शहर का दायरा और आबादी तेजी से बढ़ रही है। नए मास्टर प्लान में शहरी सीमा के आसपास लगे 79 गांवों को निवेश क्षेत्र में शामिल करके शहरी बनाने की तैयारी है। आश्चर्य होता है, इंदौर तहसील को 6 तहसीलों में बांट कर लोगों को सुविधा देने की पहल छह साल के बाद भी
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6 तहसील कार्यालयों में से 4 अब भी कलेक्टोरेट में ही लग रहे हैं। बायपास व इसके आसपास के गांवों के लिए कनाड़िया, खुड़ैल कार्यालय शुरू किए गए, लेकिन कनाड़िया तक तो पहुंच मार्ग ही पगडंडीनुमा है। चार कार्यालय निर्माणाधीन हैं, कब शिफ्ट होंगे पता नहीं। जबकि आबादी की सघनता दूरस्थ क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रही है।
वहां बस रही कॉलोनी, टाउनशिप के लोगों को अपने छोटे-छोटे काम जैसे नामांतरण, प्रमाण पत्र, समग्र, आधार करेक्शन आदि के लिए 10 से 12 किमी दूर कलेक्टोरेट के ही चक्कर लगाना होते हैं। अफसर स्टाफ की कमी का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेते हैं, जबकि यह कार्यालय शुरू हो जाएं तो दूरस्थ बसाहट क्षेत्रों की बड़ी आबादी को राहत मिलेगी।
दरअसल, 2018 में इंदौर शहरी तहसील का आसपास विस्तार देखते हुए विभाजन किया था। इसके लिए तर्क दिया गया था कि इंदौर तहसील के 161 गांवों में से 70% ग्रामीण इलाका शहरी सीमा में आ गया है। वर्तमान में शहर की सीमा बायपास, सुपर कॉरिडोर और एबी रोड से 5 से 7 किमी तक पहुंच गई है। इन गांवों के आसपास रहवासी कॉलोनियां, टाउनशिप और सोसायटी आकार ले रही हैं। आईडीए ने भी इन गांवों में अपनी नगर विकास योजनाओं के माध्यम से विकास कार्य शुरू कर दिया है। नए मास्टर प्लान में 79 नए गांव शामिल कर लिए हैं। शहर की सीमा अब 275 से बढ़कर 800 वर्ग किमी तक हो गई है।
शहर का दायरा बढ़ गया, पर सुविधा का दायरा सीमित होने से आमजन होते हैं परेशान
सामान्य तौर पर जमीन से संबंधित नामांतरण, सीमांकन, बटवारा आदि काम एसडीएम व तहसील स्तर पर होते हैं। आम आदमी को प्रमाण पत्र, समग्र व खाद्यान्न पर्ची के लिए भी इन्हीं कार्यालयों में स्थित लोक सेवा गांरटी केंद्रों से ही आवेदन करना होता है। जूनी इंदौर का कार्य क्षेत्र लसूड़िया तक है, जबकि मल्हारगंज का कार्यक्षेत्र सुपर कॉरिडोर व आसपास है।
कनाड़िया व बिचौली में बायपास के आसपास का क्षेत्र आता है। नगर निगम सीमा में शामिल 29 गांव भी इन तहसीलों का हिस्सा है। तलावली चांदा, निपानिया, रंगवासा, रेवती, रिजलाय, पिगडंबर व इसके आगे के दूरस्थ गांवों में कॉलोनियों, टाउनशिप का विस्तार हो गया है। कार्यालय की सुविधा नहीं होने लोगों को कलेक्टोरेट आना पड़ता है।
कोर्ट केस की पेंडेंसी का कारण भी दूर होना– जमीन संबंधित कामों में कोर्ट केस भी सालों तक लंबित रहते हैं। नियमित सुनवाई के बाद भी इनमें देरी का कारण गवाह या अन्य कागजी जरूरत पूरी नहीं होना होता हैं। एसडीएम, तहसीलदार कोर्ट दूर होने से लोग अपनी सुविधा के अनुसार आते हैं।
सुविधाएं ऑनलाइन का दावा, आवेदक चक्कर काटते हैं
