मप्र में पेसा एक्ट (पंचायत विस्तार अनुसूचित क्षेत्र अधिनियम) लागू हुए आज दाे साल हाे गए। प्रदेश के 20 जिलाें के 89 ट्राइबल ब्लॉक में लागू इस एक्ट ने आदिवासियों को गांवों की जल, जंगल और जमीन बचाने के अधिकार दिए। दावा है कि इस एक्ट से आदिवासियों को सां
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बैतूल कलेक्टर द्वारा पर्यटन विकास निगम काे रिसोर्ट बनाने और शाहपुर की तहसीलदार द्वारा नगर परिषद काे ट्रेंचिंग ग्राउंड के लिए जमीन आवंटित की गई लेकिन पेसा ग्राम सभाओं में आदिवासियों ने कलेक्टर और तहसीलदार का आदेश पलटने का प्रस्ताव पास कर दिया। हालांकि प्रशासन ने इनके प्रस्ताव को नहीं माना। इसके बाद ग्राम सभाओं ने हाईकोर्ट की शरण ली। ग्राम सभा अध्यक्षों का कहना है कि जब प्रशासन ने प्रस्ताव को मानने से इंकार कर दिया तो हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
कलेक्टर बोले- कुछ पंचायतों ने नीतियों के विरोध में प्रस्ताव पास किए
बैतूल के शाहपुर ब्लॉक के डेंडुपुरा में कलेक्टर न्यायालय ने 31 मई 2024 को मप्र पर्यटन विकास निगम को मौजा डेंडूपुरा खसरा नं-147/1 रकबा 40.972 हेक्टेयर में से 5 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरण की। ग्राम सभा ने पेसा नियम 2022 12 उपनियम क और ख की शाक्ति का प्रयोग करते हुए कलेक्टर का आदेश प्रभाव से शून्य करने का प्रस्ताव पास किया।
डेंडूपुरा की शांति निवारण ग्राम सभा के अध्यक्ष लाल सिंह भलावी ने कहा- कुछ दिन पहले शाहपुर की तहसीलदार सुनयना ब्रह्मे सरकारी जमीन की नापजोख करने आई। उन्होंने बताया कि कलेक्टर ने यह जमीन पर्यटन निगम को आवंटित कर दी है। तब हम ग्रामीणों ने ग्राम सभा बुलाकर आदेश पलटने का फैसला लिया। पेसा नियमों के तहत गांव की जमीन के बारे में निर्णय लेने से पहले ग्राम सभा की अनुमति ली जाए लेकिन कलेक्टर ने ऐसा नहीं किया।
प्रस्ताव पास करने के बाद हम लोग कलेक्टर के पास गए तो उन्होंने हमारे फैसले को मानने से इंकार कर दिया। इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इधर- कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी कहते हैं कि कुछ पंचायतों ने नीतियों के विरोध में प्रस्ताव पास किए हैं। पेसा एक्ट में ऐसा नहीं है।
क्या है पेसा एक्ट… अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के लिए ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करना। शासकीय या सामुदायिक भूमि के उपयोग में परिवर्तन के पहले ग्राम सभा से परामर्श और अनुमति लेना अनिवार्य। हस्तांतरण, पट्टा, अनुबंध, कृषि, बिक्री, गिरवी अथवा अन्य किसी कारण से परिवर्तन होने की दशा में ग्रामसभा को सूचना देनी होगी।
पटवारी और बीट गार्ड गांव की जमीन और वन क्षेत्र के नक्शे, खसरे ग्रामसभा को हर साल देंगे। अधिसूचित क्षेत्रों में बिना ग्रामसभा की सहमति के किसी भी परियोजना के लिए गांव की जमीन का भू-अर्जन नहीं किया जाएगा। ग्रामसभा की अनुमति से ही खनन।
जमीन संबंधी निर्णय से पहले ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य
^आदिवासी ब्लॉक के गांवों में किसी भी तरह के निर्णय से पहले ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य है। यदि एकतरफा आदेश पारित किया है तो ग्राम सभा को कलेक्टर का भी निर्णय पलटने का अधिकार है। पेसा एक्ट टास्क फोर्स का सदस्य होने के नाते बैठक में इस मुद्दे को उठाऊंगा। अफसर यदि पेसा ग्राम सभा के निर्णय नहीं मान रहे हैं तो उस पर सीएम और राज्यपाल से बात की जाएगी। कालू सिंह मुजाल्दे, सदस्य, जनजाति मंत्रणा परिषद और टास्क फोर्स पेसा एक्ट, मप्र शासन
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