मध्य प्रदेश सरकार अपने सात लाख से अधिक कर्मचारियों और चार लाख से ज्यादा पेंशनर्स से जुड़े हुए पेंशन और सेवा संबंधी नियमों में बदलाव करने जा रही है। इसके साथ ही सेवा भर्ती संबंधी निमयों में भी बदलाव किया जाएगा। इस बदलाव के लिए एक चार सदस्यी ग्रुप बनाया जाएगा, यह एक साल के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। इस ग्रुप का गठन इसी माह किया जा सकता है।
By Vaibhav Shridhar
Publish Date: Wed, 06 Nov 2024 08:05:48 AM (IST)
Updated Date: Wed, 06 Nov 2024 11:49:32 PM (IST)
HighLights
- सभी पुराने नियमों का परीक्षण करके किया जाएगा संशोधन।
- इसके लिए सेवानिवृत्त अधिकारियों को दिया जाएगा जिम्मा।
- पेंशन नियम 1976 में संशोधन सबसे पहले इसी बार होगा।
वैभव श्रीधर, नईदुनिया, भोपाल(Service Rules in MP)। मध्य प्रदेश के सात लाख से अधिक नियमित कर्मचारी और चार लाख से अधिक पेंशनरों से जुड़े पेंशन और सेवा संबंधी नियमों में सरकार वर्षों बाद परिवर्तन करेगी। इसके लिए चार सदस्यीय समूह बनाया जाएगा, जो एक वर्ष के भीतर सभी नियमों का परीक्षण करके अपनी रिपोर्ट देगा।
पेंशन नियम 1976 में संशोधन सबसे पहले इसी वित्तीय वर्ष में होगा, क्योंकि कर्मचारी आयोग इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंप चुका है, जिस पर निर्णय होना ही बाकी है। समूह का गठन इसी माह किया जाना प्रस्तावित है।
भारत सरकार कर चुकी है कई परिवर्तन
भारत सरकार पेंशनरों से जुड़े नियमों में कई परिवर्तन कर चुकी हैं। इसमें 25 वर्ष से अधिक अविवाहित पुत्री, विधवा, परित्याक्ता को परिवार पेंशन देने का प्रविधान है लेकिन प्रदेश में इसकी कोई व्यवस्था नहीं है।
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी जीपी सिंघल की अध्यक्षता वाले कर्मचारी आयोग ने पेंशन नियम का परीक्षण करके संशोधन संबंधी अपनी रिपोर्ट वित्त विभाग को तीन वर्ष पहले सौंपी थीं। इस पर विभाग ने पेंशन संचालनालय से अभिमत भी मांगा था, जो दिया जा चुका है पर कोई निर्णय अभी तक नहीं हुआ है।
भर्ती संबंधी नियमों में परिवर्तन किया जाएगा
इसी तरह कर्मचारियों को मिलने वाले गृह भाडा़ सहित अन्य भत्ते भी लंबे समय से नहीं बढ़ाए गए हैं। इसके लिए तत्कालीन वित्त सचिव अजीत कुमार ने अध्ययन करके रिपोर्ट सौंपी थी पर वो भी ठंडे बस्ते में चली गई। विभिन्न संवर्ग के कर्मचारियों के वेतनमान में विसंगतियों का विषय कई बार कर्मचारी संगठन उठा चुके हैं। सेवा भर्ती संबंधी नियमों में भी परिवर्तन किया जाना है। प्रदेश में कर्मचारी आयोग तो है पर क्रियाशील नहीं है।
इसमें अभी कोई अध्यक्ष भी नहीं है इसलिए चार ऐसे अधिकारियों का समूह गठित किया जा रहा है, जिन्हें विभिन्न प्रशासनिक पदों पर काम करने का अनुभव हो। ये एक वर्ष के भीतर पेंशनर और कर्मचारियों की सेवा से जुड़े सभी नियमों का परीक्षण करके संशोधन प्रस्तावित करेंगे।
वित्त और सामान्य प्रशासन विभाग इस पूरे मामले में समन्वयक की भूमिका निभाएंगे और समूह के सदस्यों को जिस भी दस्तावेज की आवश्यकता होगी, वह उपलब्ध कराएंगे।
कर्मचारी संगठनों से भी लिया जाएगा पक्ष
कर्मचारियों की समस्याओं को सुलझाने के लिए कमल नाथ सरकार ने कर्मचारी आयोग बनाया था, जिसे शिवराज सरकार ने बरकरार रखा। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी जीपी सिंघल को इसका अध्यक्ष बनाया था पर उन्होंने कर्मचारी संगठनों से मिलने से ही इन्कार कर दिया था।
सामान्य प्रशासन या वित्त विभाग के माध्यम से जो अभ्यावेदन प्राप्त होते थे, उन पर केवल अधिकारियों से चर्चा की जाती थी। कुछ संवर्गों की वेतन विसंगति को लेकर भी आयोग ने प्रतिवेदन दिया पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब जो समूह बनेगा, वह कर्मचारी संगठन से भी बात करेगा।
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