- अफसरों का कहना है, वर्तमान में सुविधाएं ऑनलाइन हो गई हैंै। ऐसे में कहीं से भी आवेदन कर सकते हैं।
- लोगों का कहना है आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज जैसे नोटरी, शपथ पत्र आदि कलेक्टोरेट में बनते हैं। तहसील कार्यालय खुल जाएं तो ये सुविधाएं वहां मिलने लगेंगी।
- सरकार ने रजिस्ट्री के बाद सीधे नामांतरण की व्यवस्था की है। यह दो तरह से होती है, एक आरसीएमएस से दूसरा साइबर तहसील के माध्यम से।
- आवेदकों ने बताया कि नामांतरण व भू-अधिकार पुस्तिका के लिए परेशानी हो रही है। इसके लिए पर्ची तो मिल जाती है। रिपोर्ट लगवाने के लिए कलेक्टोरेट में आरआई, पटवारी, बाबू के चक्कर लगाना होते हैं।
- सरकार की कई योजनाएं हैं, जिनका आवेदन लोक सेवा केंद्रों से होता हैं। वर्तमान में सभी तहसीलों के केंद्र कलेक्टोरेट में ही हैं। इसलिए सरकारी सहायता के लिए यहां आना होता हैं। तहसील क्षेत्र में कार्यालय खुल जाए तो काम आसान होगा।
- जमीन संबंधित दस्तावेज ऑनलाइन मिल जाते हैं, लेकिन इनकी प्रमाणित प्रतिलिपि के लिए कार्यालय आना ही होता है। यह काम भी एक बार में संभव नहीं होता हैं।
समाधान – एक्सपर्ट : पूर्व एडीएम रामेश्वर गुप्ता
तहसीलों के काम को सुगम बनाने पुनर्गठन भी जरूरी है
- व्यवस्था का विकेंद्रीकरण जरूरी है, क्योंकि सरकार की योजनाओं का लाभ लेने वाले नागरिकों को कलेक्टोरेट के बार-बार जाना पड़ता है। उनकी सुविधा के लिए एसडीएम, तहसील स्तर के कार्यालय ऐसे सुगम होना चाहिए, जिससे उनके काम एक ही जगह हो जाएं। इससे दो फायदे होंगे, कलेक्टोरेट में भीड़ कम होगी और शहर विकास के कामों को गति मिलेगी।
- तहसीलों के काम को सुगम बनाने के लिए इनका पुनर्गठन भी करना चाहिए। इनकी सीमाओं में बदलाव करके क्षेत्रों को जोड़ें, थानों के साथ भी समन्वयन करें। जैसे लसूड़िया, निपानिया जूनी इंदौर तहसील में है। इसका मुख्यालय कलेक्टोरेट में है, जबकि इन्हें कनाडिया में लाया जा सकता है। जिससे बायपास स्थित कार्यालय पास पड़ेगा। इसी तरह कई क्षेत्रों की स्थिति है। इसके अलावा इनके कार्यालयों को बड़े बनाकर पब्लिक सुविधाओं से भी जोड़ने की जगह रखें।
- जब तहसील बना दी गई है तो कार्यालय भी जल्द बनाकर अधिकारी बैठना शुरू करें। जिससे स्थानीय जनता को ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ेगा। जब कार्यालय शुरू हो जाएगा तो अन्य सुविधाएं भी शुरू हो जाएंगी।
- राजस्व संबंधित कामों की लगातार समीक्षा करें और तय समय सीमा में जनता के काम हो ऐसी व्यवस्था बनाएं।
2 कार्यालय शुरू हो गए, कनाड़िया की सड़क जल्द बनाई जाएगी लोगों की सुविधा के लिए शहर को अलग-अलग तहसीलों में बांटा है। इसके लिए कार्यालय बनवा रहे हैं। कनाड़िया, खुड़ैल तहसील शुरू कर दिए हैं। बिचौली के लिए जमीन तय कर दी है। शेष का काम भी चल रहा है। कनाड़िया कार्यालय तक सड़क आईडीए की योजना में बनाई जाना है। इसका जल्द काम शुरू किया जाएगा। – आशीष सिंह, कलेक्टर
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