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मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट, फिर बीमारी से पैर खोया, अब तैराकी में बना दिया वर्ल्ड रिकॉर्ड

मधुबनी. कहते हैं परिस्थिति कैसी भी हो, अगर व्यक्ति राह पर अडिग रहे तो उसे कोई डिगा नहीं सकता. आज हम आपको ऐसी ही कहानी से रूबरू कराएंगे जो बिल्कुल सच है. आपको बताएंगे मधुबनी के शम्स आलम की कहानी, जिन्होंने पटना में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. शम्स ने 14वें नेशनल तक्षशिला ओपन वाटर स्विमिंग में इतिहास रचा है. पैराप्लेजिया से पीड़ित स्विमर शम्स ने गंगा किनारे शिव घाट दीघा से लॉ कॉलेज घाट तक 13 किलोमीटर की लंबी दूरी तय करके वर्ल्ड रिकॉर्ड्स यूनियन में अपना नाम दर्ज कराया.

शम्स आलम का खेल करियर मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट के साथ शुरू हुआ, लेकिन 24 साल की उम्र में, स्पाइनल कॉर्ड (Spinal Cord) की गंभीर बीमारी और असफल सर्जरी ने उन्हें कमर से नीचे लकवाग्रस्त कर दिया. डॉक्टर, परिवार और आस-पास के लोगों की प्रेरणा से उन्होंने तैराकी की ओर रुख किया और स्विमर बने. इसके बाद शम्स रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड तोड़ते गए.

पटना में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के बाद 38 वर्षीय शम्स ने कहा, “जब मुझे इस साल इस प्रतियोगिता के बारे में पता चला था, मैंने तब से ही तैयारी शुरू कर दी थी. ओपन वाटर में तैरना, पूल में तैराकी करने से अलग है. यह काफी खतरों से भरा और चुनौतीपूर्ण होता है. आपको पानी में अलग-अलग जीव और बाकी चीज़ों से सावधान रहना पड़ता है. खुश हूं कि सब सही रहा और मैं अपने लक्ष्य में सफल हो सका.”

लोकल 18 की टीम ने उनके घर जाकर जायजा लिया. घर पहुंचने पर उनके परिवार के सदस्य मिले, जिनसे ढेर सारी बातें हुई. शम्स के भाई मोहम्मद बताते हैं, “कुल 4 भाई हैं जिनमें शम्स सबसे छोटा है. उम्र के पहले पड़ाव लगभग 20 वर्ष तक वो ठीक था लेकिन फिर पांव में दिक्कत आने लगी. परिवार की स्थिति बहुत बेहतर नहीं थी लिहाजा बेहतर इलाज ना मिल पाने के कारण पांव की स्थिति खराब होती गई. ऑपरेशन फेल हो गया और उनके भाई के साथ ऐसी स्थिति बन गई. हालांकि उसे तैराकी का शौक हमेशा से रहा. वो हर दिन तैराकी के प्रति समर्पित रहें.”

वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने पर शम्स के पिता मोहम्मद रशीद फूले नहीं समा रहे. बुढ़ापा ढलने के बावजूद उनकी बातों में चमक नजर आती है. वो अपने बेटे के इस सफलता से बेहद खुश हैं. संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि वो बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज था. घर की आर्थिक स्थिति बहुत बेहतर नहीं थी, इसलिए ज्यादा संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाए. गांव में सभी लोग तालाब में तैराकी करते थे, इसे देखकर ही उसने सिखा है.

भाभी और भतीजी भी बेहद खुश
भाभी आमजा और भतीजी शम्स की इस सफलता से बेहद खुश नजर आ रही हैं .उनके मुताबिक वो जब ऐसी परिस्थिति में भी परिवार को गौरव दिला सकते हैं तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है. उनकी सलामती और बेहतर करने के लिए परिवार के लोग दुआ मांगते हैं.

Tags: Bihar News, Local18, Madhubani news, Success Story

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