एक रिपोर्ट के अनुसार, बर्कले अर्थ के रिसर्च साइंटिस्ट जेके हॉसफादर ने इस बात की 95 फीसदी संभावना जताई है कि वर्ष 1800 के दशक से जब से दुनियाभर में सतह का टेंपरेचर रिकॉर्ड होना शुरू हुआ है, 2024 सबसे गर्म साल है। इसने 2023 की गर्मी को भी पीछे छोड़ दिया है जब यूरोपीय देशों में हीटवेव ने कोहराम मचाया था।
बढ़ता हुआ तापमान दुनियाभर में अपना प्रकोप दिखा रहा है। पिछले महीने भारत के तमाम शहरों में कई दिनों तक तापमान 45 डिग्री से ऊपर रिकॉर्ड किया गया था। रात के टेंपरेंचर में भी काफी उछाल देखने को मिला था। इस वजह से कई लोगों की जान चली गई और अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई थी।
सऊदी अरब में हज यात्रा पर गए 1 हजार से ज्यादा लोग गर्मी के कारण मारे गए। यूरोपीय देशों में भी बढ़ते टेंपरेचर के कारण लोगों ने जान गंवाई। चिंता की बात यह है कि ग्लोबल उत्सर्जन को कम करने की कोशिशों बहुत ज्यादा रंग नहीं ला पा रहीं। पिछले 12 महीनों में दुनिया का एवरेज टेंपरेचर प्री-इंडस्ट्रियल एवरेज से 1.64 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था।
जून में कई देशों को रिकॉर्ड तोड़ गर्मी और विनाशकारी बाढ़ तथा तूफान का सामना करना पड़ा। अमेरिका स्थित वैज्ञानिकों के एक स्वतंत्र समूह ‘क्लाइमेट सेंट्रल’ के एक विश्लेषण के अनुसार, दुनिया की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी ने अत्यधिक गर्मी का सामना किया।
क्लाइमेंट सेंट्रल ने बताया कि भारत में 61.9 करोड़, चीन में 57.9 करोड़, इंडोनेशिया में 23.1 करोड़, नाइजीरिया में 20.6 करोड़, ब्राजील में 17.6 करोड़, बांग्लादेश में 17.1 करोड़, अमेरिका में 16.5 करोड़, यूरोप में 15.2 करोड़, मेक्सिको में 12.3 करोड़, इथियोपिया में 12.1 करोड़ और मिस्र में 10.3 करोड़ लोगों ने जून में भीषण गर्मी का प्रकोप झेला। पूर्वी कनाडा, पश्चिमी अमेरिका और मैक्सिको, ब्राजील, उत्तरी साइबेरिया, पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी अंटार्कटिका में तापमान औसत से अधिक रहा।
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2024-07-09 08:19:22
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