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मप्र में मिल रहा 2014 का न्यूनतम वेतन: संशोधन मामला कानूनी प्रक्रिया में अटका, कोर्ट के आदेश पर सभी पक्षों से चर्चा कर सरकार को अनुशंसा देनी है – Bhopal News

मप्र में अभी भी अलग-अलग श्रेणी के कामगारों को 2014 की दर से न्यूनतम वेतन मिल रहा है। अप्रैल 2024 से श्रम विभाग ने ये दरें संशोधित की थीं पर कई उद्योग संगठन इसके खिलाफ इंदौर हाईकोर्ट चले गए थे। तब से लगभग डेढ़ साल से मामला अटका हुआ है।

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इस साल अगस्त में हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए थे कि ट्रेड यूनियनों और उद्योग संगठनों से बात करके मामला हल करें पर अब तक इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका है। हर 5 साल में वेज रिवीजन का नियम है।

मप्र सरकार ने 1 अप्रैल 2024 से अकुशल, अर्द्धकुशल, कुशल और उच्च कुशल श्रेणी के श्रमिकों की दरों में क्रमशः वृद्धि कर दी थी। मई में प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों सहित शासकीय दफ्तरों एवं अन्य निर्माण कार्यों में शामिल लाखों श्रमिकों को बढ़ी हुई मजदूरी मिल गई। श्रम विभाग की अधिसूचना के विरोध में औद्योगिक संगठनों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर स्टे ले लिया।

इसके बाद से बढ़ा हुआ वेतन मिलना बंद हो गया। अगस्त की शुरुआत में हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिए थे कि सरकार मामले से जुड़े सभी पक्षों को साथ लेकर चर्चा करे। कई उद्योग संगठनों ने अप्रैल में याचिका दायर कहा था कि प्रदेशभर के लिए एक जैसी वेतन प्रणाली ठीक नहीं। इसके बाद अगस्त में हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए थे कि सभी पक्षों से चर्चा करे और उस आधार पर निर्णय लिया जाए। कोर्ट ने इसके लिए 2 महीने का समय दिया था।

सरकार की हो चुकी है चर्चा

श्रम आयुक्त धनराजू एस ने भास्कर से चर्चा में कहा कि कोर्ट के निर्देश के मुताबिक विभाग ट्रेड यूनियन और उद्योग संगठनों से चर्चा कर चुका है। उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी अध्यक्षता वाली वेज रिवीजन बोर्ड की अभी तक बैठक नहीं हो सकी है। उनका कहना है कि कब बैठक होगी, अभी कहना मुश्किल है।

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https%3A%2F%2Fwww.bhaskar.com%2Flocal%2Fmp%2Fbhopal%2Fnews%2Fminimum-wages-of-2014-are-being-given-in-madhya-pradesh-133956500.html
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