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जनता ने आंदोलन की रहा चुनी तो जागे जनप्रतिनिधि: सांसद निधि से जिला अस्पताल में लगेगी प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन, डेंगू मरीजों को मिलेगी राहत – Mandsaur News

करीब 4 सालों ने मंदसौर जिला अस्पताल में एसडीपी (प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन) की मांग की जा रही थी। जनप्रतिनिधयों व प्रशासन के नहीं सुनने पर बुधवार को शहर के समाजसेवी, स्वयंसेवी संस्थाओं और पत्रकारों ने मिलकर आंदोलन की राह चुनी।

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बुधवार दोपहर में गांधी चौराहा पर एसडीपी मशीन के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटने वाले थे, इससे पहले ही सांसद सुधीर गुप्ता ने अपनी निधि से जिला अस्पताल में एसडीपी मनशीं के लिए राशि देने की घोषणा कर दी। लिहाजा बड़ा आंदोलन टल गया। दोपहर में सांसद सुधीर गुप्ता मन्दसौर विधायक विपिन जैन आम लोगों के बीच पहुंचे और जिला चिकित्सालय में प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन के लिए सांसद निधि से राशि देने की बात कही।

जिले में डेंगू का डंक

इस बार जिले में करीब 400 लोगों को डेंगू पॉजिटिव हुए। अधिकांश लोगों ने इन्दौर, उदयपुर झालावाड़ जाकर इलाज करवाया। डेंगू से दो लोगों की मौत भी हुई। हालांकि जिला स्वास्थ्य विभाग के पास इनके आंकड़े नहीं है, सरकारी आंकड़े के अनुसार जिले में 173 मरीजों को ही डेंगू की पुष्टि हुई है। जिला अस्पताल सहित शहर के निजी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ है। समय पर सही उपचार नहीं मिलने से मरीजों को उपचार के लिए बड़े शहरों में जाना पड़ता है।

SDP मशीन से मिलेगी राहत डेंगू से जान बचाने के लिए रोगियों को भारी मात्रा में ब्लड प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ रही है। लेकिन, ब्लड बैंक में अभी भी पुरानी तकनीकी (ब्लड कंपोनेंट सेप्रेशन) का इस्तेमाल कर खून से प्लेटलेट्स निकाला जा रहा था। समय की बर्बादी के साथ ब्लड डोनर भी नही मिल पा रहे थे। प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन (एसडीपी) लग जाने से डेंगू मरीजों को आ रही परेशानियों से निजात मिल जाएगी।

इस मशीन के लग जाने से सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) विधि से अब एक ही डोनर से मरीज की जरूरत के अनुसार प्लेटलेट्स निकालना संभव होगा। इसके पहले तीन से चार डोनर का ब्लड लिया जाता था। फिर प्लेटलेट्स अलग किया जाता था। इस प्रक्रिया में ब्लड के जरिए एक घंटे में प्लेटलेट्स निकलता है। डोनर के शरीर से ब्लड निकालकर मशीन में ले जाया जाता है। वहां से प्लेटलेट्स अलग होकर मरीज के शरीर तक पहुंचता है और बाकि ब्लड दोबारा डोनर के शरीर में पहुंचाया जाता है। खास बात यह भी है कि प्लेटलेट्स देने वाला व्यक्ति 72 घंटे बाद दोबारा प्लेटलेट्स दे सकता है।

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