इंदौर के राजवाड़ा स्थित 191 साल पुराने महालक्ष्मी मंदिर में दीपावली पूजन का विशेष महत्व है। इस मंदिर में सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है। दीपावली पर मंदिर के पट 24 घंटे खुले रहते हैं। यहां आज भी लोग मां को पीले चावल अर्पित कर घर पधारने का आमंत्रण दे
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मंदिर की स्थापना 1833 में महाराजा हरि राव होलकर ने की थी। पहले मंदिर की जगह पर मकान था। 1928 में यहां स्टेट बैंक की बिल्डिंग बनना शुरू हुई। 1930 में यह भवन क्षतिग्रस्त होने से गिर गया था। इस दौरान 12 साल मां की प्रतिमा खुले आसमान के नीचे विराजित रही। 1941 में इंदौर के देवी अहिल्या ट्रस्ट ने 16 वर्ग फीट में मंदिर का निर्माण कराया।
धन तेरस और रूप चौदस पर तीन बार श्रृंगार मंदिर के पुजारी पं. भानुप्रकाश दुबे के मुताबिक दीपावली के तीन दिनों तक मां की विशेष पूजा होती है। दीपावली के दिन विधि-विधान से मुहूर्त-चौघड़िया में पूजन होता। इस दौरान उनका खास श्रृंगार किया जाता है। धन तेरस और रूप चौदस पर मां का तीन बार श्रृंगार किया जाता है। हर बार मां की पोशाक और आभूषण बदले जाते हैं।
हर मनोकामना पूरी करती है मां
महालक्ष्मी मंदिर में लोग व्यापार में वृद्धि, संतान प्राप्ति सहित कई प्रकार की मन्नत लेकर आते हैं। होलकर राजपरिवार को भी मां के आशीर्वाद से कभी धन की कमी नहीं हुई। मां महालक्ष्मी के दर्शन करने के बाद ही होलकर राजा खजाना खोलते थे। यहां मां को कमल का फूल अर्पित करने की विशेष परंपरा है।
इन मंदिरों में भी रहती है भीड़
इंदौर में मां महालक्ष्मी के अन्य मंदिर महालक्ष्मी नगर, कैट रोड, उषा नगर, पंढरीनाथ, खजराना, विद्याधाम सहित अन्य स्थानों पर भी हैं। यहां भी हर साल दीपावली पर भक्तों का तांता लगा रहता है।
पीढ़ियों से पूजा कर रहा चौबे परिवार
- पं. भानु प्रकाश चौबे ने बताया कि वे 2017 से मंदिर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
- उनके पिताजी स्व. पुरुषोत्तम दुबे 1940 से दिसम्बर 2017 तक यहां मुख्य पुजारी रहे।
- 1925 से 2017 तक महंत पुरुषोत्तम दुबे सहायक पुजारी रहे।
- 2017 से पं. दिनेश उज्जैनकर मुख्य पुजारी हैं।
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