हमारा सरकारी सिस्टम कैसे काम करता है, इसका एक अनूठा उदाहरण सामने आया है। पांच मंजिला पीसी सेठी अस्पताल में 50 बिस्तर की नई विंग बनाई जाना है। इस वर्ष जनवरी माह में इसके वर्क ऑर्डर जारी हो गए, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है, क्योंकि जिस पुराने भ
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अफसरों ने पुरानी बिल्डिंग टूटने से पहले ही नई बिल्डिंग के टेंडर जारी कर दिए थे। होना यह था कि पहले पुरानी बिल्डिंग को तोड़ा जाता फिर नई बिल्डिंग की प्लानिंग करते। नई बिल्डिंग का वर्कऑर्डर जारी होने के महीनों बाद अफसरों ने पुरानी बिल्डिंग तोड़ने का टेंडर जारी किया। यह टेंडर खंडवा की सानिया डिस्पोजल कंपनी को 15.50 लाख रुपए की सबसे ऊंची बोली लगाने पर दिया गया।
इसके बाद अफसर फिर वर्कऑर्डर ही जारी करना भूल गए। नई विंग और रैंप का काम डेढ़ साल में पूरा करने की शर्त रखी गई थी, जबकि हकीकत यह है कि पुरानी विंग को आज तक तोड़ा ही नहीं जा सका है, क्योंकि अफसर वर्क ऑर्डर ही नहीं दे रहे। उधर, नई बिल्डिंग के साथ पुरानी में रैंप भी बनाई जाना है, जिसके कारण फायर एनओसी नहीं मिल पा रही है। वह काम भी अटका हुआ है।
पुराना भवन खाली तक नहीं हुआ
अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग को तोड़ा जाना है, लेकिन यहां अभी अस्पताल का किचन और लैब संचालित हो रही है। इन्हें खाली करने और वैकल्पिक व्यवस्था के लिए भी अस्पताल से पत्राचार किया गया, लेकिन अफसरों ने कोई व्यवस्था नहीं की।
टेंडर मिला लेकिन वर्कऑर्डर नहीं
भवन तोड़ने का ठेका लेने वाले इमरान खान का कहना है कि हमें ठेका मिला है, लेकिन वर्कऑर्डर अब तक नहीं मिल पाया है। वर्कऑर्डर मिलने के बाद ही हम राशि जमा कराकर काम शुरू कर सकते हैं। जब तक प्रक्रिया पूरी न हो काम कैसे करें।
साइट क्लीयर नहीं तो काम कैसे करें
कांट्रेक्टर कंपनी के संजय अडे ने बताया, यह सही है कि हमें जनवरी में वर्कऑर्डर मिल गया था। डेढ़ साल में अस्पताल का काम पूरा करना था। हमने जनवरी में ही भूमिपूजन भी कर दिया था लेकिन साइट ही क्लीयर नहीं मिली तो काम कैसे शुरू करें।
छह साल से रैंप के बिना उतर रहीं प्रसूताएं
प्रकाशचंद सेठी अस्पताल की नई पांच मंजिला बिल्डिंग 2018 में बनकर तैयार हुई थी। तब अफसर रैंप बनाना ही भूल गए थे। अस्पताल में ऊपरी मंजिलों पर मरीजों को ले जाने के लिए रैंप सबसे बड़ी जरूरत है, क्योंकि लिफ्ट खराब होने अथवा आपात स्थिति में मरीजों को ऊपर-नीचे लाना मुश्किल हो जाता है। अस्पताल में रोज 20-25 प्रसूति होती है।
सीधी बात- पीके जैन, ईई, एनएचएम
प्रक्रिया में समय लगा जल्द करेंगे वर्कऑर्डर
नई विंग डेढ़ साल में बनकर तैयार करना थी? – पहले पुरानी बिल्डिंग को तोड़ा जाना है। उसका टेंडर देर से जारी हुआ। ऐसी लापरवाही कैसे? – टेंडर स्वीकृति की प्रक्रिया में समय लग गया। काम कब शुरू होगा? जल्द से जल्द वर्कऑर्डर जारी कर देंगे, फिर एक महीने बाद काम हर हाल में शुरू कर दिया जाएगा।
भोपाल में एनएचएम के अफसरों से ही पूछें
^पुरानी बिल्डिंग में लैब और किचन चल रहे हैं, एनएचएम भोपाल को लिख चुके, व्यवस्था नहीं हुई। उन्हीं से पूछे क्या दिक्कत है। रैंप नहीं होने से फायर एनओसी नहीं मिल पा रही। – डॉ. वीरेंद्र राजगीर, इंचार्ज, पीसी सेठी अस्पताल
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