उमरिया जिले के बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 10 हाथियों की मौतों के मामले में भोपाल से लेकर दिल्ली तक हडकंप मचा हुआ है। इन हाथियों की मौतों की असली वजह खोजने के लिए अलग-अलग स्तर पर जांच चल रही है। यूपी के बरेली में स्थित इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट़्यूट
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IVRI के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. अभिजीत पावडे़ ने इसकी पुष्टि की है। डॉ. पावडे़ ने कहा, कोदो में सिप्लाजोनिक एसिड के मानकों के अनुसार जांच की गई। हाथियों ने जिस कोदो का सेवन किया। उसमें साइक्लोपियाजोनिक एसिड का पीपीबी लेवल 100 से ज्यादा पाया गया। इसी की विषाक्तता के कारण हाथियों की मौत हुई है।
‘कोदो में होता है विषाक्त पदार्थ’ डॉ. अभिजीत पावडे़ ने हाथियों की मौत को लेकर की गई जांच के बारे में बताते हुए कहा- बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 जंगली हाथियों की मृत्यु हुई। ये मौतें किस कारण हुई इसके विभिन्न कयास लगाए गए। कयासों में कोदो की फसल ज्यादा मात्रा में खाए जाने की एक वजह बताई गई। कोदो जिसमें कोदुआ नाम का एक टॉक्सिन यानी विषाक्त पदार्थ होता है। जिसकी वजह से अमूमन मौतें बताई गईं हैं। ऐसे ही बोरिस नाम के वैज्ञानिक ने 1935 में हाथियों पर लिखी किताब में एक मरे हुए ईफाउलर का भी जिक्र किया है। उसका भी एक चैप्टर है। जिसमें लिखा गया है कि, कोदुवा 100 पीपीबी से ऊपर विषाक्तता होती है। इसमें हाथी एवं पालतू पशु की मौत हो सकती है।
‘साइक्लोपियाजोनिक एसिड मिला, मौत की यही वजह’ डॉ. अभिजीत पावडे़ ने आगे कहा – हाथियों की मौत की वजह जानने के लिए सैंपल्स का विभिन्न प्रयोगशालाओं में परीक्षण हुआ। सागर की फॉरेंसिक लेबोरेटरी में भी हुआ और जबलपुर के नाना जी देशमुख वेटरनरी विश्वविद्यालय में भी हुआ। हमको इसके सैंपल्स एक नवंबर को मिले। इसमें कैडरैड के टॉक्सिकोलॉजिस्ट डॉ. एजी तेलंग, संयुक्त निदेशक कैडरैड डॉ. सोहिनी डे, वन्य प्राणी केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. एम करिकलन दिवाली के दिन, भाई दूज और लगातार प्रयास करते रहे। इन्होंने सिप्लाजोनिक एसिड का स्टैंडर्ड पुराना कहीं से लाकर रखा था। क्योंकि इतने कम समय में इसको उपलब्ध कराने के लिए कोई भी सप्लायर तैयार नहीं था। उससे इस चीज की पुष्टि हुई कि 10 हाथियों की मौत सिपलाजोनिक एसिड जो कि कोदो या कोदुवा का एक घटक है, इसके अधिक मात्रा के सेवन या आहरण से इन हाथियों की मौत हुई। साइक्लोपियाजोनिक एसिड हाथियों की मौत का कारण बना है।
‘कोदो उगाने से आदिवासियों को हुआ फायदा’ डॉ. अभिजीत पावडे़ ने कहा- बांधवगढ़ में इन हाथों की मौत 24 अक्टूबर से शुरू हुई। ये बीमार होने लगे, लड़खड़ाकर गिरने लगे। इस घटना के बाद सबका यह प्रयास था कि कोई भी कीटनाशक दवाई युक्त इस फसल को कोई जानवर ना खाए। कोदो की जो फसल है, इससे स्थानीय आदिवासियों की आजीविका का साधन है। इससे वे अपने पालतू पशुओं का पालन करते हैं। कोदो की फसल जो कि एक प्रकार का मिलेट है। ये खुरदरे अनाजों में आता है। पिछला साल हमारा मिलेट ईयर था, उसके दामों में हुई वृद्धि के कारण आदिवासियों ने इसकी फसल बहुत अधिक मात्रा में बोई थी और इससे इनको अच्छी आमदनी भी हुई थी।
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बांधवगढ़ में 10 हाथियों की मौत पर खुलासा
उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले हफ्ते तीन दिन के अंदर हुई 10 हाथियों की मौत के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। हाथियों की मौत कोदो बाजरा में साइक्लोपियाजोनिक एसिड पाए जाने से हुई है। फॉरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार कोदो बाजरा में साइक्लोपियाजोनिक एसिड पाया गया है। इसे खाने से ही हाथियों की मौत हुई है। पढ़िए पूरी खबर।
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