‘20 से 25 लोगों ने हमें घेर लिया। वे लाठी, डंडे, कुल्हाड़ी और हंसिया लिए हुए थे। इतने में मंझला भाई भी आ गया। सभी लोग हम चारों पर टूट पड़े। करीब एक घंटे तक दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, अगर समय पर पुलिस आ जाती तो किसी की जान नहीं जाती।’
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यह कहना है पिता और दो भाई को खो चुके रामराज मरावी (28) का। रामराज डिंडौरी जिला अस्पताल में भर्ती है। दरअसल, डिंडौरी में गाड़ासरई थाना क्षेत्र के लालपुर सानी गांव के रहने वाले रघुराज (40), शिवराज (40)और उनके पिता धरम सिंह (65) की गुरुवार शाम कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी गई थी। एहतियात के तौर पर गांव में 4 पुलिसकर्मी तैनात हैं।
पुलिस ने घनश्याम मरावी, कंवल सिंह मरावी, पतिराम मरावी और कार्तिक मरावी को गिरफ्तार कर लिया है। तीन आरोपी सोन सिंह, सरवन और जहर सिंह फरार हैं। दोनों पक्ष एक ही परिवार के हैं। इनके बीच 22 एकड़ पुश्तैनी जमीन को लेकर विवाद चल रहा है।
वारदात के बाद दैनिक भास्कर की टीम जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर लालपुर सानी गांव पहुंची। यहां मृतक की पत्नी और जिला अस्पताल में भर्ती घायल रामराज से बात की। रामराज ने बताया कि एक घंटे तक आरोपियों ने खूनी खेल खेला।
तीनों की गुरुवार शाम को हत्या कर दी गई।
25-25 लोग कुल्हाड़ी, डंडे लेकर टूट पड़े
जिला अस्पताल में भर्ती रामराज ने बताया, ‘घर में दीपावली मनाने की तैयारी चल रही थी। मैं, भाई शिवराज और पिता घर पर थे। मंझला भाई रघुराज ऑटो लेकर बाजार गया था। शाम करीब 4:30 बजे थे। पता चला कि गांव में रहने वाला चाचा का परिवार खेत पर धान काट रहा है। यह धान आधा एकड़ जमीन पर इसी साल हमने रोपी थी।
हम विवाद नहीं चाहते थे, इसलिए डायल 100 पर कॉल किया। करीब आधा घंटा पुलिस का इंतजार किया। घर से खेत करीब 300 मीटर दूर है। जब पुलिस नहीं आई तो दोनों भाई और पिता खेत पर चले गए। सबूत जुटाने के लिए मोबाइल से वीडियो बनाने लगे। यह देख आरोपी गाली-गलौज करने लगे।
हम लोग भागने लगे। 20 से 25 लोगों ने हमें घेर लिया। सभी लाठी, डंडे, कुल्हाड़ी और हंसिया लिए हुए थे। इतने में शिवराज भी आ गया। वे लोग हम चारों पर टूट पड़े। पहले घसीटकर खेत पर ले गए। यहां करीब एक घंटे तक दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। चारों को लहूलुहान हालत में छोड़कर भाग गए। इतने में गांव वाले आ गए। करीब 7 बजे तक पुलिस नहीं आई तो गांववाले ऑटो से ही खून से लथपथ चारों को अस्पताल ले जाने लगे। इस बीच पुलिस और 108 एम्बुलेंस आ गई।’
शाम को दिवाली मनाने की तैयारी थी
बकौल रामराज- ‘मैं जेसीबी चलाता हूं। दो दिन पहले ही त्योहार मनाने घर आया था। मेरे मंझले भाई रघुराज मरावी के पास ऑटो रिक्शा है। वह बाजार गया था। दिवाली के दिन हम लोग सोच रहे थे कि भाई शाम को ऑटो लेकर आएगा तो बाजार जाकर पटाखे खरीदेंगे और साथ में त्योहार मनाएंगे। शाम करीब 4 बजे जानकारी मिली कि दूसरा पक्ष हमारे खेत में धान काट रहा है।’
जब दो घंटे तक एम्बुलेंस और पुलिस नहीं पहुंची तो ऑटो से घायलों को ले जाने लगे।
शिवराज की पत्नी बोली– मेरे सामने मार डाला
