बांधवगढ़ में चार हाथियों की मौत हो गई थी। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, ये हाथी संभवतः जहरीले पदार्थ या कीटनाशक से प्रभावित धान की फसल खाने के कारण बीमार हुए थे। मंगलवार को 10 जंगली हाथी अचानक बीमार पड़े थे, जिनमें नौ की मौत व एक की हालत गंभीर है।
By Neeraj Pandey
Publish Date: Tue, 29 Oct 2024 06:39:37 PM (IST)
Updated Date: Thu, 31 Oct 2024 02:35:08 PM (IST)
HighLights
- बांधवगढ़ में 10 हाथी हुए बीमार, नौ की मौत
- कीटनाशक युक्त फसल खाने से बिगड़ी हालत
- हाथियों के इलाज के लिए वन विभाग सक्रिय
नईदुनिया प्रतिनिधि, उमरिया। जिले के बांधवगढ़ में मंगलवार की दोपहर तक जहर खुरानी से चार हाथियों की मौत के बाद रात में तीन और हाथियों ने अपने प्राण त्याग दिए थे। सुबह जब वन अमला मौके पर पहुंचा ताे उसे तीन और हाथी मरे हुए मिले। मरने वाले हाथियों की संख्या इस तरह कुल नौ हो गई है। जबकि अभी भी एक हाथियों की हालत गंभीर बनी हुई है।
घटनाक्रम को लेकर बांधवगढ़ के अधिकारी चुप्पी साधे
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर बांधवगढ़ के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं और कोई बात करने को तैयार नहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ एसआईटी के अधिकारी भी बांधवगढ़ पहुंच गए हैं और उन्होंने मामले की जांच शुरू कर दी है।वन मंत्री का आया बयानबांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुए इस बड़े घटनाक्रम के बाद प्रदेश के वन मंत्री रामनिवास रावत का बयान भी सामने आ गया है।
प्रदेश के वन मंत्री ने एक्स एकांउट पर लिखा
प्रदेश के वन मंत्री रामनिवास रावत का बयान भी सामने आ गया है। उन्होंने अपने एक्स एकांउट पर लिखा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने हाथियों की मौत एसआईटी गठित कर दोषियों को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव अभिरक्षक मध्यप्रदेश को दे दिए हैं।
एनटीसीए की भी एक टीम बांधवगढ़ पहुंची
इस मामले में प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव अभिरक्षक मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ आने की जानकारी सूत्रों से मिली है। दिल्ली से भी एनटीसीए की भी एक टीम बांधवगढ़ पहुंची है। जहरखुरानी ही कारणइतनी बड़ी संख्या में जंगली हाथियों की मौत के बाद अब इस बात में कोई संदेह नहीं रह गया है कि इसके पीछे असली वजह जहरखुरानी ही है।
ऐसी वस्तु में जहर दिया गया है जिससे जहर की खुशबू हाथी नहीं सूंघ सके
वन विभाग के अधिकारी और एसआईटी भी इसी एंगल से मामले की जांच कर रही है। हालांकि अभी यह बात सामने नहीं आई है कि कौनसा जहर हाथियों को दिया गया और इसके लिए कौनसा तरीका इस्तेमाल किया गया। हाथियों को किसी ऐसी वस्तु में जहर दिया गया है जिससे जहर की खुशबू हाथी नहीं सूंघ सके।
उनकी सूंघने की क्षमता बेहद ज्यादा होती है
विशेषज्ञों का मानना है कि कीट नाशक जैसी दवाइयों का न तो हाथियों पर इतना बड़ा असर होता है और न ही जंगली हाथी उन फसलों को खाते हैं जिन पर कीट नाशक पड़ा हो। इसकी वजह यह है कि उनकी सूंघने की क्षमता बेहद ज्यादा होती है।
कई लोगों को बैठाया
यह जानकारी भी सामने आई है कि उमरिया बकेली, खलखनिया के कई ग्रामीणों को एसआईटी ने पूछताछ के लिए बैठा लिया है। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने हाथियों को जहर नहीं दिया था बल्कि अपनी फसलों में कीट नाशक का छिड़काव किया था। हालांकि यह पूरा मामला जांच के बाद ही सामने आ पाएगा। वन विभाग अधिकारी भी सुबह से घटना स्थल पर पहुंच गए हैं और उस पूरे क्षेत्र को सील कर दिया गया है जहां हाथियों की मौत हो रही है।
दफन कियए गए हाथी
मरने वाले जंगली हाथियों को जमीन में दफन किया गया। घटना स्थल पर ही गड्ढे खोदे जा रहे हैं। यह जानकारी भी मिली कि हाथियों के शव को दफनाने के लिए तीन सौ बोरी नमक भी मंगवाया गया। यह जानकारी सामने आ रही है कि मौके पर ही पीएम करने के साथ हाथियों के शव को दफना दिया।
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