मध्य प्रदेश के उमरिया में मादा हाथियों के अंगों की जांच में कई चौंकने वाली जानकारी सामने आई है। पोस्टमार्टम के दौरान आठ हार्थियों के पेट, किडनी समेत सभी अंगों की जांच की गई। पेट से पिछले कई दिनों के भोजन का अवशिष्ट मिले। वहीं जांच में सभी आठ हाथियों के पेट में एक समानता बात सामने आई है।
By Atul Shukla
Publish Date: Thu, 31 Oct 2024 11:02:24 AM (IST)
Updated Date: Thu, 31 Oct 2024 11:02:24 AM (IST)
HighLights
- वेटरनरी विवि के वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट टीम बांधवगढ़ में सुबह से शाम तक चलता रहा पोस्टमाटर्म।
- दो दिन पहले 10 एकड़ खेत में रखा कोदो-कुटकी था खाया, पेट में मिले माइक्रो टाक्सिन से गई जान।
- बांधवगढ़ पार्क प्रबंधन से लेकर भोपाल और जबलपुर के वन विभाग के आला अधिकारी जुट गए हैं।
अतुल शुक्ला, नईदुनिया, जबलपुर (Jabalpur News)। बांधवगढ़ में 10 में से अब तक आठ हाथियों की मौत हो चुकी है। मौत की वजह का पता लगाने के लिए बांधवगढ़ पार्क प्रबंधन से लेकर भोपाल और जबलपुर के वन विभाग के अधिकारी जुट गए हैं।
अपशिष्ट की जांच में कोदो-कुटकी का अपशिष्ट भी मिला
वेटरनरी विश्वविद्यालय के स्कूल आफ वाइल्ड लाइफ से एक्सपर्ट की टीम बांधवगढ़ पहुंचकर आठ हाथियों का पोस्टमार्टम किया। यह सभी मादा हाथी हैं। अपशिष्ट की जांच में कोदो-कुटकी का अपशिष्ट भी मिला है, जिसमें बड़ी मात्रा में माइक्रो टाक्सिक होने की बात सामने आई है। प्रारंभिक जांच में हार्थियों की मौत की वजह यही बना है।
पिछले दिनों लगभग 10 एकड़ खेत में फसल खाई थी
जांच टीम के मुताबिक हाथियों के झुंड ने पिछले दिनों लगभग 10 एकड़ खेत में रखी काेदू-कुटकी की फसल खाई थी। जांच के दौरान पता चला है कि यह फसल, जंगल में रहने वाले किसानों को पिछले कुछ दिन पहले काटकर खेत में रखी थी, जिससे इनमें जहर के लक्षण होने की संभावना बढ़ गई। हालांकि अभी तक इसके पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं कि मौत की वजह काेदू-कुटकी ही रहा, पर हा पेट और अन्य अंगों में मिला माइक्रो टाक्सिक से मौत होना की आशंका जताई गई है।
जहर से हुई मौत, कहां से आया पता नहीं
प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि 48 घंटे के भीतर एक-एक कर आठ हाथियों ने दम तोड़ दिया। मंगलवार को सात हाथियों की मौत हुई थी। बुधवार को एक अन्य हाथी की जान चली गई।
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने जांच के लिए एसआइडी गठित की
जबलपुर से पहुंचे प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने हाथियों की मौत को गंभीरता से लेते हुए जांच के लिए एसआइडी गठित कर दी है। वहीं एनटीसीए यानी नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी दिल्ली की टीम भी बांधवगढ़ पहुंची।
ब्लड, बिसरा की जांच अब वाइल्ड लाइफ की लैब में की जाएगी
जबलपुर स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट के दो वेटनरी डा. अमोल रोकड़े और डा. निधि राजपूत के साथ तीन पीएचडी बांधवगढ़ में मौत की वजह जानने में जुटे हैं। जांच दल ने हाथियों के ब्लड, बिसरा आदि के सैम्पल लिए हैं। इनकी जांच अब वाइल्ड लाइफ की लैब में की जाएगी।
पोखर, तालाब से पानी के सैंपल लिए, जहां मौत जहर से हुई
पार्क के अंदर मौजूद भोजन सामग्री के सैंपल भी लिए जा रहे हैं। जिनका सेवन हाथियों ने किया है। पोखर, तालाब से पानी के सैंपल भी लिए गए हैं। हालांकि मौत जहर से हुई, पर यह कहां से आया, इसका पता नहीं चला है।
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