रतलाम में छठ महापर्व के तीसरे दिन ढलते सूर्य को दिया अर्ध्य दिया गया। गुरुवार शाम को शहर के मां कालिका माता मंदिर परिसर स्थित झाली तालाब और हनुमान ताल पर बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय परिवार पहुंचे। महिलाओं ने पूजन कर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। दीपदान
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सूर्य को अर्घ्य देने के बाद आराधना करती महिलाएं।
महिलाओं ने पूजा-अर्चना की और भजन गाए
शहर में बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय परिवार निवास करते है। अधिकतर रेलवे की नौकरी में है। छठ पर्व का उत्साह समाजजनों में देखते ही बनता था। झाली तालाब पर बड़ी संख्या में पहुंची महिलाओं ने पूजन कर भजन गाए। सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया। पुरुष और बच्चों ने पटाखा फोड़कर पर्व की खुशियां मनाई। समाजजनों ने बताया कि छठ पर्व का तीसरा दिन, जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है, चैत्र या कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है। पूरे दिन सभी लोग मिलकर पूजा की तैयारियां करते हैं। छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद जैसे ठेकुआ और चावल के लड्डू बनाए जाते हैं।
छठ के तीसरे दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की आराधना की जाती है। यह एकमात्र ऐसा व्रत है, जिसमें चढ़ते सूरज के बजाय डूबते सूरज की पूजा होती है। व्रतधारी भगवान को जल या दूध से अर्घ्य देते हैं और फल अर्पित करते हैं। छठ व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना के लिए रखती हैं, वहीं संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए भी यह व्रत विशेष महत्व रखता है।
झाली तालाब पर बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय समाजजन पूजा के लिए पहुंचे।
पूजा के प्रसाद और फल बांस की टोकरी में देवकारी में रखे जाते हैं। जिसे पुरुष और महिलाएं अपने सिर पर लेकर घाट पर पहुंते है। पूजा-अर्चना करने के बाद शाम को एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल, और अन्य पूजन सामग्री रखी जाती है, जिसे घर का पुरुष अपने हाथों से उठाकर छठ घाट पर ले जाते है। शुक्रवार अल सुबह सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व की समाप्ति होगी।
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