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जवाहर टेकरी के गिट्टी खदान तालाब में केमिकल चार गुना बढ़ा, भूजल और मिट्टी भी हो चुकी खराब
प्लास्टर ऑफ पेरिस पर्यावरण के लिए बहुत ही हानिकारक बनता जा रहा है। इससे बनी मूर्तियां और सामग्री दिखने में तो अच्छी लगती हैं, लेकिन उनके नष्ट होने में बरसों लग जाते हैं। जवाहर टेकरी के गिट्टी खदान वाले तालाब की बिगड़ी दशा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। 15 साल पहले तक यहां का पानी पीते थे। अब तो इस्तेमाल करने से भी एलर्जी के साथ त्वचा रोग हो रहे हैं।
15 साल से नगर निगम यहां मूर्तियों का विसर्जन कर रहा है। 2019 से 2023 तक 5 सालों में ही यहां करीब 20 लाख मूर्तियों का विसर्जन किया गया। वहीं इस साल 2024 में सर्वाधिक 6 लाख मूर्तियों का विसर्जन यहां हुआ है। एक्सपर्ट का कहना है कि इनमें से 90% मूर्तियां पीओपी की थीं क्योंकि मिट्टी से बनी मूर्तियों को घरों और अस्थायी कुंडों में विसर्जित किया जाता है। क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्र पर प्रतिदिन आने वालों में 60-70 प्रतिशत त्वचा और पेट संबंधी बीमारियों से ग्रस्त हैं।
15 साल पहले तक यही पानी पीते थे लोग, अब बोरिंग का पानी भी दूिषत
रहवासी सुरेश, श्यामा बाई व अन्य ने बताया, जवाहर टेकरी के गिट्टी खदान वाले तालाब से आसपास के 10 से ज्यादा बोरिंग रिचार्ज होते हैं। 20 साल पहले इस पानी को लोग पीने के लिए इस्तेमाल करते थे। 15 साल से तालाब में नगर निगम द्वारा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जा रहा है। इससे पानी खराब होता जा रहा है।
तालाब के पास रहने वाले लोकेश को त्वचा रोग हो गया है। उन्होंने बताया हर साल मूर्तियों के विसर्जन के बाद तालाब का पानी बहुत खराब हो जाता है और यही पानी हमारे बोरिंग के पानी में मिल जाता है। रहवासी रामा ने बताया बेटी माया को टाइफाइड हो गया था। वह ठीक हुई तो उसकी बहन बीमार हो गई है।
- टरबिडिटी : इससे पता चलता है पानी कितना मटमैला है। इसकी मात्रा अधिक हाेने से किडनी व लीवर खराब हो सकते हैं।
- टोटल सॉलिड्स : टीडीएस 300 से ज्यादा होने पर पथरी हो सकती है।
- पीएच : 6.5 पीएच से नीचे का पानी एसिडिक हो जाता है, जो नुकसान दायक है।
- बीओडी: बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 3 एमजी/ली. से ज्यादा हानिकारक है।
- सीओडी : केमिकल ऑक्सीजन डिमांड 10 एमजी/ली. से कम होनी चाहिए।
25 मरीज हर दिन अस्पताल आ रहे, 15 त्वचा, पेट रोग से ग्रस्त
जवाहर टेकरी के पास स्थित ग्राम बांक के शासकीय स्वास्थ्य केंद्र पर प्रतिदिन 25-30 मरीज पहुंच रहे हैं। कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर साक्षी जायसवाल ने बताया, इन में 15-20 त्वचा और पेट रोग से ग्रस्त हैं। इनमें भी बच्चों की संख्या ज्यादा है।
तालाब की मिट्टी भी खराब कर रही प्लास्टर ऑफ पेरिस एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस तालाब की मिट्टी भी खराब हो रही है। पीओपी में मौजूद लेड, आर्सेनिक, मरकरी, कैडियम, जिंक ऑक्साइड, और क्रोमियम जैसे हानिकारक पदार्थ से मिट्टी दूषित हो रही है। इसका पीएच 7 से कम निकला है।
भास्कर एक्सपर्ट- डॉ. दिलीप वाघेला (सीनियर साइंटिस्ट), सुधींद्र मोहन शर्मा (भूजल विशेषज्ञ)
खदानें कुएं की तरह हैं, सीधे ग्राउंड वाटर खराब हो रहा
- पीओपी की मूर्तियों से तालाब को दोहरा नुकसान हो रहा है। पानी तो विषैला हो ही रहा है। इसके अलावा यहां खदानें 50 फीट तक गहरी हैं, जो सीधे ग्राउंड वाटर के संपर्क में हैं।
- पीओपी के पार्टिकल एक्विफर को ब्लॉक कर देते हैं। इसके रंग और डाई में कैडमियम, आर्सेनिक, क्रोमियम जैसे तत्व होते हैं, जो कैंसर कारक हैं। इनसे बीमारियां होना तय है।
- इन रसायनों से जलीय जीवों की मौत होती है।
- प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों को घुलने में करीब 17 साल लगते हैं जबकि मिट्टी की मूर्तियां 45 मिनट में पानी में घुल जाती हैं।
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