देवउठनी ग्यारस पर गन्ने का बड़ा महत्व है। मंगलवार को इस पर्व के अवसर पर सबसे अधिक गन्ने की दुकानें सजी। फव्वारा चौक, गांधी चौक, शनि मंदिर, प्रकाश टॉकिज के सामने, सिंधी बस्ती, इकबाल चौक सहित अन्य क्षेत्रों में गन्ने की दुकानें सजी। दुकानदारों के अनुसार
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बुरहानपुर महाराष्ट्र से सटा शहर है, इसलिए यहां महाराष्ट्र से गन्ना बिकने आता है। इस बार महाराष्ट्र का ब्लैक गन्ना 30 रुपए में एक बिका। कुछ जगह ग्राहकी कम भी रही, लेकिन सिंधी बस्ती अन्य क्षेत्रों में ग्राहकी रही। शाम में घरों में पूजा अर्चना का दौर चला। इस बार देवउठनी एकादशी पर शादी का मुहूर्त नहीं रहा। वहीं नवंबर में महज दो जबकि 8 महीने में 40 शुभ मुहूर्त है। अक्षय तृतीया पर सिर्फ दोपहर में ही विवाह हो सकेंगे। पौराणिक मान्यता के अनुसार चार महीने की योग निद्रा के बाद भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं।
इसलिए, इसे देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन से ही मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी और 2 फरवरी को बसंत पंचमी पर्व पर शादी का एक भी मुहूर्त नहीं है। अंबाडा के ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोतम महाराज ने बताया कि देव उठनी एकादशी, अक्षय तृतीया और बसंत पंचमी के दिन को लोग अबूझ मुहूर्त मानकर चलते हैं।
इन तीनों दिन बिना मुहूर्त के ही हजारों शादियां होती हैं। इस बार 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी और 2 फरवरी बसंत पंचमी को शादी का कोई मुहूर्त नहीं बना। इस बार शादियां सिर्फ 40 मुहूर्त में ही हो सकेंगी। इस बार शादियां 16 नवंबर 2024 से शुरू होकर 8 जून 2025 तक शुभ मुहूर्त में हो सकेंगी।
इसके बाद 12 जून से 8 जुलाई तक गुरु का तारा अस्त होने के चलते शादी के शुभ मुहूर्त नहीं हैं। इसके बाद अगले चार माह चातुर्मास में देवशयनी एकादशी लगने के चलते 6 जुलाई 2025 को शादियां बंद हो जाएगी, फिर 2 नवंबर 2025 से शुरू होगी।
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