शिवराज मरावी की पत्नी मेला बाई ने बताया, ‘जब ससुर, पति और देवर खेत जा रहे थे तो मैं भी पीछे-पीछे चली गई। वहां देखा कि 20- 25 लोगों ने कुल्हाड़ी-डंडा लेकर उन्हें घेर रखा था। हम लोग चिल्लाते रहे। आरोपियों के सामने छोड़ने के लिए भी गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। मेरे सामने पति, ससुर और देवर ने दम तोड़ दिया। किसी को बचा नहीं पाए। पुलिस और एंबुलेंस भी देरी से आई।
जब वे लोग मारपीट कर चले गए, तब देवर के ऑटो से घायलों को अस्पताल ले जाने लगे। इस बीच एंबुलेंस और पुलिस दोनों आ गई। पिता जी ने बताया था कि 4 नवंबर को तहसीलदार और पटवारी जमीन का सीमांकन करने आएंगे। क्या पता था कि त्योहार के दिन ही इतना विवाद बढ़ जाएगा।’
20 साल से चल रहा 22 एकड़ जमीन का विवाद
गांव में धरम सिंह अपने तीनों बेटों के साथ रहते थे। करीब 200 मीटर दूर आरोपी और धरम सिंह के भतीजे पतिराम, जहर सिंह, घनश्याम और सोन सिंह मरावी का घर है। दोनों के बीच 20 साल से 22 एकड़ पुश्तैनी जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। साल 2013 के पहले धरम सिंह ही इस जमीन पर खेती करते थे।
कोर्ट के फैसले के बाद रोपी धान की फसल
आरोपी भतीजे जमीन पर कब्जा करना चाहते थे। वे 2013 के बाद से विवाद करने लगे। आखिरकार 2018-19 में जमीन पर आरोपियों ने कब्जा कर लिया। कुछ समय बाद धरम सिंह ने सिविल कोर्ट में केस लगा दिया। इसी साल बारिश शुरू होने से पहले यानी साल 2024 में कोर्ट ने धरम सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद धरम सिंह ने आधा एकड़ जमीन में धान की रोपाई की। आरोपी इसी फसल को दिवाली के दिन काटने पहुंचे गए।
आरोपी तीनों को खेत पर छोड़ गए थे। पुलिस उन्हें पोस्टमॉर्टम के लिए ले गई।
खेत में दफनाए गए पिता, दोनों बेटों के शव
मृतकों के घर में महिलाओं के अलावा अब सिर्फ एक बेटा रामराज बचा है। वह भी अस्पताल में भर्ती है। मृतक शिवराज (40) की दो बेटियां लता (12) और राधिका (8) हैं, जबकि एक बेटा लोकेश्व (1) है। वहीं रघुराज (40) की भी दो बेटियां जिया (6) और काव्या (3) हैं। तीसरे बेटा रामराज (28) की शादी नहीं हुई है।
पुलिस ने ही जेसीबी मशीन की मदद से घर के पीछे गड्ढा खुदवाकर तीनों के शवों को दफना दिया। इस दौरान ग्रामीणों के अलावा अपर कलेक्टर सरोधन सिंह, एएसपी जगन्नाथ मरकाम भी वहां थे। अपर कलेक्टर ने बताया कि मृतकों के परिजन को अंत्येष्टि के लिए पांच हजार रुपए सहायता राशि के अलावा राशन उपलब्ध कराया गया है। उन्हें शासन की योजनाओं का लाभ भी दिलाया जाएगा।
पिता और दोनों बेटों के शवों को एक साथ दफना दिया गया।
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पिता-तीन बेटों पर कुल्हाड़ी लेकर टूट पड़े 20-25 लोग
डिंडौरी में जमीन विवाद में पिता और दो बेटों की कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी गई। तीसरा बेटा गंभीर रूप से घायल है। जिला अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। पुलिस ने 7 आरोपियों पर केस दर्ज कर लिया है। इनमें से तीन को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है। पढ़ें पूरी खबर
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