नई दिल्ली7 दिन पहले
- कॉपी लिंक
नसरीन 2011 से भारत में रह रही हैं और उनके पास स्वीडन की नागरिकता है।
गृह मंत्रालय ने मंगलवार को निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन का भारतीय रेजिडेंस परमिट बढ़ा दिया। परमिट मिलने के बाद लेखिका ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर गृह मंत्री अमित शाह का आभार जताया।
बांग्लादेशी लेखिका ने 22 अक्टूबर को X पर गृह मंत्री से मदद मांगी थी। उन्होंने लिखा था कि मेरा भारतीय रेजिडेंस परमिट जुलाई में एक्सपायर हो गया है और गृह मंत्रालय उसे रिन्यू नहीं कर रहा है।
तसलीमा ने लिखा था कि भारत मेरा दूसरा घर है और 22 जुलाई के बाद परमिट रिन्यू न होने से मैं परेशान हूं। अगर सरकार मुझे भारत में रहने देगी, तो मैं शुक्रगुजार रहूंगी।
बांग्लादेश इस वक्त गंभीर सत्ता संघर्ष से जूझ रहा है। कुछ महीने पहले पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से स्थिति अस्थिर है।
मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार इस वक्त लोकतांत्रिक संस्थाओं को फिर से बहाल करने की चुनौती का सामना कर रही है।
2011 से भारत में रह रही हैं नसरीन नसरीन 2011 से भारत में रह रही हैं और उनके पास स्वीडन की नागरिकता है। वे पहले भी कई बार अपने रेजिडेंस परमिट के स्टेटस को लेकर भारत सरकार के अधिकारियों से कोई जानकारी न मिलने पर चिंता जता चुकी हैं।
पिछले महीने उन्होंने कहा था कि वे नियमित रूप से अपने आवेदन का स्टेटस ऑनलाइन चेक करती हैं, लेकिन यह अब भी ‘अपडेटिंग’ दिखा रहा है, जो इससे पहले कभी नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें बांग्लादेश और वहां की पॉलिटिक्स से कोई मतलब नहीं है।
तसलीमा के बांग्लादेश छोड़ने की वजह… 6 पॉइंट
- तसलीमा के लेखन के चलते 1994 में बांग्लादेश में उनके खिलाफ फतवा जारी किया गया था। इसका कारण उनकी किताबें थीं। उनका उपन्यास ‘लज्जा’ (1993) और उनकी आत्मकथा ‘अमर मेयेबेला’ (1998) इसमें विशेष रूप से शामिल हैं।
- ‘लज्जा’ ने भारत में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुई हिंसा की कहानी ने विवाद को जन्म दिया। उपन्यास में बलात्कार, लूटपाट और हत्या की घटनाओं का जिक्र था। इससे इस्लामी कट्टरपंथी नाराज हो गए। भारी विरोध के बाद नसरीन को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा।
- उसके बाद से उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने भारत में शरण ली, लेकिन यहां भी बार-बार उन्हें अपनी जगह बदलनी पड़ी। वह पहले कोलकाता और जयपुर में रहीं, फिर दिल्ली में स्थायी निवास परमिट के तहत बस गईं।
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तसलीमा साल 1998 में कुछ दिनों के लिए बांग्लादेश गई थीं, लेकिन उस समय वहां शेख हसीना की सरकार थी। इसलिए उन्हें बांग्लादेशी सरकार ने फिर से देश छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया गया था।
- तसलीमा शेख हसीना की विरोधी खालिदा जिया को भी इसके लिए जिम्मेदार मानती हैं। उन्होंने कहा था कि दोनों ने उन्हें बांग्लादेश में नहीं रहने दिया और इस्लामिक कट्टरपंथियों को बढ़ावा दिया।
- तसलीमा कई वर्षों तक यूरोप में भी रहीं। वे 2004-2005 के दौरान भारत आ गईं। शुरू में वे पश्चिम बंगाल के कोलकाता में थीं। उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश के करीब रहकर वे कोलकाता से अपने वतन के अनुभव को महसूस करती रहेंगी। हालांकि, 2007 में वे जयपुर में रहने चले गई थीं और अब वे दिल्ली में रहती हैं।
तसलीमा के चर्चा में रहे 2 बयान
1. नागरिकता संशोधन कानून को अच्छा बताया तसलीमा ने नागरिकता संशोधन कानून को को लेकर कहा था कि इस कानून में पड़ोसी देशों में सताए गए मुस्लिमों, मुक्त विचारकों और नास्तिक लोगों को शामिल किया जाना चाहिए। यह कानून इसलिए अच्छा है, क्योंकि इसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सताए गए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है।
2. सरोगेसी के जरिए होने वाले बच्चों को रेडीमेड बेबी कहा था तसलीमा ने प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस के सरोगेसी से पेरेंट्स बनने पर एक पोस्ट शेयर की थी। उन्होंने लिखा था- सरोगेसी सिर्फ गरीब महिलाओं के कारण ही संभव है। अमीर लोग अपने स्वार्थ के लिए समाज में गरीबी का अस्तित्व चाहते हैं। जो औरत सरोगेसी के जरिए रेडीमेड बच्चे प्राप्त करती हैं, उन्हें मां बनने की फीलिंग्स कैसे आती होगी? क्या उन्हें भी वैसी ही फीलिंग आती होगी जैसी जन्म देने वाली मां को आती है?
भारत में 180 से ज्यादा दिन रहने के लिए रेजिडेंस परमिट जरूरी रेजिडेंस परमिट एक आधिकारिक डॉक्यूमेंट होता है, जो किसी फॉरेनर को 180 दिनों से ज्यादा समय तक भारत में रहने की अनुमति देता है। जो विदेशी नागरिक 180 दिनों से ज्यादा समय तक भारत में रहने का प्लान बनाते हैं, उन्हें फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस से यह परमिट लेना होता है। इसकी लिमट खत्म होने के बाद इसे बार-बार रिन्यू कराना होता है।
———————————–
बांग्लादेश से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…
बांग्लादेश के कानून मंत्री बोले- शेख हसीना का प्रत्यर्पण जरूरी: भारत ने मना किया तो विरोध करेंगे; कोर्ट ने 18 नवंबर तक मोहलत दी है
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में कानून मंत्री आसिफ नजरुल ने 18 अक्टूबर को कहा कि अगर भारत पूर्व PM शेख हसीना के प्रत्यर्पण से इनकार करने की कोशिश करता है तो इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, इसके बाद नजरुल ने यह टिप्पणी की। पूरी खबर पढ़ें…
बांग्लादेश के जेशोरेश्वरी मंदिर में मां दुर्गा का मुकुट चोरी:पीएम मोदी ने 3 साल पहले चढ़ाया था, चोर का मुकुट ले जाते हुए CCTV फुटेज वायरल
बांग्लादेश के जेशोरेश्वरी मंदिर से मां काली का मुकुट चोरी हो गया है। यह सोने की परत चढ़ा चांदी का मुकुट है। इस घटना का CCTV फुटेज शुक्रवार को सामने आया।
पीएम मोदी 2021 में बांग्लादेश दौरे के दौरान जेशोरेश्वरी मंदिर दर्शन के लिए गए थे। इस दौरान उन्होंने यह मुकुट मंदिर में चढ़ाया था। इस मुकुट को स्थानीय कारीगरों ने 3 सप्ताह की मेहनत के बाद तैयार किया था। पूरी खबर पढ़ें…