इंदौर की कंपनी और घाना सरकार के बीच इसके लिए हुआ एमओयू। कंपनी चूल्हे वितरित करने के लिए सरकार से कोई शुल्क नहीं लेगी। देश से उन्नत चू्ल्हे बनकर वहां जाएंगे, इसके बाद वहीं इनका निर्माण किया जाएगा। इससे जो कार्बन उत्सर्जन कम होगा उसका कार्बन क्रेडिट कंपनी को मिलेगा।
By Prashant Pandey
Publish Date: Fri, 08 Nov 2024 11:47:33 AM (IST)
Updated Date: Fri, 08 Nov 2024 12:09:55 PM (IST)
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर(Indore Startup Company)। पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने में इंदौर का स्टार्टअप पश्चिम अफ्रीकी देश घाना की मदद करेगा। इस अफ्रीकी देश के घरों की रसोई में हो रहा एक छोटा सा परिवर्तन उसे जलवायु परिवर्तन से निपटने और बेहतर पर्यावरण के लिए हुए अंतरराष्ट्रीय पेरिस समझौते के पालन में सबसे आगे खड़ा कर देगा।
इंदौर का स्टार्टअप घाना में 10 लाख उन्नत चूल्हे वितरित करेगा। ये चूल्हे घाना की सरकार वहां के लोगों को मुफ्त वितरित करेगी। छोटे से बदलाव का असर इतना व्यापक होगा कि कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए 2030 तक निर्धारित अपने लक्ष्य का चौथाई सिर्फ इसी से घाना हासिल कर लेगा।
64 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन कम होगा
घाना के ऊर्जा मंत्रालय के डिप्टी डायरेक्टर सेठ माहू गुरुवार को इंदौर पहुंचे। इंदौर की कंपनी बेटर प्लेनेट फुटप्रिंट्स के प्रतिनिधियों के साथ करार की घोषणा की। उन्होंने कहा कि 2016 में पेरिस अंतरराष्ट्रीय समझौते के बाद सभी देशों को अपने-अपने देश में कार्बन उत्सर्जन कम कर भविष्य में कार्बन न्यूट्रल स्थिति को हासिल करना है। चूल्हे बदलने के प्रयास से हम अगले पांच वर्षों में 64 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन कम कर सकेंगे। पेरिस समझौते को लागू करने में घाना दुनिया में सबसे आगे बना हुआ है।
कार्बन कम करने से निवेश
कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए उन्नत चूल्हे वितरित करने के लिए इंदौर की कंपनी घाना सरकार से कोई शुल्क नहीं लेगी। कंपनी के एमडी राजू सेठ के मुताबिक घाना सरकार की शर्तों के अनुसार साल 2025 की पहली तिमाही में घाना में चूल्हों का वितरण शुरू होगा। पहले उन्नत चूल्हे भारत से बनाकर व उनकी तकनीक वहां ट्रांसफर होगी। फिर वहां उनका उत्पादन होगा।
इन चूल्हों के कारण कार्बन उत्सर्जन में जो कमी होगी उसके बदले इंदौर की कंपनी को कार्बन क्रेडिट हासिल होंगे। घाना में ये चूल्हे लगने के बाद कम ईंधन खर्च होगा इससे जंगल भी बचेंगे। अनुमान है कि करीब सवा करोड़ मीट्रिक टन कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन कम होगा। इससे से जो क्रेडिट मिलेगी उसे अन्य कंपनियां और निवेशक खरीद लेंगे। इस तरह प्रोजेक्ट का खर्च निकल सकेगा। घाना सरकार के प्रतिनिधि ने कहा कि यह करार दोनों पक्षों के लिए लाभ का सौदा ही होगा।
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