लाहौर: पाकिस्तान में इन दिनों स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह को लेकर दिए गए एक रिटायर्ड आर्मी अफसर के बयान पर बवाल मचा हुआ है। दरअसल, लाहौर में एक NGO ने पाकिस्तान के एक रिटायर्ड आर्मी अफसर की सिफारिश पर शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनकी प्रतिमा स्थापित करने की योजना को रद्द करने के लिए मंगलवार को सरकार की आलोचना की है। बता दें कि लाहौर के इस मशहूर चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखा जाना था लेकिन रिटायर्ड आर्मी अफसर तारिक मजीद ने आपत्तिजनक बातें कहते हुए इसमें अड़ंगा लगा दिया।
कमिटी में शामिल थे तारिक मजीद
लाहौर महानगर निगम ने शुक्रवार को ‘भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान’ के अध्यक्ष इम्तियाज रशीद कुरैशी द्वारा लाहौर हाई कोर्ट में दायर कंटेम्प्ट पिटिशन के जवाब में कहा कि शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनकी प्रतिमा लगाने के प्रपोजल को रद्द कर दिया गया है। लाहौर महानगर निगम की ओर से कहा गया कि कमोडोर (रिटायर्ट) तारिक मजीद द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट को मद्देनजर रखते हुए शादमान चौक का नाम बदलने की योजना को रद्द किया गया। मजीद शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई एक समिति में शामिल थे।
‘आज के संदर्भ में भगत आतंकवादी थे’
निगम ने कहा कि मजीद ने दावा किया कि ‘भगत सिंह एक क्रांतिकारी नहीं बल्कि एक अपराधी थे, आज के संदर्भ में वह एक आतंकवादी थे। उन्होंने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी और इस अपराध के लिए उन्हें 2 साथियों के साथ फांसी की सजा दी गई थी।’ लाहौर में मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए फाउंडेशन के अध्यक्ष कुरैशी ने कहा कि माजिद को क्रांतिकारी भगत सिंह को ‘अपराधी और आतंकवादी’ कहने से पहले सेंट्रल असेंबली में उनकी प्रशंसा करने वाले पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के भाषण को याद करना चाहिए।
‘जिन्ना ने की थी भगत सिंह की तारीफ’
कुरैशी ने कहा, ‘जिन्ना ने न केवल भगत सिंह और उनके साथियों की बलिदानी शख्सियत की तारीफ की, बल्कि सबसे मजबूत इरादे के साथ उनके समर्थन में भी खड़े रहे और ब्रिटिश कानून-व्यवस्था और सिद्धांतों पर सवाल उठाए।’ उन्होंने भगत सिंह के बारे में सरकारी रिपोर्ट को ‘हास्यास्पद और इतिहास के साथ छेड़छाड़’ करार दिया जिसमें इस्लामी दृष्टिकोण को विकृत तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने कहा, ‘भगत सिंह पाकिस्तान की सरजमीं पर जन्मे एक क्रांतिकारी लाल थे और हम छोटे-मोटे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए अपने देश के इतिहास को नष्ट नहीं होने दे सकते।’ (भाषा)
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