अभाज्य संख्या एक पूर्ण संख्या होती है, जिसे केवल 1 से या खुद से ही डिवाइड किया जा सकता है। जैसे- 2, 3, 5, 7, आदि। कैलिफोर्निया निवासी ल्यूक ड्यूरेंट की इस ऐतिहासिक खोज को मर्सेन प्राइम के रूप में क्लासिफाइड किया गया है। यह नाम फ्रांसीसी भिक्षु मारिन मर्सेन के नाम पर रखा गया है। उन्होंने 350 साल पहले इन संख्याओं को स्टडी किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, मर्सेन प्राइम काफी दुर्लभ हैं और इसलिए ड्यूरेंट की खोज और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। आसान भाषा में समझाएं तो किसी संख्या को मर्सेन प्राइम मानने के लिए, उसे ‘2ᵖ-1’ के रूप में लिखना होगा और ड्यूरेंट की खोज इस मायने में फिट बैठती है।
दिलचस्प यह भी है कि बड़ी अभाज्य संख्याओं का इस्तेमाल कुछ ऐप्लिकेशंस में इंटरनेट सिक्योरिटी के लिए किया जाता है। वहीं, मर्सेन अभाज्य संख्याएं दूसरी वजहों से अहम हैं। रिपोर्ट में लंदन के इंपीरियल कॉलेज में प्योर मैथमैटिक्स के प्रोफेसर डॉ. केविन बजर्ड के हवाले से कहा गया है कि दुनिया की सबसे बड़ी अभाज्य संख्या को खोजने से कंप्यूटर की क्षमता का भी पता चला है।
गौरतलब है कि इस तरह के नंबर इंसानी दिमाग से नहीं खोजे जा सकते। इस काम में GIMPS की मदद ली जाती है। इसकी स्थापना साल 1999 में हुई थी। यह प्रोजेक्ट, वॉलंटियर्स के एक नेटवर्क पर चलता है और कंप्यूटर की मदद से बड़े मर्सेन प्राइम नंबरों को खोजता है।
ड्यूरेंट ने भी अपनी खोज के बारे में GIMPS को बताया था। फिर दुनियाभर के वॉलंटिर्स ने रिजल्ट का पता लगाने के लिए कंप्यूटर पर टेस्ट किए। उसके बाद नंबर को कन्फर्म माना गया। यह पहला ऐसा मर्सेन प्राइम नंबर है, जिसे कंप्यूटर के GPU का इस्तेमाल करके खोजा गया।
Source link
#दनय #क #सबस #बड #अभजय #सखय #म #अब #करड #स #जयद #अक #सल #परन #रकरड #टट
2024-11-06 06:24:55
[source_url_encoded