यह पृथ्वी से टकराया तो नहीं, लेकिन 18 हजार 500 किलोमीटर तक नजदीक आ गया था। किसी एस्टरॉयड का इतना करीब आना उसे संभावित रूप से खतरनाक की कैटिगरी में रखता है।
वर्चुअल टेलीस्कोप प्रोजेक्ट के अनुसार, 2024 JN16 की खोज एक शौकिया खगोलशास्त्री गेनाडी बोरिसोव (Gennadiy Borisov) ने दो दिन पहले की थी। वह क्रीमिया की मार्गो ऑब्जर्वेट्री में काम कर रहे थे, जब एस्टरॉयड के बारे में पता चला।
रिपोर्ट के अनुसार, यह एस्टरॉयड, अपोलो एस्टरॉयड ग्रुप से संबंधित है, जिसके ऑर्बिट्स पृथ्वी के साथ इंटरसेक्ट करते हैं। इस ग्रुप का जाना-माना एस्टरॉयड चेल्याबिंस्क उल्का (Chelyabinsk meteor) था। साल 2013 में उस एस्टरॉयड ने रूस के शहर चेल्याबिंस्क पर टूटकर तबाही मचाई थी। उसका आकार 6 मंजिला बिल्डिंग से ज्यादा था। उसके टूटने से परमाणु विस्फोट से भी पावरफुल विस्फोट हुआ। शहर में तमाम लोग घायल हुए थे। लोगों के घरों की खिड़कियां टूट गई थीं।
नासा के अनुसार, इन्हें लघु ग्रह भी कहा जाता है। जैसे हमारे सौर मंडल के सभी ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हैं, उसी तरह एस्टरॉयड भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं। लगभग 4.6 अरब साल पहले हमारे सौर मंडल के शुरुआती गठन से बचे हुए चट्टानी अवशेष हैं एस्टरॉयड। वैज्ञानिक अभी तक 11 लाख 13 हजार 527 एस्टरॉयड का पता लगा चुके हैं। ज्यादातर एस्टरॉयड एक मुख्य एस्टरॉयड बेल्ट में पाए जाते हैं, जो मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच है। इनका साइज 10 मीटर से 530 किलोमीटर तक हो सकता है। अबतक खोजे गए सभी एस्टरॉयड का कुल द्रव्यमान पृथ्वी के चंद्रमा से कम है।
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2024-05-15 07:37:23
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