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रिटायर्ड अपर संचालक के खिलाफ जांच करेगा जनजातीय कार्य विभाग: 68 करोड़ के घोटले का विधानसभा में भी उठा था मामला; रिटायरमेंट तक आरोप पत्र नहीं दे पाई सरकार – Bhopal News

आदिम जाति कल्याण विभाग के रिटायर्ड अपर संचालक डॉ सुरेंद्र सिंह भंडारी के विरुद्ध विभाग जांच होगी। जनजातीय कार्य विभाग ने डॉ भंडारी पर करोड़ों रुपए के घोटाले के मामले में रिटायरमेंट के बाद विभागीय जांच कराने का फैसला किया है। विभाग ने अपर आयुक्त जनजाती

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विभाग के मंत्रालय से जारी आदेश में कहा गया है कि डॉ भंडारी अपर संचालक और प्राचार्य परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केंद्र के विरुद्ध 25 मार्च 2022 को आरोप पत्र जारी किए गए थे। इसके बाद भंडारी ने 2 नवम्बर 2022 को विभाग को लिखकर दिया कि शासकीय सेवा में रहते हुए उनका आरोप पत्र तामील नहीं कराया जा सका। इसलिए न्यायालय में अंतिम सुनवाई के लिए पेंडिंग प्रकरण के आधार पर शासन द्वारा जारी आरोप पत्र निरस्त किया जाए और सेवानिवृत्ति के बाद उनके स्वत्वों (सेवा काल में मिलने वाले लाभ) का भुगतान सरकार करे।

इसके बाद शासन की ओर से भंडारी को 5 जनवरी 2023 को जानकारी दी गई थी कि अलग-अलग न्यायालयों द्वारा पारित आदेश के परिप्रेक्ष्य में जब एक बार आदेश जारी किया जाता है और संबंधित अधिकारी को भेज दिया जाता है तो यह माना जाना चाहिए कि संबंधित अधिकारी को जानकारी दे दी गई है, भले ही वह वस्तुत: कभी भी प्राप्त न हुआ हो। इसमें कहा गया है कि इसके जवाब में भंडारी ने कभी शासन को उत्तर नहीं दिया। इसलिए अब उनके विरुद्ध विभागीय जांच कराने का फैसला किया गया है।

विधानसभा में भी उठा था मामला

आदिम जाति कल्याण विभाग में अपर संचालक पद पर पदस्थ रहे डॉ सुरेंद्र सिंह भंडारी के द्वारा किए गए करप्शन का मामल 2017-18 में विधानसभा में भी उठ चुका है। तब यह बात सामने आई थी कि भंंडारी द्वारा 2010 में 68 करोड़ का दोहरा आहरण किया गया जिसकी उन्हें पात्रता नहीं थी। इस राशि में से 70 लाख रुपए चपरासी और एक बाबू के खाते में ट्रांसफर हो गए। यह मामला जब तत्कालीन एसीएस वित्त के पास पहुंचा तो वर्ष 2014 में उन्होंने यह जानकारी मुख्य सचिव को दी। मुख्य सचिव ने अपर मुख्य सचिव वित्त, पीएस आदिम जाति कल्याण और अनुसूचित जाति को बुलाकर मीटिंग के बाद नोटशीट में अपर संचालक पर एफआईआर कराने के लिए कहा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

यह आरोप भी लगे हैं भंडारी पर

सेवाकाल के दौरान अपर संचालक भंडारी पर दो ड्राइवरों की भर्ती करने के आरोप भी लगे थे जिसकी उन्हें पात्रता नहीं थी। इसकी शिकायत लोकायुक्त में हुई थी और नोटिस भी जारी किया था। इसके अलावा अफसर से प्रताड़ित होकर एक पत्रकार द्वारा मंत्रालय से कूदकर आत्महत्या करने का घटनाक्रम भी हुआ था जिसकी एफआईआर जहांगीराबाद थाने में की गई थी।

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