इस वर्ष दीपावली का पूजन दो दिन किए जाने की स्थिति निर्मित हो गई।विद्वानों में मत भिन्नता होने के कारण हुआ है।दीपावली का पर्व 29 अक्टूबर मंगलवार से शुरू हो जाएगा। इस बार दीपोत्सव पांच दिवसीय न होकर छह दिवसीय होगा। नरक चतुदर्शी 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इसके बाद दो को गोर्वधन पूजा और तीन को भाईदूज का पर्व मनाया जाएगा। एक दिन का विश्राम रहेगा।
By Jogendra Sen
Publish Date: Wed, 30 Oct 2024 09:20:00 AM (IST)
Updated Date: Wed, 30 Oct 2024 09:20:00 AM (IST)
HighLights
- विद्वानों में मतभिन्नता होने के कारण बनी स्थिति, भाई-दूज तीन को
- अधिकांश सनातनी दीपोत्सव का पूजन 31 अक्टूबर को करेंगे
- दीपावली का पर्व 29 अक्टूबर मंगलवार से शुरू हो जाएगा
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। विद्वानों में मत भिन्नता होने के कारण इस वर्ष दीपावली का पूजन दो दिन किए जाने की स्थिति निर्मित हो गई। अधिकांश सनातनी दीपोत्सव का पूजन 31 अक्टूबर को करेंगे और कुछ एक परिवार एक नवंबर करेंगे। धनतेरस मंगलवार को मनाए जाने के कारण दीपावली का पर्व 29 अक्टूबर मंगलवार से शुरू हो जाएगा। इस बार दीपोत्सव पांच दिवसीय न होकर छह दिवसीय होगा। नरक चतुदर्शी 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। एक दिन के विश्राम के बाद दो नवंबर को गोवर्धन पूजा व तीन नवंबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा।
वैदेही ऋषिकेश और विवि के पंचांग से दीपावली 31 को
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस बार दीपावली का पर्व धनतेरस से लेकर भाई दूज तक मनाया जाता है। मगर इस बार बड़ी दीपावली कब मनाई जाएगी, इसको लेकर लोगों के बीच में लगातार असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वैदेही, ऋषिकेश और विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को सर्व सम्म्मत रूप से मनाया जाना चाहिए। दीपावली के पूजन को लेकर विद्वानों के बीच मतभिन्नता अलग-अलग नगरों व प्रांतों में सूर्योदय के समय में अंतर के कारण हैं।
आज धनतेरस से शुरू होगा दीपोत्सव, भाई-दूज तक चलेगा, पूजा-उपासना के साथ रहेगा उल्लास
पहला दिन- आज मनेगी धनतेरस :
धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल धनतेरस 29 अक्टूबर मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन सोने-चांदी के आभूषण और नए बर्तन खरीदने की परंपरा बरसों से चली आ रही है। धनतेरस का पर्व भगवान धनवंतरी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेरजी के साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी और गणेशजी की पूजा की जाती है। धनतेरस के शुभ अवसर पर घर में नई झाड़ू और धनिया लाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर पूरे साल धन समृद्धि बढ़ाती हैं। धनतेरस शुभ मुहूर्त: इस बार 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 32 मिनट से त्रयोदशी तिथि आरंभ 30 अक्टूबर को एक बजकर 16 मिनट तक। धनतेरस का पर्व त्रयोदशी तिथि में ही मनाने का विधान हैं। इस बार धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
दूसरा दिन-छोटी दीपावली व नरक चतुर्दशी मनेगी
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को छोटी दीपावली 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इसे रूप चौदस भी कहते हैं। इस दिन दक्षिण दिशा में यम देवता के नाम का दीपक भी जलाया जाता है। यह दिन सजने-संवरने का भी है। चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 30 अक्टूबर को दोपहर एक बजकर 16 बजे होगा और समाप्ति 31 अक्टूबर को शाम तीन बजकर 53 मिनिट पर होगी।
तीसरा दिन- दीपोत्सव:
वैदेही, ऋषिकेश और विश्वविद्यालय इन तीनों पंचांगों में दी गई जानकारी के अनुसार दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है और प्रदोष काल के बाद दीपावली की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार इस साल अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर के बाद तीन बजकर 53 पर शुरू होकर एक नवंबर को शाम छह बजकर 17 मिनट तक रहेगी। यानी 31 अक्टूबर की रात को अमावस्या तिथि विद्यमान रहेगी। इसलिए 31 अक्टूबर की रात को ही दीपावली मनाना तर्कसंगत होगा। 31 अक्टूबर को रात में ही लक्ष्मी पूजन, काली पूजन और निशिथ काल की पूजा की जाएगी। मध्य रात्रि की पूजा भी 31 अक्टूबर की रात को ही करना सर्वमान्य होगा, जबकि अमावस्या दूसरे दिन भी प्रदोष काल तक रहेगी, इस कारण एक नवंबर की रात्रि प्रदोषकाल की दो घटी बाद तक, यानी की एक घटी 24 मिनट की होती है, इसलिए 48 मिनट बाद तक रात्रि सात बजकर पांच मिनिट तक पूजा कर सकते है और दान पुण्य से जुड़े कार्य और पितृ कर्म आदि एक नवंबर को सुबह के वक्त करना उचित होगा।
पांचवां दिन- गोवर्धन पूजा होगी
गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन होती है। इसे अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्धन पूजा दो नवंबर शनिवार को होगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठाकर सभी मथुरावासियों को भीषण वर्षा से रक्षा की थी। तबसे इस पर्व को गोवर्धन पूजा के रूप में हर साल मनाते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
छठवां दिन भाई-दूज तीन नवंबर को
दीपावली उत्सव का समापन भाई दूज पर होता है। भाई दूज का पर्व बहन और भाई के प्रति विश्वास और प्रेम का होता है। हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन भाई-दूज का पर्व मनाया जाता है। देशभर में भाई दूज के पर्व को अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। यह दिन भाई बहन के प्यार और स्नेह के रिश्ते का प्रतीक होता है।
भाई-दूज पूजा तिलक शुभ मुहूर्त
द्वितीया तिथि का प्रारंभ दो नवंबर को रात आठ बजकर पांच मिनिट बजे से शुरू होगा और कार्तिक द्वितीय तिथि तीन नवंबर को रात में 10 बजकर पांच बजे तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार तीन नवंबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। भाई दूज पूजा व तिलक का समय दोपहर एक बजकर 10 बजे से तीन बजकर 22 मिनट तक रहेगा।
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