28 मिनट पहले
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कनाडा ने ऑस्ट्रेलिया के एक न्यूज चैनल ऑस्ट्रेलिया टुडे और उसके सोशल मीडिया हैंडल्स को ब्लॉक कर दिया है। दरअसल इस चैनल ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस को टीवी पर दिखाया था। जयशंकर ने गुरुवार को ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।
इस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने निज्जर मामले में भारत पर बिना ठोस सबूत के आरोप लगाने पर कनाडा की आलोचना की थी। इस दौरान जयशंकर ने कहा कि कनाडा भारत विरोधी तत्वों को राजनीतिक स्थान देता है। साथ ही कनाडा में भारतीय राजनयिकों की जा रही निगरानी की भी निंदा की थी।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडा के इस कदम को हिपोक्रेसी बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि विदेशमंत्री जयशंकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ घंटे बाद ही कनाडा ने ये किया है।
जायसवाल ने कहा कि कनाडा के इस कदम से अभिव्यक्ति की आजादी के लिए उसका पाखंड सामने आया है।
5 दिवसीय ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए थे जयशंकर विदेश मंत्री जयशंकर 3 से 7 नवंबर तक ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर पहुंचे थे। इस दौरान जयशंकर ने बिजनेस लीडर्स और कई कंपनियों को सीईओ के साथ बातचीत की। साथ ही 15वें भारत-ऑस्ट्रेलिया फ्रेमवर्क डायलॉग में भी हिस्सा लिया।
वे आज सिडनी में थे यहां उन्होंने ऑस्ट्रेलिया विदेश मंत्री के साथ प्रेस ब्रीफिंग में हिस्सा लिया। ब्रीफिंग के दौरान जयशंकर ने कनाडा से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात रखी थी। विदेश मंत्रालय ने बताया कि जयशंकर ने तीन बातों पर जोर दिया।
इनमें कनाडा का निज्जर हत्या मामले में बिना किसी ठोस सबूत के भारत पर आरोप लगाना, भारतीय राजनयिकों की निगरानी करना और भारत-विरोधी तत्वों को राजनीतिक स्थान शामिल थे।
विदेश मंत्री जयशंकर के ऑस्टेलिया दौरे का आज आखिरी दिन था।
कनाडा का भारतीय शिविरों को सुरक्षा देने से इंकार विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि कनाडा ने भारतीय कॉन्सुलेट शिविरों को सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है। इसके चलते भारत को इन शिविरों को रद्द करना पड़ा है। टोरंटो में स्थित भारतीय कॉन्सुलेट इस हफ्ते कुछ शिविरों का आयोजन करने वाला था।
दरअसल भारतीय कॉन्सुलेट जनरल ने 27 सितंबर को पेंशन सर्टिफिकेट्स के लिए कनाडा के अलग-अलग शहरों में 14 शिविर लगाने की घोषणा की थी। ये शिविर 2 नवंबर से 23 नवंबर के बीच विनिपेग, ब्रैम्पटन, हैलिफैक्स और ओकविल में आयोजित किए जाने थे।
लेकिन अब सुरक्षा नहीं मिल पाने की वजह से इनमें से कुछ शिविर आयोजित नहीं किए जाएंगे।
भारतीय उच्चायोग कॉन्सुलेट शिविरों के जरिए जरूरी सुविधाएं मुहैया कराता है।
क्या होता है कॉन्सुलेट कैंप?
कनाडा में जितने लोगों को भारत सरकार से पेंशन मिलती है, उन्हें लाइफ सर्टिफिकेट जमा करना होता है। इसके लिए हर साल नवंबर में भारतीय उच्चायोग की तरफ से कैंप लगाए जाते हैं। जो शहर उच्चायोग से दूर हैं, वहां के लोगों की मदद के लिए धार्मिक जगहों जैसे गुरुद्वारों और मंदिरों में कैंप लगाए जाते हैं।
सर्टिफिकेट के लिए कैंप लगने से एक हफ्ते पहले अपना नाम दूतावास को देना होता है। 3 नवंबर को ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर में यही कैंप लगा था। ये मंदिर ब्रैम्पटन और आसपास के इलाके में सबसे बड़ा मंदिर है। ऐसे ही कैंप सरे और कैलगरी में भी लगाए गए थे।
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उस दिन दिवाली वाला माहौल था। ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर में इंडियन कॉन्सुलेट ने कैंप लगाया था। इस कैंप में लाइफ सर्टिफिकेट पर स्टैम्प लगाई जाती है। ये सर्टिफिकेट उन लोगों के पास होते हैं, जिनकी पेंशन भारत सरकार की तरफ से आती है।’ पूरी खबर यहां पढ़ें…
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