी स्थितियां सामने आ रही हैं वहीं एक स्थिति यह भी है कि जिस तरह से यह स्थान सुनसान है। वहां पर जाना खतरे से खाली समझ नहीं आता।
यदि दंपती ने वहां जाने से पहले कुछ सावधानियां बरती होतीं और मौके की स्थितियों को समझा होता तो शायद ऐसी लोमहर्षक घटना सामने नहीं आती। इसका आशय यह भी नहीं है कि हम सुरक्षा और कानून व्यवस्था के मामले को दरकिनार कर दें।
सुनसान स्थानों पर जाने से बचें
दिन प्रतिदिन होने वाले ऐसे मामलों में अपेक्षा रहती है कि सुनसान स्थानों पर जाने से बचें। लेकिन घटना के बाद केवल हम अपराध, अपराधी एवं न्यायालय में होने वाली सुनवाई एवं सुनाए गए फैसले तक सीमित होकर रह जाते हैं।
पुलिस तक शिकायत नहीं पहुंचती
इस घटना पीड़िता द्वारा दिए गए बयान पर भी मोहर लगा दी है कि इस घटना के पूर्व भी इस तरह की घटनाएं हुई होगी। लोक लज्जा, एवं स्वयं के द्वारा की गई गलती को छुपाने के उद्देश्य से उन मामलों की शिकायत पुलिस तक नहीं पहुंची।
कई बार बदनामी का डर या माता-पिता के सामाजिक अंपायर पर पढ़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए इस तरह की घटनाओं को छिपा लिया जाता है। नईदुनिया की टीम ने मौके के वारदात पर जाकर पूरे मामले की नब्ज टटोलने की कोशिश की। जो सच्चाई सामने निकल कर आई वह कोई नई नहीं है।
एक दिन पूर्व पीड़िता ने मीडिया कर्मी से बातचीत के दौरान कहा था उसके साथ गलत काम करने वाले लोग बातचीत के दौरान यह कह रहे थे कि हम यहां बैठकर पहले से ही महिला या लड़की का इंतजार करते हैं।
पुलिस में शिकायत नहीं होने से बढ़ जाता है हौसला
कहने का आशय यह है कि भैरव बाबा मंदिर से तकरीबन 2 किलोमीटर दूर स्थित निर्जन एवं सुनसान स्थान पर अपराधी संगठित होकर इस तरह के वारदात को अंजाम देने के फिराक में रहते हैं। कभी-कभी उनके द्वारा किए गए यह घिनौनी घटना की रिपोर्ट न होने पर उनका हौसला बढ़ जाता है और फिर अचानक 21 अक्टूबर को घटित सामूहिक दुष्कर्म की घटना प्रकाश में आ जाती है। मौके पर दिखे साथ एवं महिला के बयान को सुनने के बाद स्थानीय लोगों से भी बातचीत की गई।
ग्रामीणों ने बताया- नशेड़ियों का अड्डा बन गई है ये जगह
बातचीत के दौरान लोग कैमरा के सामने तो नहीं आए लेकिन उन्होंने यह बताने में गुरेज नहीं किया कि इस निर्जन स्थान पर अधिकतर असामाजिक तत्व एवं नशेड़ियों का आना-जाना बना रहता है। इसके बाद क्या था अचानक भोपाल की वह घटना याद आ गई, जिसमें कुछ साल पहले भोपाल से भोजपुर जाने वाले जोड़ों को स्थानीय लोग अपना शिकार बना लेते थे।
बदनामी के डर से चुप रह जाते हैं
सुनसान स्थान पर पहुंचने वाले इन जोड़ों में पुरुष को पैसों का इंतजाम करने के लिए भेजा जाता था और महिला के साथ ज्यादती की जाती थी। बदनामी के डर से लुटा पिटा जोड़ा चुपचाप रह जाता था लेकिन एक साहसिक युवती की जागरूकता और सूचना देने के बाद मामले में खुलासा हुआ था और कई लोग गिरफ्तार हुए थे। जिन्होंने दर्जनों लोगों के साथ ऐसी घटना कारित करना बताया था।
इस मामले को नजीर मानते हुए अगर जमीनी स्तर पर बात की जाए और इसके पहले यह लोगों के साथ इस तरह की घटना हुई है। वह पुलिस के पास आए तो कई रहस्य से पर्दा उढ सकता है।
मौके पर मिली शराब की बोतले एवं खाने पीने का सामान
भैरव बाबा मंदिर के पीछे लगभग 100 कदम चलने के साथ ही निर्जन स्थान पर शराब की खाली पड़ी बोतले, डिस्पोजल गिलास, पानी की खाली पड़ी बोतले, आम के पत्ते से बनाई गई चिलम, सिगरेट की रैपर सहज ही देखे जा सकते हैं।
असामाजिक तत्व एवं नशे के आदी हो चुके लोग अधिकतर इस स्थान में बैठकर अपने नशे के शौक को पूरा करते हैं। घटना के बाद मौके पर निरीक्षण करने पहुंची टीम को ही यह चीज मौके से बरामद हुई थी। टीम के हाथ तो उसे समय आरोपियों द्वारा बनाए गए भोजन एवं अन्य सामग्रीय भी मिली थी।
चट्टान एवं सूचना स्थल
घटनास्थल के आसपास चट्टान हुआ तकरीबन 300 से 400 एकड़ में फैली हुई पथरीली चट्टानें देखने को मिलती है। कहीं-कहीं पानी के जल स्रोत एवं कटीली साड़ियां भी दिखाई देती है। मुख्य मार्ग से कनेक्ट ना होने के कारण इस और किसी का ध्यान नहीं जाता गांव के लोग अधिकतर यहां बकरी चराने या फिर अपने नशे के शौक को पूरा करने के लिए पहुंचते हैं।
समय-समय पर होनी चाहिए छापामार करवाई
जमीनी हकीकत पर यह तो मुश्किल है कि रोज यहां पुलिस पहरे दे सके लेकिन एक-दो दिन की अंतराल में पुलिस द्वारा दी जाने वाली दबिश के बाद कुछ हद तक यहां के सामाजिक तत्वों में पुलिस का खौफ बन सकता है।
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