पीपल्याकुमार की एक बड़ी जमीन के मामले में जिला प्रशासन को हाई कोर्ट की डबल बेंच से राहत मिली है। डीबी ने सिंगल बैंच के ऑर्डर पर रोक लगाते हुए प्रशासन की रिट अपील को मान्य किया है। साथ ही संबंधित बैंच में अपना पक्ष रखने के लिए भी कहा है।
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मामला ग्राम पीपल्याकुमार की कुल 1.032 हेक्टेयर और 2.319 हेक्टेयर जमीन का है। उक्त जमीन मीसल बंदोबस्त साल 1925-26 के अनुसार शासकीय पाल, तालाब व चरनोई की थी। एसडीएम घनश्याम धनगर ने बताया कि सर्वे क्रं. 137 शासकीय तालाब की जमीन है। उक्त जमीन पर सत्यनारायण चौकसे के पिता नर्मदाप्रसाद का नाम खसरा के कालम नंबर 12 में अतिक्रामक के रूप में दर्ज था।
कब्जेदार का नाम अभिलेखागार के कर्मचारी से मिलकर धोखाधड़ी कर सालों पहले खसरों में फर्जी इंट्री कराई गई, जिसका आपराधिक प्रकरण 1368/2004 रावजी बाजार चल रहा है। इसी फर्जी प्रविष्टि के आधार पर पंचम व्यवहार न्यायाधीश के यहां से 16/5/1997 को नर्मदा प्रसाद चौकसे को डिक्री मिल गई। इसकी अपील शासन ने साल 2001 में की।
मामला लगातार अलग-अलग कोर्ट में चलता रहा। कोर्ट के ही एक आदेश का क्रियान्वयन नहीं होने के कारण सत्यनारायण चौकसे द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसमें आदेश पारित कर डिक्री का क्रियान्वयन 2 महीने में करने का आदेश दिया गया। इस संबंध में शासन द्वारा सिविल न्यायालय में केस लगाया गया, जो अभी भी चल रहा है।
कोर्ट में देरी के कारण बताए गए शासन द्वारा हाईकोर्ट की इंदौर बैंच के समक्ष भी रिव्यू पिटिशन लगाई गई। इसका निर्णय शासन के पक्ष में नहीं होने के कारण शासन द्वारा डबल बैंच में अपील की गई। साथ ही कोर्ट में देरी के कारण भी बताए गए। डबल बैंच ने देरी के कारणों को मान्य करते हुए प्रशासन को दोबारा अपना पक्ष रखने का समय दिया है। प्रशासन की ओर से इसमें पैरवी अतिरिक्त महाधिवक्ता विश्वजीत जोशी ने पैरवी की थी।
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