तालिबान राज में महिलाओं की स्थिति बदतर होती जा रही है। ताजा फरमान के बाद महिला अधिकारों की वकालत करने वाले कार्यकर्ता कह रहे हैं कि दुनिया के अन्य ताकतवर देशों को दखल देना चाहिए। आरोप है कि ऐसे फरमानों के जरिए तालिबान ने लैंगिक रंगभेद की व्यवस्था स्थापित की है।
By Arvind Dubey
Publish Date: Sat, 02 Nov 2024 10:53:55 AM (IST)
Updated Date: Sat, 02 Nov 2024 10:53:55 AM (IST)
HighLights
- महिलाओं की आवाज को बताया ‘आवारा’
- मतलब जिसे काबू किया जाना जरूरी है
- मंत्री मोहम्मद खालिद हनफी का आदेश
एजेंसी, काबुल। अफगानिस्तान के तालिबानी शासन में महिलाओं के खिलाफ एक और नियम जारी किया है। इसमें कहा गया है कि महिलाओं को नमाज भी मन ही मन पढ़ना चाहिए। किसी भी महिला द्वारा दूसरी महिला को नमाज पढ़ते हुए सुनना भी अपराध है।
यदि कोई महिला नमाज पढ़ रही है और उसके पास कोई दूसरी महिला है, तो उसे मन ही मन नमाज पढ़ना होगी, ताकि दूसरी महिला उसे सुन न सके।
तालिबान सरकार के मंत्री मोहम्मद खालिद हनफी ने यह जिम्मेदारी दी है। उनके पास सदाचार को बढ़ावा देने और बुराई की रोकथाम करने वाले मंत्रालय की जिम्मेदारी है।
महिला की आवाज को ‘आवारा’ माना
- द न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, हनफी का कहना है कि एक महिला की आवाज को ‘आवारा’ माना जाता है। मतलब ऐसी चीज से काबू किया जाना या ढंका जाना चाहिए और सार्वजनिक रूप से नहीं सुना जाना चाहिए
- उनके मुताबिक, एक महिला की आवाज को दूसरी महिला द्वारा सुना जाना भी हराम है। यही कारण है कि नई व्यवस्था लागू की गई है और सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
- हनफी ने कहा कि महिलाओं को अन्य महिलाओं के साथ रहते हुए भी कुरान को जोर से नहीं पढ़ना चाहिए। महिलाओं को तकबीर या अजान की अनुमति नहीं है। वे गाने नहीं गा सकती हैं या संगीत का आनंद नहीं ले सकती हैं।
…तो क्या महिलाओं को सार्वजनिक रूप से बोलने नहीं दिया जाएगा
ताबिलान सरकार का यह आदेश महिलाओं की प्रार्थनाओं पर केंद्रित है, लेकिन लोगों को डर है कि ऐसे नियम अफगान महिलाओं की सार्वजनिक रूप से स्वतंत्र रूप से बोलने की क्षमता को और सीमित कर सकते हैं और उनके अधिकारों को खत्म कर सकते हैं।
विदेश में रहने वाले अफगान कार्यकर्ताओं ने तालिबान के नए आदेश की निंदा की है और इस कदम को ‘लैंगिक रंगभेद की व्यवस्था’ बताया है।
अफगानिस्तान में महिलाओं के हकों की आवाज उठाने वाली जोहल अजरा ने कहा, ‘पिछले महीने सार्वजनिक रूप से महिलाओं की आवाज दबाने की कोशिश हुई थी, लेकिन ताजा आदेश से साफ है कि तालिबान राज में महिलाओं के अधिकारों के दबाने की कोई सीमा नहीं है।
अफगानिस्तान में सत्ता में लौटने के बाद से तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों को सार्वजनिक जीवन से मिटा दिया है। इनमें 105 से अधिक फरमान शामिल हैं, जिन्हें हिरासत, यौन शोषण, यातना और क्रूरता सहित हिंसक और मनमाने ढंग से लागू किया जाता है। यह अमानवीय और अपमानजनक है। यह महिलाओं और लड़कियों को पत्थर मारने और कोड़े मारने जैसा है। – जोहल अजरा
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