भोपाल को दिल्ली जैसी ‘हवा’ लग गई है। दीपावली पर पिछले साल से 10% अधिक पटाखे फोड़ने के बावजूद भोपाल में 43% प्रदूषण घटा था। तब टीटीनगर जैसे इलाके में एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 148 तक दर्ज किया गया। वहीं, कलेक्ट्रेट कार्यालय में यह 152 तक था। इसम
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हालांकि, दिवाली के 11 दिन बाद मंगलवार को ग्यारस पर राजधानी में प्रदूषण दोगुना पहुंच गया। टीटी नगर में एक्यूआई 313 तो कलेक्ट्रेट कार्यालय में 325 पहुंच गया। वहीं, शहर की सबसे पॉश कॉलोनी अरेरा कॉलोनी (पर्यावरण परिसर) में यह 400 के करीब पहुंच गया। यहां एक्यूआई 393 दर्ज किया गया। यह ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। दिवाली के दिन यहां एक्यूआई 306 दर्ज किया गया था।
11 दिन में मध्यम से ‘गंभीर’ हो गई हवा
सड़कों पर धुंआ छोड़ती गाड़ियों से 12 प्रतिशत, मेट्रो फ्लाईओवर से 11 प्रतिशत हो रहा प्रदूषण ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया(एआारएआई), पुणे की स्टडी में सामने आया था कि भोपाल में सड़कों पर धुआं छोड़ती गाड़ियों के कारण 12 प्रतिशत प्रदूषण हो रहा है। मेट्रो और फ्लाईओवर जैसे निर्माण कार्यों के कारण 11 प्रतिशत प्रदूषण हो रहा है। यहां-वहां जलता कचरा भी शहर में 5 प्रतिशत प्रदूषण फैला रहा है। शेष 67 प्रतिशत प्रदूषण धूल और पराली जलाने के कारण है।
दिवाली पर पानी का छिड़काव, मौसम का भी साथ, ग्यारस पर सर्दी बढ़ी, नगर निगम भी सक्रिय नहीं
- दीपावली पर साफ मौसम और हल्की हवा ने पटाखों के धुएं को बिखेरने में मदद की। मौसम में नमी थी। ग्रीन पटाखे इस्तेमाल किए गए। नगर निगम ने भी पानी का छिड़काव किया।
- पीसीबी के रीजनल ऑफिसर बृजेश सक्सेना का कहना है कि ग्यारस तक सर्दी बढ़ी है। इससे हवा का घनत्व बढ़ गया और तापमान गिरा है। इससे हवा के भारी कण ऊपर नहीं उठ पाते।
- पराली जलाने और कम हवा के चलने से प्रदूषण और बढ़ा।
दिल्ली-बिहार में हाल खराब... दिल्ली में एक्यूआई 418 और बिहार के हाजीपुर में 417 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया।
बच्चे-बुजुर्गों में सांस संबंधी बीमारी बढ़ने का खतरा, मास्क जरूरी : डॉक्टर्स
- प्रदूषण के इस बढ़े स्तर को देखते हुए शहर के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. पराग शर्मा ने बताया कि इस मौसम में बच्चों, बुजुर्गों और श्वास रोगियों को घर से बाहर कम निकलने की सलाह दी जाती है। मास्क का उपयोग जरूरी हे। खासकर बच्चों और बुजुर्गों में श्वास संबंधी समस्या बढ़ जाती है।
- भोपाल में बढ़ते प्रदूषण के लिए पीएम 2.5 जिम्मेदार है। इसके सूक्ष्म कण सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंच जाते हैं। श्वास संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ता है। प्रदूषण और कोहरे के मिश्रण से हवा और खतरनाक हो जाती है।
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