वाशिंगटनः अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा चुने जाने के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध अब कौन सा मोड़ ले सकता है, इस पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं। हालांकि ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने की घोषणा होने के तुरंत बाद जेलेंस्की ने ट्रंप को बधाई देते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति स्थापित होने की उम्मीद जाहिर की है। वहीं राष्ट्रपति पुतिन के क्रेमलिन कार्यालय ने भी कहा है कि अमेरिका अगर चाहता है तो मॉस्को बातचीत का विकल्प खुला रखेगा। मगर साथ में रूस ने यह भी कहा कि जब जनवरी में ट्रंप अपना कार्यभार संभालेंगे तो रूस-यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका की क्या नई पॉलिसी होगी, इस पर उसकी नजर बनी है। इससे पहले क्रेमलिन ने इस पर और ज्यादा कुछ कहने से इनकार कर दिया।
बता दें कि राष्ट्रपति ट्रंप की विदेश नीति उनके पहले कार्यकाल के दौरान विदेशी संघर्षों में अमेरिका की भागीदारी को कम करने और अमेरिकी हितों को प्राथमिकता देने की रही थी, जिसने मध्य पूर्व और पूर्वी यूरोप दोनों पर उनके रुख को आकार दिया है। उनकी जीत उनके पूर्ववर्ती दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, जिससे इन चल रहे संघर्षों में अमेरिका की भूमिका के बारे में अनिश्चितता पैदा कर दी है।
प्रचार अभियान के दौरान ट्रंप करते रहे रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करवाने की बात
राष्ट्रपति चुने जाने से पहले अपने पूरे चुनाव अभियान के दौरान ट्रम्प बार-बार इस बात की घोषणा करते रहे कि इस बार अगर वह जीत जाते हैं तो एक दिन के भीतर रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करवा सकते हैं। उन्होंने खुद को एक ऐसे वार्ताकार के रूप में कल्पना के तौर पर पेश किया जो शांति समझौता करा सकता है। जबकि ट्रम्प इस युद्ध को कैसे खत्म करवाएंगे इस बारे में कोई विशेष विवरण नहीं दिया था। उनके सहयोगी और उपराष्ट्रपति चुने गए जेडी वेंस ने सुझाव दिया था कि इस तरह के समझौते में वर्तमान लाइनों के साथ एक असैन्यीकृत क्षेत्र बनाना शामिल होगा, जिसका अर्थ है कि यूक्रेन क्रीमिया, लुहान्स्क, डोनेट्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज़िया सहित प्रमुख क्षेत्रों पर नियंत्रण खो देगा। विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि ट्रम्प इस तरह के प्रस्ताव के लिए दबाव डालते हैं तो यह प्रस्ताव किसी भी क्षेत्रीय रियायत के लिए यूक्रेनी प्रतिरोध का खंडन करता है, जो प्राथमिकताओं में संभावित संघर्ष का संकेत देता है।
क्या यूक्रेन को अब भी हथियार देगा अमेरिका
अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन के तहत यूक्रेन को रूस के खिलाफ जंग में पर्याप्त सैन्य सहायता प्राप्त हुई है। यही वजह है कि रूस और अमेरिका के रिश्ते तनाव के चरम पर हैं। अमेरिका ने यूक्रेन को जो सैन्य सहायताएं दीं, जिसमें उस देश की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण उन्नत हथियार प्रणालियां भी शामिल हैं। हालांकि ट्रम्प ने पहले ही यूक्रेन के लिए इस तरह से हथियार देने के अमेरिकी समर्थन पर संदेह व्यक्त किया है। इससे यूक्रेन को मिल रही व्यापक अमेरिकी सहायता के पीछे के तर्क पर भी सवाल उठ गया है। उनका संदेह पिछले कार्यों में भी परिलक्षित होता है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान, उन्होंने यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता अस्थायी रूप से रोक दी थी, जिससे राजनीतिक विवाद छिड़ गया था। उक्त इतिहास बताता है कि विदेशी भागीदारी के बारे में ट्रम्प का व्यावहारिक दृष्टिकोण उन्हें यूक्रेन को अमेरिकी सहायता को कम करने या यहां तक कि रोकने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे रूसी हमलों के खिलाफ यूक्रेन की रक्षा संभावित रूप से कमजोर हो सकती है।
अमेरिकी विदेश नीति का कैसा होगा भविष्य
जिस तरह से दुनिया में युद्ध छिड़ा हुआ है, ऐसे में विदेशी संघर्षों के प्रति ट्रम्प के दृष्टिकोण को डील-मेकिंग और ‘अमेरिका पहले’ दर्शन पर ध्यान केंद्रित करने की विशेषता है, जो गठबंधन या वैश्विक हस्तक्षेप से ऊपर अमेरिकी हितों को प्राथमिकता देता है। यदि यह उनके दूसरे कार्यकाल में भी जारी रहता है तो अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में अमेरिका की भूमिका अधिक संयमित हो सकती है। ट्रम्प दुनिया में छिड़े संघर्षों को बातचीत के जरिए समाधान की वकालत कर सकते हैं, भले ही उन्हें रियायतों की आवश्यकता हो। हालांकि यूक्रेन के लिए इसमें ऐसी रियायतें शामिल हो सकती हैं जो रणनीतिक रूप से हानिकारक हो सकती हैं। हालांकि अमेरिकी विदेश नीति में इस संभावित बदलाव का पूरा प्रभाव तब सामने आएगा जब ट्रम्प प्रशासन अपनी रणनीतियां विकसित करेगा। इसलिए रूस-यूक्रेन समेत पूरी दुनिया वेट एंड वॉच की स्थिति में है।
ट्रंप को लेकर क्या है पुतिन और जेलेंस्की का नजरिया
जेलेंस्की कहना है कि वह ‘‘ताकत के जरिए शांति स्थापना” के डोनाल्ड ट्रंप के दृष्टिकोण की सराहना करते हैं। ट्रंप की जीत के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “मुझे सितंबर में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हुई शानदार मुलाकात याद है, जब हमने यूक्रेन-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी, विजय योजना और यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रामण को समाप्त करने के तौर-तरीकों पर विस्तार से चर्चा की थी।” जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन “पारस्परिक रूप से लाभकारी राजनीतिक और आर्थिक सहयोग विकसित करने में दिलचस्पी रखता है, जिससे हमारे दोनों देशों को फायदा होगा।” वहीं दूसरी तरफ रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने ट्रंप की जीत पर अभी तक उनको बधाई भी नहीं दी है। हालांकि क्रेमलिन की ओर से यह जरूर कहा गया है कि वह बातचीत के विकल्प को खुला रखेगा। मगर यूक्रेन पर ट्रंप प्रशासन आने वाले समय में कौन से पॉलिसी अपनाता है, इसे देखने के बाद ही रूस कुछ निर्णय लेगा। मगर अभी अमेरिका उसका शत्रु राष्ट्र बना रहेगा।
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